-मां बाप की फटकार पर बच्चे उठा रहे हैं जानलेवा कदम

-एक सप्ताह के अंदर दो बच्चों ने किया सुसाइड

-रविवार को भी पिता का बेटी पर फूटा गुस्सा तो उसने आग लगाकर दे दी जान

VARANASI

बदलते परिवेश में बच्चों को डांटना फटकारना भी अब मां-बाप के लिए मुसीबत का सबब बनता जा रहा है। बच्चों पर इस डांट का इतना बुरा असर पड़ रहा है कि वो जान देने तक जैसा खतरनाक कदम उठा ले रहे हैं। बीते एक सप्ताह के अंदर ऐसे दो चौंकाने वाले मामले सामने आये हैं। जिनमें शनिवार को चोलापुर में क्ख् साल की एक बच्ची ने मां की डांट से नाराज होकर फांसी लगा ली। ताजा घटना इसके ठीक एक दिन बाद रविवार को चौबेपुर में हुई। यहां पिता की फटकार से क्षुब्ध होकर किशोरी ने खुद को आग लगा ली। बाद में उसकी मौत भी हो गई।

कमरा बंद कर लगा ली आग

चौबेपुर के लटौनी गांव में राकेश वर्मा ने शनिवार को किसी बात को लेकर बेटी रिचिता वर्मा (क्भ् वर्ष) को डांट दिया था। जिसके बाद उसने खुद को कमरे में बंद कर मिट्टी का तेल उड़ेलकर आग लगा ली। उधर मां ने जब उसकी चीख पुकार सुनी तो कमरे की तरफ दौड़ी। कमरे का दरवाजा अंदर से बंद मिला तो उन्होंने शोर मचाया लेकिन जब तक गांव वाले वहां पहुंचकर दरवाजा तोड़ते, किशोरी जलकर दम तोड़ चुकी थी। किशोरी सारनाथ स्थित एक स्कूल में कच्छा दस की छात्रा थी।

बच्चों का रखना होगा ख्याल

- आज के बदलते परिवेश में बच्चों के साथ ऊंची आवाज में बात करना भी उनके दिल को चोट पहुंचा सकता है।

-क्योंकि पढ़ाई के बोझ और दोस्ती के चलते बच्चे घर वालों से दूर होते जाते हैं।

- पेरेंट्स भी बच्चों को सिर्फ अपनी उम्मीदें पूरी करने के रूप में देखते हैं।

- कोई भी मांग पूरी करने के एवज में पेरेंट्स बच्चों से अक्सर अपनी कोई इच्छा पूरी करने की शर्त रख देते हैं।

- बच्चे इसे पूरा करने की बात कह तो देते हैं लेकिन जब पेरेंट्स की इच्छाएं पूरी होती नहीं दिखतीं तो वो डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं।

- इसके कारण ही छोटी छोटी बातें उनको इस कदर चुभती हैं कि वो जान देने जैसा कदम उठाने से भी नहीं हिचकते।

जरूरी है कि बनें दोस्त

- बच्चों के अंदर सुसाइडल की भावना के आने से बचाने के लिए पेरेंट्स को अवेयर होना होगा

-साइक्रिएट्रिस्ट डॉ। संजय गुप्ता का कहना है कि बच्चों के साथ पेरेंट्स को मां बाप नहीं बल्कि फ्रेंड बनकर रहना चाहिए।

- इसके लिए पेरेंट्स को बच्चों की छोटी छोटी बातों पर रियेक्ट करना छोड़ना होगा।

- टेस्ट में कम नंबर आना, प्रैक्टिकल में कम नंबर आना या फिर अटेंडेंस कम होने जैसी शिकायतों पर उसे डांटकर नहीं समझाकर उनका साथ देना होगा।

-इसके अलावा घर में भाई बहन से झगड़ा, होमवर्क न होना, फोन पर बात करना जैसी बातों पर भी पेरेंट्स को तुरंत रियेक्शन देकर बच्चों को डांटना फटकारना नहीं चाहिए।

- अगर बच्चे टेंशन में हैं तो उनके साथ बैठकर बातचीत करें ताकि वो खुद को अकेला न फील करें