- लेडीज साइकिल की मार्केट में बढ़ रही भागेदारी, 20 परसेंट बढ़ी बिक्री

- सायकोलॉजिस्ट के मुताबिक ग‌र्ल्स की कामयाबी में साइकिल का अहम रोल

BAREILLY: साइकिल महज दूरी तय करने का जरिया भर नहीं बल्कि आत्म निर्भर बनने की डगर का पहला कदम भी है। क्या कभी सोचा है कि बंद दरवाजों से लड़कियों को बाहर निकालने में साइकिल के रोल के बारे में। शायद नहीं। आज हम आपको बताएंगे कि कैसे साइकिल ने लड़कियों को आत्मनिर्भरता की उड़ान भरने में साथ दिया और कैसे लेडीज साइकिल ने मार्केट में बूम लाने का काम किया। शॉपकीपर्स के मुताबिक प्रजेंट टाइम में बाइकर्स की एवज में लेडीज साइकिल सलाना 20 परसेंट ज्यादा बिक्री होती है। दूसरी ओर, सोशलॉजिस्ट के मुताबिक साइकिल के सफर पर सवार ग‌र्ल्स खुद को जल्दी आत्मनिर्भर बनाती हैं।

साक्षर बनाने में की मदद

साइकोलॉजिस्ट नवनीत अहूजा के मुताबिक पहले समय में सफर तय करने का जरिया न होने की वजह से लड़कियों को स्कूल नहीं भेजा जाता था। वजह, कॉलेज से दूरी और वीरान रास्तों में हादसे का डर। जिनका दाखिला स्कूल में होता था, उन्हें भी नाम लिखवाने के बाद घर पर ही पढ़ाई करनी होती थी। ऐसे में, जब लेडीज साइकिल ने मार्केट में कदम रखा तो घंटों में पैदल तय होने वाला समय मिनटों में सिमट गया। जल्द घर पहुंचने, लाने और ले जाने की झंझट से मुक्ति मिलने से परिजनों ने लड़कियों को स्कूल में प्रॉपर क्लासेज अटेंड कराना शुरू कर दिया। जिसका नतीजा है कि आज पढ़ाई में ग‌र्ल्स अव्वल हैं। व्यवसाय, नौकरी व अन्य क्षेत्रों में बढ़चढ़कर पुरूषों से कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं।

लेडीज साइकिल से मार्केट में बूम

लड़कियों की पढ़ाई के लिए पेरेंट्स कंसर्न होते जा रहे हैं, जिसकी वजह से लेडीज साइकिल ने मार्केट में बूम लाने का काम किया है। मांग बढ़ती गई तो बाजार बढ़ता गया। साइकिल स्टोर ओनर अर्चित सेठी ने बताय कि छोटे शहरों से लेकर मेट्रो सिटीज में लड़कियां स्कूलिंग के लिए साइकिल प्रिफर करती हैं। ब्वॉयज साइकिल से करीब 20 परसेंट ज्यादा लेडीज साइकिल की बिक्री हो रही है। इसमें भी सुपर बाइक्स की डिमांड ज्यादा है क्योंकि स्टाइलिश फीचर्स ने साइकिल पर सवार ग‌र्ल्स को सुपर गलर्स बना दिया है। इन साइकिल में पांच गियर्स, डबल शॉकर्स और पावर ब्रेक फीचर अबलेबल हैं। जिनकी कीमत 30 हजार से 4 लाख तक है। इन्होंने ग‌र्ल्स की फिटनेस और फैशन को भी ध्यान में रख रही हैं।

साइकिल ने बदले कई रंग

शॉपकीपर्स के मुताबिक करीब 15 वर्ष पहले बरेली के मार्केट में लेडीज साइकिल ने एंट्री की थी। उस समय फ्रंट में लगी बास्केट और कलर फुल साइकिल ग‌र्ल्स की पहली पंसद थी। लेकिन समय के साथ मांग के अनुसार धीरे धीरे लुक और फीचर्स, रफ एंड टफ हो गए। डोमेस्टिक कंपनीज भी लेडीज साइकिल में कई तरह के एक्सपेरिमेंटल चेंजेज करते हुए अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। उन्हें एलॉय व कार्बन मेटल के फ्रेम में मोल्ड किया जो हल्की और खूबसूरत होती हैं। एलॉय मेटल फ्रेम की साइकिल का वेट 6 से 8 किलो जबकि कार्बन मेटल वाली साइकिल का वेट 3 से 4 केजी होता है।