- मेडिकल स्टोर पर नहीं है अनुभवी फार्मेसिस्ट

- जेनेरिक दवा मिलने में मरीजों को हो रही मुश्किल

- मार्केट में उपलब्धता न होने के कारण भी परेशान होते हैं मरीज

मेरठ। प्राइवेट डॉक्टरों के लिए जेनरिक दवा लिखना फिलहाल आसान नही है। दरअसल, इन दिनों मेडिकल स्टोर में दवा उपलब्धता कम है। लिहाजा मरीजों को जेनेरिक दवाओं के लिए भटकना पड़ता है। मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के इस आदेश को लागू करने में अभी समय लगेगा।

फार्मेसिस्ट होगा अनिवार्य

मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के आदेश के बाद अब मेडिकल स्टोर को फार्मेसिस्ट रखना अनिवार्य हो गया है। दरअसल, जेनेरिक प्रिस्क्रिप्शन में दवा का साल्ट लिखा जाता है। ऐसे में मेडिकल स्टोर पर अनुभवी फार्मेसिस्ट का होना जरूरी है। लेकिन हकीकत में अभी मेडिकल स्टोर में फार्मेसिस्ट नहीं है। लिहाजा मरीजों को जेनेरिक दवाएं मिलना फिलहाल मुश्किल होगा। गौरतलब है कि शहर में करीब तीन हजार मेडिकल स्टोर हैं। लिहाजा तीन हजार मेडिकल स्टोर पर फार्मेसिस्ट रखना भी आसान नहीं होगा। जेनरिक दवा को अभी महज सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर ही लिख रहे हैं।

नए प्रिंट से चलेगा काम

दवा कारोबारियों की माने तो जब तक बाजार में जेनरिक दवाओ का नया प्रिंट नहीं आ जाता है। तब तक मरीजों को जेनरिक दवाओं का कुछ लाभ नहीं होने मिलने वाला है।

जेनरिक दवाओ के लिए अभी ज्यादा लोग नहीं आ रहे हैं। महज जिला अस्पताल में ही यह दवा लिखी जा रही है। जब तक प्राइवेट डॉक्टर इनको लिखना शुरू नहीं करेंगे। तब तक जेनरिक दवा का कारोबार नहीं बढ़ने का है।

रजनीश कौशल, मेट्रो एजेंसी दवा कारोबारी

दुकानों के हिसाब से अभी फार्मेसिस्ट नहीं है। इसींिलए किसी ने दो दुकान तो किसी ने बाहर से भी अपनी दुकान पर फार्मेसिस्ट को हॉयर किया है। जेनरिक दवा का जब तक नया प्रिंट नहीं आएगा तब आम आदमी को लाभ नहीं होगा।

वीके सिंह, अध्यक्ष फार्मेसिस्ट एसोसिएशन मेरठ

जेनरिक दवा को यदि लागू करना है तो पहले डॉक्टरों को लिखना शुरू करना होगा। केवल सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों के लिखने से कुछ नहीं होगा। दूसरा मेडिकल काउंसिल के नियम के अनुसार दवाओं का नए प्रिंट भी आना चाहिए।

नीरज अरोड़ा, महामंत्री मेडिकल स्टोर एसोसिएशन मेरठ