ब्रांडेड एमआरपी पर बिक रही जेनेरिक दवाएं

नंबर गेम

- 1.35 लाख करोड़ रुपए का देश में है दवा का कारोबार

- 35 हजार करोड़ जेनेरिक दवाओं का कारोबार

- 14 मल्टीनेशनल कंपनियां ही जेनेरिक दवा का कर रही हैं निर्माण

LUCKNOW:

देश में दवा कंपनियां मरीजों को जमकर लूट रही हैं। ब्रांडेड हो या जेनेरिक दोनों ही दवाएं एक ही एमआरपी पर बेची जा रही हैं। जबकि इसके लिए जिम्मेदार आंखें मूंदे हैं। हमारे देश में दवाओं का कारोबार लगभग एक लाख 35 हजार करोड़ का है जबकि जेनेरिक दवाओं का कारोबार लगभग 35 हजार करोड़ का है। सरकार कह रही है कि सस्ती दरों पर जेनेरिक दवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। एमसीआई ने भी अपना दोबारा आदेश जारी कर दिया। फिर भी कंपनियां आदेश को धता बताते हुए अपने पुराने रुख पर कायम हैं।

नहीं उठा रहे ठोस कदम

पिछले डेढ़ दशक से ज्यादा समय से जेनेरिक दवाओं को बढ़ावा देने और दवाओं के रेट कम कराने के लिए काम कर रहे फार्मा एक्टिविस्ट अशोक भार्गव का दावा है कि कंपनियां जेनेरिक के नाम पर ठग रही हैं। अशोक भार्गव की याचिका पर ही प्रधानमंत्री कार्यालय ने दवाओं के रेट कम करने के आदेश दिए थे, लेकिन जेनेरिक दवाएं भी ब्रांडेड की एमआरपी पर बेची जा रही हैं। दवा कंपनियां और दवा विक्रेता दोनों ही चिकित्सकों के साथ मिलकर मरीज की जेब पर डाका डाल रहे हैं। पीएमओ के आदेश पर भी स्वास्थ्य मंत्रालय व नेशनल फार्मास्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी ने अब तक जेनेरिक दवाओं के रेट कम करने में कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। ब्रांडेड और जेनेरिक दवाएं दोनों ही मार्केट में एक ही एमआरपी पर बिक रही हैं। सिर्फ अंतर यह है कि केमिस्ट को ब्रांडेड दवा महंगी बिलिंग से मिलती है और जेनेरिक दवा कम बिलिंग पर। सरकार की छूट पर कंपनियां लूट रही है।

बहुत बड़ा है अंतर

अशोक भार्गव ने दावा कि लखनऊ देश में मेडिसिन की दूसरी सबसे बड़ी मंडी है। यहां से आस पास के कई राज्यों को दवा सप्लाई की जाती है। अब सरकार जेनेरिक को बढ़ावा दे रही है। सभी 14 मल्टीनेशनल कंपनियां ब्रांडेड के साथ ही जेनेरिक दवा का निर्माण कर ही हैं। लेकिन यहां जो दवा पहुंच रही है वह बहुत महंगी है।

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