- नहीं हो रहा अस्पतालों के कचरे का ट्रीटमेंट, बढ़ रहा मेडिकल वेस्ट

- डंपिंग यार्ड से लेकर गंगा तक की हालत हो चुकी है खराब

PATNA: हॉस्पीटल से हर दिन हजारों टन निकलने वाले मेडिकल वेस्ट को धड़ल्ले से गांगा के किनारे ही फेंका जा रहा है। डंपिंग यार्ड से लेकर गंगा तक की हालत खराब हो चुकी है। कंडीशन दिन पर दिन बिगड़ता ही जा रहा है। जबकि पीएमसीएच की मशीन हर दिन नहीं चल पाती और आईजीआईएमएस के इंसिनेटर में खराबी आने से यह कई दिनों से बंद था, हालांकि इसे अब दुरुस्त कर दिया गया है। पीएमसीएच व आईजीआईएमएस दोनों में से किसी को पता नहीं है कि उनके यहां से हर रोज निकलने वाली डिस्पोजल की मात्रा कितनी है.सबसे चौकाने वाली बात ये है कि पीएमसीएच के इंसिनेटर में सिर्फ पीएमसीएच का ही मेडिकल वेस्ट होता है। सिविल सर्जन के पास भी इसका आंकड़ा नहीं है कि नर्सिग होम या गवर्नमेंट अस्तपाल से निकलने वाले मेडिकल वेस्ट की प्रतिशत कितनी है। एक्सपर्ट मानते हैं कि अगर कचरे का सही निपटारा नहीं किया जाए तो शहर पूरी तरह से क्रॉनिक पॉल्यूटेड हो सकता है।

नहीं कसा जाता है शिकंजा

आईजीआईएमएस के बायोमेडिकल इंजीनियर शैलेन्द्र कुमार सिंह की माने तो उनके यहां भ्80 प्राइवेट और म् गर्वमेंट मेडिकल अस्पताल से टाइअप किया गया है। इसके बाद भी सहीं तरीके से मेडिकल वेस्ट नहीं आ पाता है। सोर्सेज की माने तो यह आंकड़ा सिर्फ कागजों पर है। जबकि सिर्फ पटना शहर में एक हजार के आसपास नर्सिग होम है। लेकिन इतने नर्सिग होम के मेडिकल डिस्पोजल के लिए कोई खास अरेंजमेंट नहीं है। नर्सिग होम चलाने वालों की माने तो वो प्राइवेट एजेंसी के थ्रू मेडिकल वेस्ट डिस्पोजल करवाते है, जबकि जानकारी हो कि आईजीआईएमएस के पास ही एक मात्र डिस्पोजल मशीन है। जहां पर मेडिकल वेस्ट डिस्पोजल किया जाता है।

कचरे की हो रही चोरी

सोर्सेज की माने तो अस्पताल के अंदर के कचरे की चोरी कर ली जाती है और उसे आसपास के दलालों के हाथों बेच दिया जाता है। स्लाइन से लेकर इंजेक्शन तक की डिमांड जमकर चल रही है। इस गौरखधंधा में आईजीआईएमएस के कई लोग लगे हुए है। जिसके इशारे पर काम होता है। फिर उसी मेडिकल वेस्ट को हल्का रिसाइकिलिंग करके मार्केट में सप्लाई कर दिया जाता है।

गर्दनीबाग में हो रही सप्लाई

रामाचक बैरिया हो या फिर गर्दनीबाग डंपिंग यार्ड हर जगह मेडिकल वेस्ट दिख ही जाता है। रामाचक बैरिया में हर दिन ट्रेक्टर से कचरा डालने वाले रामसेवक की माने तो स्लाइन की बोतल सहित इंजेक्शन, रुई और मास्क तक आसानी से मिल जाता है, जो बहुत खतरनाक है।

कुछ इस तरह से काम करता है नॉ‌र्म्स

पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की माने तो मेडिकल वेस्ट को लेकर हर अस्पतालों को नॉ‌र्म्स बता दिया गया है। इसमें तीन डब्बे लगाने होते हैं जो अलग-अलग कलर के होते हैं, पर इस नॉ‌र्म्स का पालन आज तक नहीं हो पाया है।