प्रदेश भर में सिर्फ एक मेडिसिन टेस्टिंग लैब, समय पर जांच की अड़ंगा

दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने जाना दर्द ए दवा कैंपेन में एफएसडीए का हाल

BAREILLY :

केन्द्र सरकार की मरीजों को कम दामों पर जेनेरिक दवाएं मुहैया कराने की मंशा में अधूरी तैयारी आड़े आ रही है। डिस्ट्रिक्ट में मेडिसिन टेस्टिंग लैब नहीं होने के कारण एफएसडीए को सूबे में इकलौती टेस्टिंग लैब पर निर्भर रहना पड़ता है। इन अड़चनों के बीच दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने दर्द-ए-दवा में एफएसडीए की परेशानियों का हाल जाना। विभाग के पास मैन पावर तो पर्याप्त मात्रा में है, लेकिन संसाधानों का अभाव है। संसाधनों की कमी के चलते लोगों को सस्ती दवाएं मुहैया कराने में खासी दिक्कतें आ रही हैं।

कुछ ही कर रहे फॉलो

मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने 18 अप्रैल को लेटर लिखा। इसमें उसने आदेश दिया कि डॉक्टर्स मरीजों को जेनेरिक दवाएं कैपिटल लेटर में लिखें, ताकि आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों को भी दवाएं मिल सकें। डॉक्टर्स ने एमसीआई के इस आदेश को कूड़ेदान में डाल दिया। डिस्ट्रिक्ट के अधिकांश डॉक्टर्स ब्रांडेड दवाएं लिख रहे हैं। वहीं, कुछ डॉक्टर्स हैं जो एमसीआई के आदेश को फॉलो कर रहे हैं। वे मरीजों को जेनेरिक दवाएं ही प्रिस्क्राइब कर रहे हैं।

स्टाफ भरपूर, जांच से दूर

एफएसडीए के पास पर्याप्त मात्रा में स्टाफ है। ड्रग इंस्पेक्टर नवनीत कुमार ने बताया कि डिस्ट्रिक्ट में शासन द्वारा दो पद स्वीकृत हैं। दोनों ही पदों पर अधिकारी तैनात हैं। एक पद पर वह खुद तैनात हैं और फरीदपुर, आंवला, मीरगंज और बहेड़ी तहसील की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। वहीं, दूसरी डीआई उर्मिला वर्मा पर शहर और नवाबगंज तहसील का कार्यभार है। ड्रग इंस्पेक्टर ने बताया कि बरेली में दवाओं की कोई भी फैक्ट्री नहीं है। जबकि, कैम्फर एलाइड जैसी कुछ कंपनियां हैं। जो दवाओं में मिलाए जाने वाले सॉल्ट बनाती हैं।

सूबे में एक टेस्टिंग लैब

उन्होंने बताया कि जिले में कोई भी मेडिसिन टेस्टिंग लैब नहीं है। उन्होंने बताया लखनऊ के अलीगंज में सूबे की एकमात्र टेस्टिंग लैब है, जहां पूरे प्रदेश से जब्त दवाओं के सैंपल भेजे जाते हैं। यही लैब सैंपल टेस्ट कर रिपोर्ट तैयार करती है। जिसके आधार पर विभागीय अधिकारी कार्रवाई करते हैं।

तैयार है विभाग

डीआई नवनीत कुमार ने बताया कि विभाग पूरी तरह अलर्ट है। डिस्ट्रिक्ट में कहीं से भी नकली या घटिया जेनेरिक या ब्रांडेड दवाओं की शिकायत आती है, तो विभाग तुरंत छापेमार कार्रवाई को अंजाम देगा। सैंपल लेकर जांच के लिए लखनऊ भेजेगा। साथ ही रिपोर्ट आने पर उसके आधार पर कार्रवाई करेगा।

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वर्जन

विभाग के पास पर्याप्त मात्रा में स्टाफ है। साथ ही विभाग पूरी तरह अलर्ट है। कहीं से भी नकली या घटिया जेनेरिक दवाओं की शिकायत मिलने पर छापेमार कार्रवाई होगी।

नवनीत कुमार, डीआई