- ई-वे बिल से घबरा रहा कपड़ा व्यापारियों का दिल, सीएम की शरण में पहुंचे

- इंट्रा सर्किल टैक्स को खत्म करने की रखी डिमांड

GORAKHPUR: गुड्स एंड सर्विस टैक्स लागू होने के बाद से ही व्यापारियों के लिए मुश्किलों का दौर शुरू हो गया। इसका उन्होंने काफी विरोध भी जताया जिसके बाद उन्हें कुछ राहत मिली। 15 अप्रैल से इंट्रा स्टेट ई-वे बिल लागू होने के बाद एक बार फिर व्यापारियों के लिए मुसीबत खड़ी हो गई है। अलग-अलग एचएसएन कोड और फॉर्म 3बी भरने में उनके पसीने छूट रहे हैं। इससे परेशान व्यापारियों ने सीएम से गुहार लगाई है। उनका कहना है कि जब पीएम की नगरी गुजरात में इंट्रा सर्किल ई-वे बिल से छूट है, तो यहां सीएम नगरी में यह सुविधा क्यों नहीं दी जा सकती है।

बन रहा है छोटे से छोटा बिल

कपड़ा व्यापारियों की मानें तो इसका प्रॉडक्शन प्रांत के बाहर ही होता है, जहां से व्यापारी माल लेकर शहर में पहुंचते हैं। जो भी कपड़ा आ रहा है, चाहे वह 10 हजार रुपए का हो या फिर एक लाख रुपए। कोई भी माल बिना बिल जनरेट किए भेजा ही नहीं जा रहा है। वहीं ट्रांसपोर्टर्स भी बिना ई-वे बिल के माल लोड ही नहीं कर रहे हैं। ऐसे में बिना बिल के कोई माल आने का सवाल ही नहीं है। ऐसे में व्यापारियों पर ई-वे बिल का दबाव बनाना ठीक नहीं है, जबकि वह पूरा टैक्स अदा कर रहे हैं।

कई बिल मिलाकर हो रहा 50 हजार

फुटकर व्यापारियों की बात की जाए, तो वह भी काफी परेशान हैं। आउटर्स से आने वाले यह रिटेलर अलग-अलग जगह से माल इकट्ठा कर रहे हैं। सब टैक्सेबल बिल बनकर ही जा रहा है। ट्रांसपोर्ट के साधन सीमित हैं, तो सारा माल उसी ट्रांसपोर्ट में जाता है और 50 हजार का बिल होना जरूरी है। जबकि व्यापारी के पास एक नहीं बल्कि कई बिल मिलाकर 50 हजार का माल हो रहा है, लेकिन उसके लिए भी ई-वे बिल मस्ट कर दिया गया है। इस तरह के ई-वे बिल जनरेशन से व्यापारियों को छूट मिलनी चाहिए, या इसकी कोई दूसरी व्यवस्था होनी चाहिए।

बढ़ रह है एक्स्ट्रा खर्च

व्यापारियों का कहना है कि होलसेलर के पास जगह की काफी दिक्कतें है, ऐसे में कंप्यूटर लगाना, कंप्यूटर ऑपरेटर रखना भी खर्चीला काम है, जिससे व्यापारियों को कमाई से ज्यादा नुकसान हो जाएगा। कुछ स्थानों में ट्रांसपोर्ट का साधन नहीं होने से व्यापारी अपने साधन से ही माल लाते हैं। ऐसे में उन्हें भी काफी मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है। व्यापारियों की मानें तो चंद बड़े व्यापारी, जिनके पास सारी सुविधाएं हैं, सारा व्यापार उनके हाथ में केंद्रित हो जाएगा। ऐसे में छोटे व्यापारियों को काफी मुसीबत का सामना करना पड़ेगा।

यहां से आता है माल -

मुंबई

सूरत

अहमदाबाद

भीलवाड़ा

जयपुर

मेरठ

पाली

बरेली

दिल्ली

लुधियाना

पानीपत

इंदौर

बॉक्स

ई-वे बिल नहीं ई फॉर्म 38

यूपी में अब ट्रांसपोर्ट के जरिए कोई भी माल आएगा, तो उसे टैक्स अदा करके ही लाना पड़ेगा। टैक्स की चोरी न हो, इसके लिए जिम्मेदारों ने ई-वे बिल की व्यवस्था की है। यह एक तरह से फॉर्म 38 का डिजिटल एडिशन है, जो प्रदेश के बॉर्डर को क्रॉस करने के लिए ट्रांसपोर्टर्स के पास होना जरूरी है। भले ही एंट्री टैक्स और प्रदेश में लगने वाले दूसरे टैक्स खत्म कर दिए गए हों, लेकिन बिना जीएसटी अदा किए कोई भी ट्रांसपोर्ट व्हीकल एंट्री न कर जाए, इसको देखते हुए यह व्यवस्था लागू की गई है।

कोट्स

जब टोटल कपड़ा जीएसटी बिल बनकर आ रहा है और अपने माल अपने साधन से ले जाता है, तो ऐसे में इसकी कोई जरूरत नहीं है। वहीं गुजरात में कपड़े का इंटरस्टेट ई-वे बिल से छूट दी गई है। यहां भी ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए, जिससे व्यापारियों की मुश्किलें कम हो सकें।

- राजेश नेभानी, अध्यक्ष, थोक वस्त्र व्यवसायी वेलफेयर सोसाइटी

छोटे से छोटा व्यापारी भी बिल बनवाकर कपड़ा ले जा रहा है। चाहे वह 10 हजार का बिल हो या फिर एक लाख रुपए का। इसलिए व्यापारियों को ई-वे बिल जनरेट करने से छूट मिलनी चाहिए।

- संजय कुमार अग्रवाल, थोक व्यापारी

कंप्यूटर लगाना, कंप्यूटर ऑपरेट रखना और इंटरनेट की व्यवस्था भी करनी पड़ रही है, जो एक्स्ट्रा खर्च हो रहा है। वहीं कागज भी काफी बर्बाद हो रहा है। सरकार को इस मामले में व्यापारियों को राहत देनी चाहिए।

- मनीष सराफ, थोक व्यापारी

ई-वे बिल की जो शर्ते हैं और जो जरूरतें हैं। ऐसे में व्यापार चंद बड़े व्यापारियों के हाथ में केंद्रित हो जाएगा। ऐसे में छोटे व्यापारी को कठिनाई का सामना करना पड़ेगा।

- सुरेश सुंद्रानिया, थोक व्यापारी