- हायर एजुकेशन संस्थानों में होगा जेंडर ऑडिट

- संस्थानों को तैयार करनी होगी छेड़छाड़ की वारदातों की रिपोर्ट

- यूजीसी ने यूनिवर्सिटी और कॉलेजों को जारी किया सर्कुलर

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DEHRADUN: हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूशंस में ग‌र्ल्स से छेड़छाड़ जैसे मामले संस्थानों की छवि ही नहीं यूजीसी रैंकिंग भी खराब कर देंगी। संस्थानों को ऐसे मामलों की रिपोर्ट तैयार कर यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन को भेजनी होगी। इतना ही नहीं ऐसे मामलों में क्या कार्रवाई की गई है, यह भी बताना होगा। जेंडर सेंसीटाइजेशन को गंभीरता से लेते हुए आयोग ने यह निर्णय लिया है। आयोग के मुताबिक संस्थानों की यह रिपोर्ट नैक एक्रेडिटेशन की रैंकिंग में भी आधार बनेगी।

शिकायतों की बनेगी वार्षिक रिपोर्ट

यूजीसी का मानना है कि अक्सर ग‌र्ल्स स्टूडेंट्स प्रॉब्लम्स से गुजरती हैं, लेकिन किसी से शेयर नहीं करतीं। कई मामलों में तो वे अपने फैमिली मेंबर्स से भी डिसकस नहीं कर पातीं। ऐसे में एक मानसिक दबाव ग‌र्ल्स के अंदर पनपने लगता है। इस दबाव के चलते यह अपनी जिंदगी तक दांव पर लगा बैठती है। इन्हीं प्रॉब्लम्स को कम करने के लिए यूजीसी ने संस्थानों का जेंडर ऑडिट करने का फैसला किया है। आयोग ने गर्ल स्टूडेंट्स को बेहर माहौल प्रदान करने के मकसद से यह कदम उठाया है। यूजीसी के सचिव प्रो। जसपाल संधु ने सभी यूनिवर्सिटीज और कॉलेजेज को लेटर लिखा है, इसमें उन्होंने लिखा है कि यूनिवर्सिटी और कॉलेज कैंपस में हुई छेड़छाड़ की सूचना यूजीसी को दी जाए। इसके अलावा यह भी बताया जाए कि प्रॉक्टोरियल बोर्ड ने शिकायत पर क्या कार्रवाई की है। वहीं, यूनिवर्सिटी और कॉलेजेज में बने वूमेन सेल भी आने वाली शिकायतों की वार्षिक रिपोर्ट तैयार करके आयोग को भेजेगी। यूजीसी इन सब रिपोर्ट को नैक मूल्यांकन में शामिल करेगा, जिससे यूनिवर्सिटी और कॉलेजेज की रैंक पर असर पड़ेगा।

तैयार करना होगा डाटाबेस

आयोग के निर्देशों के बाद संस्थानों को बीते सालों में हुए छेड़छाड़ के मामलों का डाटाबेस तैयार करना होगा। संस्थानों को लास्ट शैक्षिक सत्र में जो भी छेड़छाड़ की शिकायतें आई हैं, उनकी रिपोर्ट तैयार करनी होगी। साथ ही प्रॉक्टोरियल बोर्ड ने क्या कार्रवाई की है इसकी जानकारी भी आयोग को रिपोर्ट में देनी होगी।

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आयोग का मकसद है कि शिक्षण संस्थानों में ग‌र्ल्स को एक बेहतर माहौल दिया जाए। इसी को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है। ग‌र्ल्स सेफ्टी सुनिश्चित करने के लिए पहले भी आयोग ने कई दिशा निर्देश दिए हैं, लेकिन इस कदम के बाद संस्थानों में रैंकिंग को लेकर गंभीरता आएगी। इस फैसले का सकारात्मक असर देखने को मिलेगा।

--- प्रो। वीके जैन, वाइस चांसलर, दून यूनिवर्सिटी