- ग‌र्ल्स एजुकेशन में बिहार नीचे से तीसरे स्थान पर

- सरकारी प्रयास से हो रहा है बदलाव

PATAN : बिहार में नारी शिक्षा में लगातार सुधार के दावे हो रहे हैं। सरकार की ओर से ग‌र्ल्स एजुकेशन को बढ़ावा देने के लिए स्टेट में लगातार कई प्रकार की योजनाएं चलायी जा रही हैं। बिहार में ग‌र्ल्स एजुकेशन को बढ़ावा देने के लिए साइकिल योजना ख्007-08 में शुरू की गई। इस योजना के लागू होने के बाद स्टेट में ग‌र्ल्स एजुकेशन के लिए बिहार में जागरूकता बढ़ी। दूसरी तरफ स्कूलों में टीचर की खासी कमी बताती है कि बेटियों को भी दोयम दर्जे की शिक्षा मिल रही है।

ग‌र्ल्स एजुकेशन में कई बाधा

ग‌र्ल्स एजुकेशन में आज भी कई बाधा हैं। इनमें घरों के पास स्कूलों की कमी प्रमुख है। कई स्कूलों में आधारभूत संरचना की कमी भी प्रमुख कारणों में से एक है। इसके बाद आज भी बेटा-बेटी के बीच भेद-भाव समाज में किसी न किसी रूप में जिंदा है। इसके अलावा महिला सुरक्षा भी ग‌र्ल्स एजुकेशन की राह में बहुत बड़ी बाधा है। गरीब परिवारों में बाल मजदूरी भी आज भी किसी न किसी रूप में जिंदा है। सरकार एवं गैर सरकारी संगठनों की ओर से लगातार प्रयास के बाद भी इस में रुकावट दूर नहीं हो पाई है। वहीं बाल विवाह के कारण बड़ी संख्या में ग‌र्ल्स को स्कूलों से बीच में पढ़ाई छोड़नी पड़ती है।

साक्षर परिवारों में प्रजनन दर कम

बिहार में प्रजनन दर फ्.म् परसेंट है। दसवीं पास महिलाओं वाले परिवारों में यह दो परसेंट के करीब है, जो राष्ट्रीय औसत के बराबर है। वहीं क्ख्वीं पास परिवारों में क्.म् परसेंट जबकि राष्ट्रीय औसत क्.7 परसेंट है।

एजुकेशन के मामले में बिहार पीछे

ख्0क्क् के जनगणना के अनुसार नेशनल लेवल पर भारत की साक्षरता दर 7ब्.0ब् है, जबकि बिहार का म्फ्.8ख् है। वहीं नेशनल लेवल पर महिलाओं के बीच साक्षरता दर म्भ्.ब्म् परसेंट है, जबकि बिहार में म्फ्.7ख् परसेंट है।

नारी शिक्षा के मामले में बिहार नीचे से दूसरे स्थान पर

भारत में एजुकेशन के मामले में नेशनल लेवल पर केरल सबसे आगे है एवं बिहार सबसे पीछे है। जनगणना के आंकड़ों में केरल 9फ्.9क् परसेंट के साथ पहले एवं बिहार सबसे अंतिम फ्भ्वें स्थान पर है। वहीं नारी एजुकेशन के मामले में भ्फ्.फ्फ् परसेंट लेकर नीचे से दूसरे स्थापर है।

यूनिसेफ ग‌र्ल्स एजुकेशन को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयास कर रहा। इसकी राह में रोड ब्लाक को समाप्त करने के लिए कई स्तर पर प्रयास किया जा रहा है। बाल-विवाह, बेटा-बेटी के बीच भेदभाव को रोकने आदि के लिए लगातार प्रयास कर रहा है। इसके लिए कई स्तर पर कैंपेन चलाया जा रहा है।

- अविनाश उज्ज्वल, यूनिसेफ