ड्राइवर अंकल का रहता है खौफ

सिटी के ज्यादातर कान्वेंट और इंग्लिश मीडियम स्कूल्स के बच्चे बस, वैन या फिर ऑटो से आते-जाते हैं। लेकिन इन वेहिकल्स से आने वाले बच्चे, खासतौर पर गल्र्स अपने ड्राइवर से डरती हैं। एक खास किस्म के मेंटल डिसऑर्डर के शिकार ड्राइवर्स?इन गल्र्स?को अपना निशाना बनाते हैं। वे उन्हें अपने पास बिठाते हैं और उनके साथ उल्टी-सीधी हरकतें करते हैं। ऑटो व बस ड्राइवर्स?के ऐसे बिहेवियर से स्कूल जाने वाली छोटी बच्चियां सहमी रहती हैं। वो स्कूल जाने से भी कतराती हैं। वो डरती हैं कि कहीं उनके साथ भी कोई गलत हरकत न हो जाए।

मजबूरन बैठना पड़ता है

स्कूली बस या फिर ऑटो से स्कूल जाने वाली गल्र्स स्टूडेंट्स की मानें तो अक्सर ड्राइवर्स अपने बगल वाली सीट पर बैठाने की कोशिश करते हैं। कई बार पीछे की सीट पर जगह नहीं होने के चलते मजबूरन उनके बगल में बैठना पड़ता है। ऐसा नहीं कि सारे ड्राइवर्स एक जैसे होते हैं, लेकिन कुछ ऐसे ड्राइवर्स हैं जो इस तरह के गलत काम करते हैं। नाम न पब्लिश करने की शर्त पर एक स्टूडेंट ने बताया कि पहले वह ऑटो से स्कूल आती-जाती थी, लेकिन ड्राइवर की हरकतों को देख ऐसा लगा कि ऑटो छोडऩा ही बेहतर होगा और मैने लास्ट में अपने पैरेंट्स को बताकर ऑटो छुड़वा ही दिया।

केस वन

मोहद्दीपुर में रहने वाली संगीता की बेटी सिटी के एक पब्लिक स्कूल में पढ़ती है। वह ऑटो से स्कूल आती-जाती है। एक दिन वह घर लौटने के बाद फूट-फूट कर रोने लगी। संगीत ने जब उससे रोने की वजह पूछा तो उसने कुछ नहीं बताया। कई दिनों तक संगीता उससे इस बारे में पूछती रहीं, लेकिन बेटी ने कुछ नहीं बताया। संगीता इस बात से काफी परेशान हो गईं और उन्होंने उसे एक साइकोलॉजिस्ट को दिखाया। साइकोलॉजिस्ट की पूछताछ में उसने बताया कि उनकी बेटी को काफी गहरा सदमा लगा है। कोई ऐसी घटना हुई है जो यह बताना नहीं चाह रही है। दो-तीन दिन बाद उनकी बेटी ने संगीता को बताया कि स्कूल ऑटो के ड्राइवर ने आगे की सीट पर बिठा कर उसे बैड टच किया था, जिसके चलते वह काफी डिप्रेशन में थी।

केस टू

सिटी में रहने वाले अंकिता बताती हैं कि उनकी दो बेटियां हैं, दोनों ही कान्वेंट स्कूल में पढ़ती हैं। एक बस से जाती है और दूसरी ऑटो से। अंकिता को सोसायटी में छोटी बच्चियों के साथ होने वाली घटनाओं को देखकर काफी डर लगता है। वो कहती हैं कि जब तक दोनों बेटियां घर नहीं आ जाती, तब मन में डर सा बना रहता है। एक दिन मेरी बड़ी बेटी रोते हुए घर आई और बोली मम्मी मुझे बस से नहीं जाना है। ड्राइवर अंकल ने पहले बैड टच किया और उसके बाद बहुत जोर से डांटा। दूसरे ही दिन मैने इसकी कंप्लेंट स्कूल के प्रिंसिपल से की और प्रिंसिपल ने उस ड्राइवर को स्कूल से निकाल दिया।

क्या कहते हैं साइकोलॉजिस्ट

साइकोलॉजिस्ट डॉ। धनंजय कुमार बताते हैं कि कई पुरुषों को पेडोफोलिया नाम का एक साइक्रिएट्रिक डिसऑर्डर होता है जिसके चलते वे छोटी उम्र की बच्चियों की ओर अट्रैक्ट होते हैं। इस डिसऑर्डर की वजह से वो बार-बार बच्चों को सेक्सुअली एक्सप्लॉयट करने की कोशिश करते हैं। ऐसी कंडीशन में पैरेंट्स को खासा अवेयर रहने की जरूरत होती है, खासतौर पर मां को। कभी ऐसी प्रॉब्लम आने पर तुरंत संबधित पर्सन की कंप्लेंट स्कूल के प्रिंसिपल या किसी जिम्मेदार अधिकारी से करें।

आई नेक्स्ट भी उठा चुका है आवाज

मासूम बच्चों के साथ होने वाली सेक्सुअल एब्यूज की घटनाओं को लेकर आई?नेक्स्ट पहले भी आवाज उठा चुका है। बच्चों को ऐसी घटनाओं से बचाने और पैरेट्स व स्कूल एडमिनिस्ट्रेशन को अवेयर करने के लिए आई नेक्स्ट 24 जुलाई 2013 से 27 जुलाई 2013 तक 'टच एजुकेशन' नाम को एक कैंपेन चला चुका है। जिसके बाद सिटी के लीडिंग स्कूल्स ने अपने यहां इन घटनाओं को रोकने के लिए बच्चों को काउंसिलिंग कराई थी।

report by : kumar.abhishek@inext.co.in