इंडियन क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट की कंसर्न बेंच को वेडनेस डे को अपनी लिस्ट दी जिसमें सुनील गावस्कर, रवि शास्त्री और सौरव गांगुली के साथ ही अनिल कुंबले, कृष्नामचारी श्रीकांत, वेंकटेश प्रसाद और लालचंद राजपूत के नाम भी शामिल हैं. इस बारे में सुप्रीम कोर्ट का आईपीएल के सोकाल्ड बैटिंग और स्पॉट फिक्सिंग केस में डिसीजन फिल्हाल पैंडिंग है.

सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई की लिस्ट को देखने के बाद कहा कि अगर आईपीएल या क्रिकेट के किसी भी फारमेट में किसी के कमर्शियल बेनिफिट हैं तो उसे एडमिनिस्ट्रेशन में नहीं रहना चाहिए. बीसीसीआई की ओर से सीनियर लॉयर सी ए सुन्दरम ने कोर्ट में लिस्ट प्रेजेंट करते हुए ये कंफर्म किया था कि लिस्ट में दिए गए सभी नामों के किसी न किसी तरह से आईपीएल में कामर्शियल बेनिफिट जुड़े हैं.

इनमें से कुछ कमेंट्रेटर हैं और कुंबले और श्रीकांत जैसे फॉरमर प्लेयर्स आईपीएल टीम मुंबई इंडियंस और सनराइजर्स हैदराबाद के एडवाइजर हैं. इस पर कोर्ट ने कहा कि जहां तक आईपीएल या चैम्पियंस लीग का सवाल है तो बीसीसीआई उन्हें नियम 6.2.4 से हटा दिया है. अब इसे ही देखते हैं और इस तरह से श्रीकांत सेलेक्श्न कमेटी में कैसे हैं जबकि वह सनराइजर्स हैदराबाद के एडवाइजर भी हैं. इसे कैसे जस्टीफाई किया जा सकता है.

कोर्ट ने सवाल किया कि वे नेशनल टीम के सलेक्शन के बारे में बात कर रहे हैं ऐसे प्रॉफिट पाने वाले कैसे फेयर और न्यूट्रल रह सकते हैं.  बीसीसीआई के वकील के ये कहने पर कि ऐसे मामले पर डील करने के तरीके हैं और इनसे सिचुएशन को कांप्लीकेटेड ना बनाया जाए. इस मामले में उन्होंने इंडियन टीम के कैप्टन महेंद्र सिंह धोनी का एग्जांप्ल  दिया कि वे आईपीएल टीम चेन्नई सुपरकिंग्स टीम के प्रमोटर हैं, नेशनल टीम के कैप्टन भी हैं और वो टीम सलेक्शन में इंर्पोटेंट रोल भी प्रॉपरली प्ले करते हैं. अगर कमर्शियल बेनिफिट्स को लेकर कोई प्राब्लम होती है तो उससे इंटेलिजेंटली हैंडल करते हैं. लेकिन इस दलील को कोर्ट ने एक्सेप्ट नहीं किया उनका कहना है कि इन चीजों में न्यूट्रल एटिट्यूड होना मुश्किल और डाउटफुल है.

कोर्ट ने कहा कि ऑक्शन में खुद को रखने वाले लोगों और फिक्स अमाउंट लेकर अपनी सर्विसेज देने वाले और गेम के रिजल्ट को लेकर क्यूरियस ना रहने वाले कमेंट्रेटर्स जैसे लोगों में डिफरेंस है. बेंच ने केवल कमेंट्रेटर्स को कमर्शियल बेनिफिट से अलग रहने वालों में काउंट किया क्योंकि उनका गेम के रिजल्ट, प्लेयर्स क सलेक्शन और गेम प्लान बनाने में कोई रोल नहीं होता.

 

इस बीच इस मामले में सबसे कंसर्न पर्सन एन श्रीनिवासन की ओर से डिफेंस करने वाले एडवोकेट कपिल सिब्बल ने कहा कि किसी को सिर्फ इसलिए कान्फिलिक्ट ऑफ बेनिफिट के लिए रिस्पांबसिबल नहीं माना जा सकता कि वह एडमिनिस्ट्रेटर है और ऐसी कंपनी का भी पार्ट है जो टीम की ओनर है. उन्होंने कहा, अगर बीसीसीआई प्रेसिडेंट होना और टीम का ओनर होना क्लैश ऑफ बेनिफिट तो ऐसा तो हर फील्ड में होता है और उसके लिए सजा देना कितना जायज है.

Hindi News from Cricket News Desk

Cricket News inextlive from Cricket News Desk