- सिक्योरिटी गा‌र्ड्स की मिलीभगत की मिलीभगत से खूब होता है 'खेल'

फैक्ट फाइल

- 150 एकड़ में फैली है केजीएमयू

- 50 बिल्डिंग की सुरक्षा का है जिम्मा

- 04 सौ सिक्योरिटी गा‌र्ड्स हैं केजीएमयू में तैनात

- 5 सौ मरीज डेली अलग-अलग वार्ड में होते हैं भर्ती

- 10 हजार मरीज डेली करते हैं केजीएमयू का रुख

- 3 जगहों पर ही सीसीटीवी कैमरे इंस्टॉल

LUCKNOW:

किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) में दूर दराज से आने वाले मरीजों के लिए मानो यहां के गार्ड ही सब कुछ हैं। डॉक्टर को दिखाने से लेकर यहां पर रुकने के लिए इनकी परमीशन काफी जरूरी है। जिम्मेदारी तो इनकी सिक्योरिटी की है, लेकिन सिक्योरिटी छोड़ बाकी 'खेल' में यह लिप्त रहते हैं। वहीं पूरे केजीएमयू कैंपस में सुविधाएं भी काफी बुरे हाल में हैं जिसे देखने वाला कोई नहीं है। जिससे सिक्योरिटी गा‌र्ड्स के हौंसले काफी बुलंद हैं।

गार्ड बन जाते है सरकारी कर्मचारी

अस्पताल में मौजूद गार्ड खुद सरकारी कर्मचारी बन जाते हैं। इलाज के साथ-साथ दवाई और अन्य सुविधा दिलाने के लिए तीमारदारों से सौदेबाजी होती है। पर्चे बनवाने से लेकर स्ट्रेचर लेने तक गा‌र्ड्स से तीमारदारों को गुहार लगानी पड़ती है। विभाग के कर्मचारी भी तीमारदारों से जुड़े कामों को गार्ड के पाले में उछाल देते हैं। जिससे इनके हौंसले दिनों दिन काफी बुलंद होते जा रहे हैं साथ ही सिक्योरिटी भी काफी लचर होती जा रही है।

सुरक्षा व्यवस्था लचर

दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट ने केजीएमयू शताब्दी अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था का शुक्रवार को जायजा लिया। शताब्दी अस्पताल के फेज टू में गुरुवार को तीमारदार से गैंगरेप की घटना के दूसरे दिन बाहरी व्यक्तियों के प्रवेश पर न तो कोई रोक थी और ही तीमारदारों को जारी होने वाला पास चेक किया जा रहा था। यहीं नहीं अस्पताल के चौथी मंजिल में जहां प्रतिबंधित क्षेत्र का बोर्ड लगा हुआ था वहां तक पहुंचने पर भी कोई रोका-टोका नहीं गया। शताब्दी अस्पातल की लिफ्ट तीसरी मंजिल तक ही जाती है, जबकि चौथी मंजिल तक जाने के लिए सीढि़यों का यूज किया जाता है। निगरानी के लिए न तो कोई सीसीटीवी कैमरा था और न ही कोई गार्ड।

पहली और दूसरी मंजिल ही सिक्योरिटी

शताब्दी हॉस्पिटल, ट्रॉमा सेंटर व अन्य विभागों के केवल पहली और दूसरी मंजिल पर ही सिक्योरिटी की व्यवस्था होती है। जहां तीन शिफ्ट में गार्ड की ड्यूटी लगाई जाती है। सुबह 6 से 2, 2 से 10 और 10 से 6 बजे की ड्यूटी होती है। जबकि तीसरी और चौथी मंजिल में केवल सुबह 9 से 5 बजे तक गार्ड की ड्यूटी होती है।

महिला वार्ड में भी महिला गार्ड नहीं

हॉस्पिटल में कई महिला वार्ड है लेकिन सिक्योरिटी के लिए वहां कोई महिला गार्ड नहीं है। एजेंसी का दावा है कि ट्रॉमा सेंटर में इंट्री प्वाइंट पर दो महिला गार्ड चलाई जाती है। एक एजेंसी के करीब सौ से ज्यादा पुरुष गार्ड की अपेक्षा मात्र 4 महिला गार्ड ही है।

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केजीएमयू में बसती है अलग दुनिया

केजीएमयू में हर रोज दस हजार से मरीज आते-जाते हैं। अलग-अलग डिपार्टमेंट में 3 से 5 सौ मरीज भर्ती होते हैं। हर बड़े डिपार्टमेंट के बाहर तीमारदारों की बस्ती बनी हुई है। यह अस्थाई बस्ती अस्पताल कैंपस के वैध और अवैध जगहों पर बनी है। कहने को मैनेजमेंट ने तीमारदारों के लिए रैन बसेरा व ठहरने के लिए अन्य सुविधा मुहैया कराई है, लेकिन हकीकत यह है कि तीमारदारों की इतनी बड़ी संख्या है कि वॉर्ड के बाहर अस्थाई आशियाना बनाकर रह रहे लोग।

मजूबरी में बसा ली पूरी गृहस्थी

केजीएमयू का ट्रॉमा सेंटर हो या फिर गांधी वार्ड। पार्किग के आस-पास अस्थाई आशियाना बनाकर रह रहे तीमारदार छोटू सिलेंडर पर खाना बनाते नजर आ जाएंगे। हालांकि न केवल सुरक्षा के लिए खतरनाक है बल्कि नियमों के भी खिलाफ है, लेकिन तीमारदारों का कहना है कि यह उनकी मजबूरी है। गृहस्थी का पूरा सामान सजा है, परिवार के सदस्यों दिन और रात रह रहे है लेकिन उन्हें पूछने वाला कोई नहीं है। अस्पताल मैनेजमेंट ने भी आंखे मूंद रखी है और इसका फायदा सुरक्षा में लगे गार्ड उठा रहे हैं।

मरीज के लिए स्ट्रेचर नहीं दवा हो रही सप्लाई

मरीज के लिए स्ट्रेचर लेने के लिए तीमारदार को आईडी कार्ड जमा करना पड़ता है। कई बार बिना स्ट्रेचर के मरीज को गोद में लेकर जाना पड़ता है। जबकि अस्पताल मैनेजमेंट की तरह से स्ट्रेचर और व्हीलचेयर की सुविधा कर्मचारी उठा रहे हैं। वार्ड में दवा सप्लाई करना हो या फिर अन्य सामान पहुंचाना हो कर्मचारी स्ट्रेचर और व्हील चेयर का यूज करते हैं।

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सीसीटीवी फुटेज नहीं सौंप सका केजीएमयू प्रशासन

LUCKNOW (2 June) : केजीएमयू के शताब्दी अस्पताल में गैंगरेप की घटना के चौबीस घंटे बाद भी हॉस्पिटल प्रबंधन पुलिस को सीसीटीवी फुटेज उपलब्ध नहीं कर सका है। असल में चौथी मंजिल में जाने वाले रास्ते के आस-पास कोई सीसीटीवी कैमरे लगे ही नही हैं। सबसे खास बात यहां है कि शताब्दी अस्पताल में जो कैमरे लगे हुए हैं उसकी कनेक्टिविटी केजीएमयू अस्पताल के आईटी सेल से नहीं है। इस बिल्डिंग में लगे कैमरे की मॉनीटरिंग केवल शताब्दी अस्पताल के कैंपस से ही होती है। वहीं केजीएमयू के प्रवक्ता डॉ। नरसिंह वर्मा ने कहा कि मामले की जांच पुलिस कर रही है। पुलिस नियमानुसार फुटेज की डिमांड करती है तो उन्हें उपलब्ध कराया जाएगा। जबकि इंस्पेक्टर चौक ने घटना की जानकारी के साथ छानबीन के दौरान अस्पताल मैनेजमेंट से सीसीटीवी फुटेज की डिमांड की थी। इंस्पेक्टर आईपी सिंह ने बताया कि अस्पताल मैनेजमेंट अब शनिवार को फुटेज देने की बात कह रहा है।

फरार आरोपी की तलाश में छापे

गैंगरेप का तीसरा आरोपी लिफ्ट मैन विनय अभी भी पुलिस की गिरफ्त से फरार है। जबकि आरोपी गार्ड संतोष और शिवकुमार को गुरुवार को ही पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। विनय की तलाश में चौक पुलिस लगातार दबिश दे रही है। इंस्पेक्टर चौक का कहना है कि जल्द ही उसे भी गिरफ्तार कर लिया जाएगा।