-गोरखपुर क्रिकेट एसोसिएशन ग‌र्ल्स के लिए नहीं कराता खुद कोई मैच

- स्पांसरर मिलने की कंडीशन में ऑर्गनाइज होता है टूर्नामेंट

- वरना यूपीसीए के फंड से सिर्फ ब्वाएज की लीग या टूर्नामेंट होता है ऑर्गनाइज

GORAKHPUR: गोरखपुर का स्पो‌र्ट्स एसोसिएशन ग‌र्ल्स और ब्वाएज के बीच भेदभाव करता है। यह हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि उनकी कारगुजारियां इस बात को साफ बयां कर रही है। पूरे साल में स्पांसरर न मिलने की वजह से ग‌र्ल्स के लिए एक भी टूर्नामेंट नहीं हुआ, जबकि जीसीए ने ब्वाएज के लिए कई टूर्नामेंट कराया, जिसमें कुछ स्पांसर और कुछ में उसने खुद पैसा खर्च किया। इस वजह से ग‌र्ल्स को प्लेटफॉर्म नहीं मिलता और उनका टैलेंट धरा का धरा रह जाता है।

फंड में ग‌र्ल्स को कोई शेयर नहीं

गोराखपुर में क्रिकेट को बढ़ावा देने के लिए यूपी क्रिकेट एसोसिएशन ने 2007 में जीएसए को सुविधाएं देना स्टार्ट कर दिया। इस दौरान मेंस और वुमंस क्रिकेट का मर्जर भी हो गया, जिसे बीसीसीआई ने टेक ओवर किया। इसके बाद से बीसीसीआई, यूपीसीए के जरिए जीसीए को क्रिकेट बढ़ाने के लिए हर साल फंड मुहैया करा रहा है। यह ग‌र्ल्स और ब्वाएज दोनों के लिए ही है, लेकिन गोरखपुर क्रिकेट ऐसोसिएशन के जिम्मेदार सिर्फ ब्वाएज क्रिकेट पर ही सारा करम कर रहे हैं, वहीं ग‌र्ल्स पर उनकी नजरे इनायत नहीं हो पा रही है, जिसकी वजह से साल भर ब्वाएज के लीग होने के साथ ही कई टूर्नामेंट भी हो जा रहे हैं, लेकिन ग‌र्ल्स एक टूर्नामेंट की भी राह देख रही हैं।

स्पांसर नहीं दिखाते इंटरेस्ट

गोरखपुर के ब्वाएज क्रिकेट टूर्नामेंट के लिए तो स्पांसर राजी हो जाते हैं, लेकिन जब बात ग‌र्ल्स क्रिकेट की आती है तो सभी जिम्मेदार बैकफुट पर आ जाते हैं। ग‌र्ल्स के मामले में कोई इनवेस्ट करना नहीं चाहता। इस वजह से बाहर की टीम्स तो दूर गोरखपुर और आसपास की टीम्स के बीच भी गेम्स नहीं हो पाते। इसकी वजह से टैलेंट होने के बाद भी ग‌र्ल्स के पास उनका हुनर दिखाने के लिए कोई प्लेटफॉर्म नहीं मिलता। वहीं यूपी टीम्स के लिए ट्रायल होता है तो खुद प्रैक्टिस कर वह आगे बढ़ती हैं और किसी तरह ट्रायल देती हैं।

साल भर सिफर् प्रैक्टिस

गोरखपुर की ग‌र्ल्स क्रिकेटर्स को गेम्स के नाम पर एक्का-दुक्का मैच ही मिलते हैं। वह भी तब जब किसी टूर्नामेंट में शामिल होने के लिए ग‌र्ल्स टीम कहीं जाती है। इसमें जुगाड़ से बनी टीम में शामिल क्रिकेटर्स थोड़ा बहुत कमाल दिखा पाती है। इसको छोड़ दिया जाए तो उन्हें साल भर सिर्फ प्रैक्टिस कर संतोष करना पड़ता है। इस वक्त जीसीए ग्राउंड पर करीब आधा दर्जन ग‌र्ल्स प्रैक्टिस के लिए पहुंचती हैं, जो रोजाना ग्राउंड पर ट्रायल के लिए प्रैक्टिस कर वापस लौट जाती हैं।

2013 में आखिरी बड़ा टूर्नामेंट

गोरखपुर में यूं तो कई फ्रेंडली मैच ऑर्गनाइज हुए हैं, लेकिन बड़े टूर्नामेंट की बात की जाए, तो यह उंगलियों पर गिना जा सकता है। इसमें भी जीसीए को कोई रोल नहीं रहा है। 1990 में वुमंस का नेशनल टूर्नामेंट ऑर्गनाइज हुआ। इसके बाद वुमंस क्रिकेट एसोसिएशन ने 1993 में सेंट्रल जोन ग‌र्ल्स क्रिकेट टूर्नामेंट गोरखपुर में ऑर्गनाइज कराया। 2003 में भी स्टेट लेवल का एक कॉम्प्टीशन ऑर्गनाइज किया गया। 2011 में ऑर्गनाइज स्टेट टूर्नामेंट का फाइनल लखनऊ और आगरा के बीच खेला गया। इसमें व‌र्ल्ड कप फाइनल में टीम इंडिया का हस्सा रही दीप्ति शर्मा ने भी अपना हुनर दिखाया था, लेकिन इसमें आगरा की टीम जीत हासिल करने में कामयाब न हो सकी। 2013 में आखिरी बड़ा टूर्नामेंट शीला गोल्ड कप हुआ। इसके बाद गोरखपुर में अब तक कोई बड़ा मुकाबला नहीं हुआ है।

वर्जन

गोरखपुर क्रिकेट एसोसिएशन ने आज तक कोई भी ग‌र्ल्स टूर्नामेंट नहीं कराया है। मैंने प्रयास कर कुछ स्टेट टूर्नामेंट कराए हैं। शीला गोल्ड कप में ग‌र्ल्स का स्टेट टूर्नामेंट मैंने 2013 में कराया था, इसके बाद कोई टूर्नामेंट नहीं हुआ है।

- रीना सिंह, कोच एंड सेक्रेटरी, वुमंस क्रिकेट एसोसिएशन

ग‌र्ल्स की तादाद काफी कम है, इसकी वजह से टूर्नामेंट नहीं हो पाते। लास्ट ईयर स्कूल्स को मोटीवेट कर टीम्स बनाई गई थी और लीग मैच कराया गया था। इस बार भी बरसात के बाद कोशिश की जाएगी।

- शफीक सिद्दीकी, ज्वाइंट सेक्रेटरी, जीसीए