पूरी दुनिया और खासकर  साउथ एशिया में गजल सम्राट के रुप में पहचाने जाने वाले जगजीत सिंह ने सोमवार सुबह लीलावती अस्पताल में अंतिम सांस ली. वे पिछले 18 सितंबर से ब्रेन हेमरेज के बाद इस अस्पताल में भर्ती थे. उनके अस्पताल में भर्ती होने के बाद से ही उनके जल्द स्वस्थ्य होने के लिए लोग दुआएं कर रहे थे लेकिन अफसोस ऐसा हो न सका.

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उधर, पाकिस्तान में भी उनकी सलामती के लिए लोग दुआएं कर रहे थे. पिछले दिनों इस्लामाबाद के एक कैफे ‘चाय खाना’ में जगजीत सिंह की गजलें सुनाईं जा रही थीं और लोग सिंह के जल्द ठीक होने की दुआ भी कर रहे थे. दरअसल अगस्त के अंतिम हफ्ते में ही सिंह ने पाकिस्तान के गजल गायक गुलाम अली के साथ एक प्रस्तुति दी थी. उनकी बीमारी के बाद से कैफे की हर मेज पर विशेष पेपर मैट रखे गए थे, जिनमें सिंह के लिए दुआ संबंधित बातें लिखी थीं. इन पर सिंह की तस्वीर के साथ एक मैसेज भी लिखा था, जिसके मुताबिक लगभग 80 एलबमों और असंख्य गानों के साथ सिंह को भारत को तीसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित किया जा चुका है. उनकी हालत बहुत नाजुक है 'चाय खाना' उनके जल्द ठीक होने की दुआ करता है.

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(Young Jagjit Singh)

सोमवार सुबह जगजीत सिंह के नहीं रहने की खबर जैसे ही फ्लैश हुई, म्यूजिक इंडस्ट्री में शोक की लहर दौड़ पड़ी. दरअसल जगजीत सिंह साहब किसी परिचय के मोहताज नहीं है. उनकी गायी हुयी ग़ज़लें पिछले तीन दशको से हम सब के दिलो को राहत दे रही है. जिंदगी के हर पल के लिए गजल के इस शहंशाह ने अपनी आवाज दी. वह चाहे होंठो से छू लो तुम..' हो या फिर 'वो कागज की कश्ती' हो. उनकी आवाज युवाओं के दिलों में सबसे पहले जगह बनाती थी. वे खुद भी कहते थे कि युवाओं को गजल सुननी चाहिए और गानी भी चाहिए.

एक बातचीत में वर्तमान दौर के शायरों पर बात करते हुए जगजीत सिंह ने कहा था कि फैज अहमद फैज इस सदी के सबसे अहम शायर हैं और फिराक के बाद उनका ही नाम जुबां पर आता है. उन्होंने कहा था, मुझे लगता हैं कि फैज इस समय के सबसे अहम शायर हैं और इस सेंचुरी के सबसे बड़े शायरों में फिराक गोरखपुरी के बाद उनका ही नाम जुबां पर आता है. सिंह ने फैज साहब की कई गजलें गायी थी.

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अपने एलबम में गजल के चुनाव के बारे में जगजीत सिंह कहते थे, "शायर नहीं बल्कि मेरे लिए शायरी सबसे अधिक महत्वपूर्ण होती है और किसी भी गजल को एलबम के लिए चुनते वक्त मैं अपनी छवि, व्यक्तित्व, आवाज और प्रजेंटेशन का खास ख्याल रखता हूं"

एक अन्य शायर सुदर्शन फाकिर साहब से जुड़ी यादों को जगजीत सिंह अक्सर साझा करते थे. फकिर साब के बारे में उन्होंने कहा था,  "फकीर साहब जालंधर आकाशवाणी में काम करते थे और मैं उस वक्त कालेज में पढ़ता था. मैंने उनकी कई गजलों को आकाशवाणी के लिए गाया था. वे मेरे दिल के सबसे करीब थे..खासकर उनके शब्द."

गौरतलब है कि जगजीत सिंह की गायी गई फकीर की गजल वो कागज की कश्ती.. और पत्थर के खुदा.. बेहद लोकप्रिय हुई थी. वहीं उनका गुलजार के साथ गजब का कांबिनेशन था. मरासिम और टेली सीरियल मिर्जा गालिब की गजल गाने वाले जगजीत सिंह ने गुलजार बारे में बताया था, " गुलजार साब इंडीपेंडेंट, मल्टी टॉस्कींग हैं और शब्दों के बारे में उनकी समझ का तो कोई सानी ही नहीं है वह अपनी गजल में लोक शब्दों का भी खुलकर प्रयोग करते हैं."

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(With Gulzar)

हिन्दुस्तान और पाकिस्तान और पूरे उपमहाद्वीप के गजल गायकों में जगजीत सिंह का नाम बहुत ही सम्मान से लिया जाता है. आम लोगों में गजलों को लोकप्रिय बनाने में उनका अहम योगदान है. उन्होंने हिन्दी के अलावा पंजाबी, बांग्ला, उर्दू, गुजराती, सिंधी और नेपाली में भी कई गीत-गजल गाए. 2003 में भारत सरकार ने कला में उनके खास योगदान के लिए पद्म भूषण से सम्मानित किया था. लाखों दिलों को अपनी नज्मों और गजलों से छूनेवाले जगजीत सिंह गंभीर बीमारी से जूझते हुए अपने पीछे एक सुरीला संसार छोड़ गए.

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