-दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के कैंपेन दर्द ए दवा में बोले केमिस्ट

-सरकार को ब्रांडेड दवाओं के दाम करने चाहिए फिक्स

BAREILLY :

आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों को बेहतर सुविधाएं मिलें। पैसे की तंगी उनके इलाज में बाधा नहीं बने। साथ ही, डॉक्टर्स मोटे कमीशन के चलते मरीजों को महंगी दवाएं न लिखें। इसके लिए मेडिकल काउंसिल ने पहल शुरू की। उसने डॉक्टर्स को आदेश दिया कि वे जेनेरिक दवाएं कैपिटल लेटर में लिखें। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के कैंपेन दर्द-ए-दवा में केमिस्ट बोले कि सिर्फ जेनेरिक दवाओं के लिखने से मरीजों को सहूलियत नहीं मिलेगी। सरकार को ब्रांडेड दवाओं के दाम भी फिक्स करने चाहिए। इससे जहां मरीजों को बेहतर दवाएं मिलेंगी। वहीं, उन्हें ब्रांडेड दवाओं के लिए ज्यादा पैसे नहीं चुकाने होंगे।

2000 हैं मेडिकल स्टोर

डिस्ट्रिक्ट बरेली केमिस्ट एसोसिएशन के सचिव रितेश मोहन गुप्ता ने कहा बताया कि डिस्ट्रिक्ट में करीब 2000 मेडिकल स्टोर हैं। इनमें से करीब 1200 मेडिकल स्टोर ग्रामीण क्षेत्रों में हैं। उन्होंने बताया कि जिसे भी इंग्लिश पढ़ना आता है, वह मेडिकल स्टोर खोल लेता है। ग्रामीण क्षेत्रों में झोलाछाप डॉक्टर्स के यहां कोई भी लड़का प्रैक्टिस कर दवाओं की नॉलेज ले लेता है। इसके बाद वह मेडिकल स्टोर खोल लेता है। दवाओं की नॉलेज के आधार पर वह दवाएं तो निकाल लेता है, लेकिन उसे दवाओं के सॉल्ट के बारे में जानकारी नहीं होती है।

गलत दवाएं मिलने के बढ़ जाएंगे चांसेज

उन्होंने बताया कि जब डॉक्टर्स दवाओं के जेनेरिक दवाओं के नाम लिखेंगे, तो ऐसे में उन्हें गलत दवाओं के मिलने के चांस बढ़ जाएंगे। क्योंकि, अधिकांश मेडिकल स्टोर संचालक दवाओं को उनके ब्रांड से पहचानते हैं।

कंफ्यूज होगा मरीज

सचिव ने बताया कि डॉक्टर्स जब जेनेरिक दवाएं लिखेंगे, तो ऐसे में मरीज कंफ्यूज होगा। क्योंकि, सभी मेडिकल स्टोर मनचाहे दामों पर दवाएं बेचेंगे। ऐसे में मरीज को विवेक का इस्तेमाल करना पड़ेगा। वहीं, मरीज आए दिन मेडिकल स्टोर संचालक से लड़ेगा। वह मेडिकल स्टोर संचालक पर महंगी दवा बेचने का आराेप लगाएगा।

फार्मासिस्ट की कमी अाएगी आड़े

उन्होंने बताया कि जेनेरिक दवाओं को देने में फार्मासिस्ट की कमी आड़े आएगी। हर मेडिकल स्टोर पर फार्मासिस्ट को बैठना होगा। क्योंकि, वही जेनेरिक दवाओं का जानकार होता है।

मेडिकल स्टोर संचालकों को राहत

वहीं, जेनेरिक दवाओं के लिखने से मेडिकल स्टोर संचालक को काफी राहत मिलेगी। कम खर्चे में मेडिकल स्टोर खोला जा सकेगा। अलग-अलग ब्रांड की ही एक दवा नहीं लिखनी होगी। दवा एक्सपायर होने का खतरा काफी कम हो जाएगा।

मरीजों को सहूलियत

मरीजों को दवाएं लेने लिए चुंनिदा मेडिकल स्टोर तक दौड़ नहीं लगानी होगी। दवाओं के लिए कम दाम चुकाने होंगे। किसी नामी-गिरामी ब्रांड की दवाओं के लिए भटकना नहीं होगा।

वर्जन

सरकार की पहल अच्छी है। लेकिन, सरकार को इसके अलावा ब्रांडेड दवाओं के दाम फिक्स कर देने चाहिए। इससे मरीजों को जहां एक ओर बेहतर दवाएं मिलेंगी। वहीं, दूसरी ओर कम दाम चुकाने होंगे।

राजेश मोहन गुप्ता, सचिव डिस्ट्रिक्ट बरेली केमिस्ट एसोसिएशन