- खुशियों की बारिश करेंगे गणपति बप्पा।

- पूजा व स्थापना के शुभ मुहूर्त बता रहे हैं

आई स्पेशल

Meerut- गणेश चतुर्थी के लिए सभी ने तैयारियां लगभग पूरी कर दी है। बस अब शुभ मुहूर्त के बारे में सभी जानना चाहते हैं। इस वर्ष पांच सिम्बर को गणेश चतुर्थी गणेशोत्सव के त्योहार पर शुभ फलदायी योग बन रहे हैं। ये दिन सभी के लिए उत्तम बताया जा रहा है।

बता रहे हैं शुभ मुहूर्त

सदर राधा कृष्ण मंदिर के पंडित हिमांशु राम बाबू ने बताया कि चतुर्थी की तिथि रविवार को ही शाम 6 बजकर 54 मिनट से शुरु हो रही है। जो कि पांच सितम्बर को रात नौ बजकर 10 मिनट पर समाप्त होगी। उन्होंने बताया कि गणपति बप्पा की पूजा व स्थापना सोमवार की सुबह से लेकर रात नौ बजकर दस मिनट तक की जा सकती है। वैसे पूजा का सर्वोत्तम मुहूर्त सोमवार को दिन में 11 से लेकर दोपहर एक बजे 38 मिनट तक का है। भद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी को भगवान श्री गणेश के जन्म का उत्सव मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष के दौरान भगवान गणेश का जन्म हुआ था।

मध्याहन सबसे है उत्तम मुहूर्त

पंडित चिंतामणि जोशी ने बताया कि गणपति स्थापना व गणपति पूजा मुहूर्त के विषय में ऐसा माना जाता है कि भगवान गणेश का जन्म मध्याहन काल में हुआ था। इसलिए मध्याहन के समय को गणेश पूजा के लिए ज्यादा उपयुक्त माना जाता है। गणेश चतुर्थी के दिन, गणेश स्थापना और गणेश पूजा माध्याहन के दौरान की जानी चाहिए। वैसे पांच सितम्बर से भद्रा का साया नहीं होने से पूरे दिन गजानन की स्थापना हो सकती है। इस दिन सोना-चांदी, बर्तन, प्लॉट मकान सहित चल-अचल संपत्ति खरीदने से भी लाभ होगा।

विधि विधान से करें पूजन

पंडित हिमांशु राम बाबू के अनुसार चौकी पर रेशमी आसन बिछाकर उसमें गणेश प्रतिमा ऊ गं गणपतये नम: मंत्र जप के बाद रखें। पान के पत्ते पर सिंदूर और घी मिलाकर स्वास्तिक का निशान बनाएं। कलावा में लिपटी सुपारी रखें इन्हीं को गणपत्ति मानकर पूजन करें, भोग में पांच लड्डू अनिवार्य हैं। पूजन सामग्री में कुमकुम, केसर, अबीर, गुलाल, सिंदूर पुष्प, चावल, सुपारी, पंचामृत, पंचमेवा, गंगाजल, बिल्वपत्र, धूप, बत्ती, दीप, नैवेद्य, लौंग, इलाइजी, नारियल, कलश, लाल कपड़ा, इत्र, सरसों, जनेऊ, मिश्री, बताशा और आंवला, रखें। भोग में लड्डू समेत धान का लावा, सत्तू, गन्ने के टुकड़े, तिल पके केले रखें।