शनिवार को एक बयान में भाजपा ने कहा, ''मीडिया में आई ख़बरों में कहा जा रहा है कि भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने सैयद अली शाह गिलानी से मिलने के लिए दूत भेजे थे. भाजपा इसका पूरी तरह से खंडन करती है.''

बयान में कहा गया है कि ये ख़बरें शरारतपूर्ण और आधारहीन हैं और यह लोगों में भ्रम फ़ैलाने की कोशिश है.

शुक्रवार देर रात भाजपा ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर गिलानी के दावे को ग़लत और शरारतपूर्ण क़रार दिया था.

गिलानी के इस दावे पर राजनीतिक बयानबाजी तेज़ हो गई है. भाजपा ने गिलानी से माफी मांगने की मांग की है तो कांग्रेस ने मोदी से जवाब मांगा है.

भाजपा नेता नीतिन गडकरी ने शनिवार को कहा कि जिन दूतों से गिलानी मिले थे, उनके वो नाम बताएं.

'गिलानी ग़लत'

ग़लत बयान पर गिलानी माफी मांगें: भाजपा

उन्होंने कहा, ''गिलानी ने कहा है कि उनसे दो लोग मिलने आए थे, लेकिन उन्होंने न तो उनके नाम बताए और नहीं उनकी स्थिति के बारे में बताया.''

"मोदी जी को इसका जवाब देना पड़ेगा कि आख़िर कश्मीर में उनकी क्या दिलचस्पी है और वे अलगाववादियों से क्या बातचीत करना चाहते हैं."

-मीम अफ़जल, कांग्रेसी नेता

भाजपा प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि ग़लत और आधारहीन बयान देने के लिए गिलानी को माफ़ी मांगनी चाहिए.

उधर, कांग्रेसी नेता मीम अफ़जल ने कहा कि मोदी और भाजपा को इस बावत जवाब देना चाहिए.

''मोदी जी को इसका जवाब देना पड़ेगा कि आख़िर  कश्मीर में उनकी क्या दिलचस्पी है और वे अलगाववादियों से क्या बातचीत करना चाहते हैं.''

शुक्रवार को गिलानी ने दावा किया था कि मोदी की तरफ़ से कश्मीर पर नरम रुख अख़्तियार किए जाने का आश्वासन लेकर दो लोग उनसे मिलने आए थे.

उन्होंने कहा, ''22 मार्च को दो लोग मुझसे मिलने आए थे. वे हमारे पंडित भाई थे. उन्होंने कश्मीर मुद्दे के हल के लिए मुझसे मदद मांगी.''

गिलानी के दावे

उन्होंने दावा किया कि दोनों लोगों ने उनसे मोदी से मिलने को भी कहा.

उन्होंने संवाददाताओं को बताया, ''उन्होंने मुझसे कहा कि यदि मैं मदद देने के लिए तैयार हो जाऊं तो मैं मोदी से सीधे मुलाकात कर सकता हूं और कश्मीर मुद्दे पर नरमी के लिए कह सकता हूं.''

ग़लत बयान पर गिलानी माफी मांगें: भाजपा

''मैंने उन लोगों को 2002 के दौरान हुए दंगों में मुख्यमंत्री के तौर पर मोदी की भूमिका के बारे में, जिसमें 3000 मुसलमान मारे गए थे, बताया और कहा कि संघ के आदमी होने और संघ की विचारधारा मानने के नाते मोदी पर कश्मीर मुद्दे को लेकर नरम रुख अख़्तियार किए जाने का भरोसा नहीं किया जा सकता.''

उन्होंने दवा किया कि भाजपा मोदी के अगले प्रधानमंत्री बनने के लेकर पूरी तरह आश्वस्त हो चुकी है और वो पहले से ही कश्मीर के अलगाववादी नेताओं से बातचीत शुरू कर चुकी है. मोदी के लोग कश्मीरी नेताओं को टटोलने की कोशिश कर रहे हैं और जताना चाहते हैं कि वो किस तरह कश्मीर मुद्दे पर नरम होंगे.

उन्होंने यह भी कहा कि कुछ अलगाववादी नेता मीडिया के मार्फत पहले ही कह चुके हैं कि मोदी कश्मीर मुद्दे पर नरमी बरतेंगे.

बहिष्कार की अपील

उनका दावा है कि ये नेता पहले ही मोदी के लोगों से मिल चुके हैं.

"उन्होंने (मोदी के दूतों ने) मुझसे कहा कि यदि मैं मदद देने के लिए तैयार हो जाऊं तो मैं मोदी से सीधे मुलाकात कर सकता हूं और कश्मीर मुद्दे पर नरमी के लिए कह सकता हूं."

-सैयद अली शाह गिलानी, कश्मीरी अलगाववादी नेता

गिलानी ने लोगों से चुनाव बहिष्कार की अपील की और घाटी में तीन सीटों पर होने वाले चुनाव के दिन हड़ताल का आह्वान किया है.

गिलानी का यह बयान हुर्रियत कांफ्रेंस के मुखिया मीरवाईज़ उमर फारूख़ द्वारा मोदी के प्रति नरम रुख़ अपनाने के संकेत दिए जाने के बाद आया है.

हुर्रियत के नरमपंथी नेता मीरवाईज़ ने कहा था कि उम्मीद है कि कश्मीर मुद्दे पर नरेंद्र मोदी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी के नक्शे-क़दम को अपनाएं.

इसी बीच जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट कर मोदी के दूतों की गोपनीय बातचीत पर सवाल उठाए और कहा कि धारा 370 और सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (अफस्पा) पर भाजपा का नज़रिया पहले से ही जगजाहिर है.

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