-जर्मन लैंग्वेज ने बढ़ाई स्टूडेंट्स की परेशानी

-लोयला स्कूल में पिछले साल शुरू की गई थी जर्मन लैंग्वेज की पढ़ाई

-स्टूडेंट्स को जर्मन लैंग्वेज समझने में हो रही दिक्कत

JAMSHEDPUR : किसी नई भाषा को सीखना नॉलेज को बढ़ाता है पर स्टूडेंट के लिए अगर ये स्ट्रेस का वजह बन जाए तो सवाल खड़े होते हैं। शहर के लोयला स्कूल में कुछ ऐसा ही हो रहा है। स्कूल में जर्मन लैंग्वेज का कोर्स स्टूडेंट्स के साथ-साथ पैरेंट्स के परेशानी का सबब भी बनने लगा है। शनिवार को जर्मन लैंग्वेज के क्लास के दौरान हुए पैरेंट्स मीटिंग में कई पैरेंट्स ने इस बात को लेकर रोष जताया।

हो गई है परेशानी

लोयला स्कूल में क्लास ब् से 7 तक के स्टूडेंट्स के लिए थर्ड लैंग्वेज के तौर पर पिछले साल जर्मन लैंग्वेज की शुरुआत की गई है। इसे लेकर स्टूडेंट और पैरेंट्स भी काफी उत्साहित थे, लेकिन पर ये उत्साह अब ठंडा पड़ने लगा है। अब हालत ये हो गई है कि कई स्टूडेंट अब जर्मन लैंग्वेज पढ़ना नहीं चाहते। पैरेंट्स ने बताया कि जर्मन के बजाय बच्चे थर्ड लैंग्वेज के तौर संस्कृत लेना चाहते हैं पर स्कूल द्वारा ऐसा नही करने दिया जा रहा है।

पढ़ाई के तरीके पर उठाया सवाल

एक पैरेंट रेणू सिंह ने बताया कि वीक में सिर्फ एक दिन स्कूल में फ्भ् मिनट का जर्मन लैंग्वेज का क्लास करवाया जाता है। एक बैच में म्0 बच्चे होते हैं, ऐसे में सभी बच्चों के लिए सही तरीके से पढ़ना और अपने डाउट क्लियर करना काफी मुश्किल है। रेणू सिंह ने जर्मन लैंग्वेज के टीचर के पढ़ाई के तरीके पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि जो स्टूडेंट जर्मन लैंग्वेज में अच्छे हैं उन्हें क्लास में सबसे आगे बैठाया जाता है जबकि जो बच्चे कमजोर हैं उन्हें पीछे बैठाया जाता है। साथ ही बच्चों के प्रति टीचर का एटीट्यूड भी ठीक नही जिसकी वजह से पढ़ाई के दौरान किसी चीज के समझने में दिक्कत हो तो टीचर से पूछने से भी डरते हैं। पैरेंट्स ने ये भी कहा कि जर्मन लैंग्वेज का टेस्ट का रिजल्ट भी स्टूडेंट्स को घर नहीं लाने दिया जाता है।

रिजल्ट पर पड़ रहा असर

जर्मन लैंग्वेज के चक्कर में स्टूडेंट्स के रिजल्ट पर भी असर पड़ रहा है। पैरेंट्स ने बताया कि जो बच्चे क्लास में टॉप आते थे, जर्मन लैंग्वेज में ग्रेड कम मिलने से उनका ओवरऑल ग्रेड बिगड़ रहा है। पैरेंट्स ने कहा कि जर्मन लैंग्वेज में ज्यादातर बच्चों को डी ग्रेड आता है। उन्होंने कहा कि इन बातों को स्कूल की जूनियर सेक्शन की इंचार्ज पिंकी मिधा के सामने भी उठाया गया, लेकिन उन्होंने इस प्रॉब्लम को दूर करने के लिए कोई पहल नहीं की। पैरेंट्स ने कहा कि जर्मन लैंग्वेज की जानकारी ना होने की वजह से वे भी बच्चों को पढ़ा नही पाते ऐसे में बच्चों की ये लैंग्वेज सीखने में काफी परेशानी हो रही है।

जर्मन लैंग्वेज सीखने में बच्चों को काफी परेशानी हो रही है। इस बात को लेकर पैरेंट्स ने जूनियर सेक्शन की इंचार्ज से शिकायत भी की है।

रेणू सिंह, पैरेंट

जर्मन लैंग्वेज का कोर्स शुरू हुए अभी एक ही साल हुए हैं इसलिए थोड़ी समस्या आ रही है। रिजल्ट को लेकर पैरेंट्स ने शिकायत की है। इसे देखते हुए रिजल्ट में मिली ग्रेडिंग को सुधारा जा रहा है। कोशिश की जा रही है कि अगले साल से इस तरह की समस्या ना आए।

-फादर सेबेस्टियन पुथनपुरा, प्रिंसिपल, लोयला स्कूल