RANCHI: जिसने मानव तस्करी के जाल में फंसकर दलालों व कोठी पर मालिकों के जुल्म सहे, अब वही युवतियां गांव की बहनों को बचाने की मुहिम में जुट गई हैं। जी हां, लगभग क्भ्0 लड़कियों का यह चेन रांची व खूंटी के ग्रामीण इलाकों में घूम-घूम कर लापता लड़कियों की तलाश कर रहा है। उन्हें जहां बेचा गया है या काम पर भेजा गया है, उन लड़कियों को संस्था और पुलिस की मदद से रेस्क्यू भी करा रही हैं। इतना ही नहीं, ग्राम सभा और उस लड़की के परिजनों को भी मानव तस्करी, उससे पड़नेवाले दुष्प्रभाव, डायन प्रथा जैसी सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ जागरूक कर रही हैं।

ब्0 लड़कियां बनीं बहनों की ढाल

झारखंड स्टेट लीगल सर्विस अथॉरिटी(झालसा) व एसोसिएशन फॉर सोशल एंड ह्यूमन अवेयरनेस(आशा) की ओर से मानव तस्करी के खिलाफ लड़ने के लिए एक फौज तैयार की गई है। इन युवा पुरुष-महिलाओं को अपने-अपने गांवों में कानून, तस्करी के खिलाफ जागरूकता फैलाने का काम दिया गया है। ये युवा उन इलाकों से आते हैं, जहां मानव तस्करी सबसे ज्यादा होती है। इनमें रांची, खूंटी, गुमला, लोहरदगा व सरायकेला शामिल हैं। इस टीम में वैसे ब्0 युवा शामिल हैं, जो खुद कभी न कभी मानव तस्करी की शिकार हुई थीं। कुछ बंधुआ मजदूरी करने को भी बाध्य थे। अब ये लोग ही मानव तस्करी की शिकार अपने बहनों को न सिर्फ अपने घर लाने का बीड़ा उठाए हैं, बल्कि उनके पुनर्वास की दिशा में पहल करने की सोची है।

बेटियां लाएंगी बदलाव

रांची और खूंटी की पंचायतों में कराए गए आशा संस्था के सर्वे से पता चला है कि यहां से बाहर ले जाई गई करीब भ्भ् लड़कियां पिछले तीन-चार सालों से लापता हैं। संस्था के सहायक अजय जायसवाल ने कहा है कि ये लड़कियां जमीनी बदलाव लाएंगीं। लोग तस्करी पीडि़तों को वापस लाना चाहते हैं।

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मैं खुद लडूंगी और बहनों को बचाऊंगी

मानव तस्करी की शिकार हुई कोमल(नाम बदला हुआ) के मुताबिक, जब वह नाबालिग थी तभी उसके एक रिश्तेदार दिल्ली में उसे काम दिलाने ले गए। उस वक्त उसके मन में विचार आया कि घरेलू काम कर वह अपना और अपने परिवार का पेट पाल लेगी। लेकिन, जब वह दिल्ली पहुंची तो सीन कुछ और ही था। कोमल के मुताबिक, उससे काम तो लिया जाता था, लेकिन पगार के नाम पर कुछ नहीं मिलता था। समय पर भोजन मिलने पर भी आफत थी। उसे बेरहमी से पीटा जाता था। लेकिन, एक दिन वह भी मानव तस्करों के चंगुल से आजाद हो गई। हालांकि, उस सदमे से उबरने में उसे काफी समय लगे। लेकिन अब उसने तय किया है कि वह इसके खिलाफ लड़ेगी और अपनी बहनों को बचाएगी। कोमल कहती है कि मैं समाज में बदलाव लाने के लिए जो भी जरूरी होगा, उसे करूंगी।