- सीबीगंज में एक घोड़े में रोग की पुष्टि होने पर मार दिया गया

- ग्लैंडर्स रोग की पुष्टि होने के बाद विभाग ने सैकड़ों पशुओं से लिए सैंपल

BAREILLY:

घोड़ों में होने वाली खतरनाक बीमारी ग्लैंडर के लक्षण बरेली में मिले हैं। सीबीगंज में एक घोड़े में बीमारी के लक्षण पाए गए। इस पर उसे मौत की नींद सुला दिया गया। यह जानलेवा बीमारी मनुष्यों पर भी प्रभाव डालती है। ऐसे में पॉजिटिव केस के बाद अपर निदेशक पशुपालन विभाग जीएन सिंह ने बरेली मंडल के घोड़ों और खच्चरों के सैंपल लेकर जांच कराने के निर्देश जारी किए हैं। एक दर्जन घोड़े और खच्चरों के सैंपल में 2 के पॉजिटिव होने की संभावना जताई गई है।

कासगंज में मिला था पहला केस

उत्तर प्रदेश में ग्लैंडर्स का पहला केस कासगंज में सामने आया तो केंद्र सरकार ने पूरे देश में अलर्ट जारी कर दिया। तब उस घोड़े को मौत दी गई तो राहत मान प्रशासन सुस्त हो गया था। अब दूसरा मामला सीबीगंज में सामने आने पर पॉजिटिव मिले घोड़े को मौत दे दी गई।

कहीं, महामारी न बन जाए यह जानलेवा रोग पर अलर्ट जारी कर दिया गया है। अब पशुपालन विभाग से जिले के भोजीपुरा, शेरगढ़, फरीदपुर, सीबीगंज के पशुपालकों ने ग्लैंडर जैसी बीमारी अपने घोड़े और खच्चरों में दिखाई देने की जानकारी दी। विभाग ने सैंपल लेकर आईवीआरआई भेज दिए हैं।

25 हजार से ज्यादा घोड़े और खच्चर

रोग की विकरालता को देखते हुए पशुपालन विभाग ने सर्वे कराया जिसमें मंडल में 25 हजार से ज्यादा घोड़े और खच्चर की नस्ल के पशु मिले हैं। विभाग ने पशुपालकों को इसके प्रति अलर्ट जारी कर दिया है। बता दें कि पहले पीडि़त जानवर को मौत दे दी जाती थी। उसके बदले परिवार को आर्थिक सहायता नहीं मिलती थी लेकिन अब सरकार पशुपालक को 25 हजार रुपए आर्थिक सहायता देती है। बता दें कि बरेली में हर साल रामगंगा मेला में घोड़े और खच्चरों का जमावड़ा लगता है। जिसके चलते जरा सी भी संभावना होने पर सैंपल लेकर जांच के निर्देश जारी हुए हैं।

क्या है ग्लैडर

- ग्लेंडर बरखेलडेरिया मेलिआई जीवाणु जनित रोग है

- घोड़ों के बाद मनुष्यों, स्तनधारी पशुओं में पहुंचता है

- नोटिफाईएबल है,जेनोटिक रोगों की श्रेणी रखा गया

- संक्रमण, नाक, मुंह के म्यूकोसल सरफेस और सांस से होता है

- मैलिन नाम के टेस्ट से बीमारी को कन्फर्म किया जाता है

- घोड़े, खच्चर, गधों के शरीर की गांठों में इंफेक्शन और पस बन जाती है

- जानवर उठ नहीं पाता, शरीर में सूजन आ जाती है

- बीमारी से पीडि़त होने पर मौत निश्चित

संक्रमण का दायरा

- पीडि़त पशु के पास के पशुओं में सौ परसेंट

- 6 से 10 किमी। तक के दायरे में 50 परसेंट

- 30 किमी। तक 20 परसेंट फैलने की संभावना

मनुष्यों में लक्षण

- मांस पेशियों में दर्द

- छाती में दर्द

- शरीर में अकड़न

- तेज सिरदर्द

- नाक से पानी बहता है

ग्लैंडर्स के लिए बना है एक्ट-

ग्लैंडर्स की रोकथाम और पीडित जानवर को मौत देने के लिए देश में ग्लैंडर्स एंड फरेसी एक्ट बना है।

एक्ट के तहत रोग का उपचार नहीं किया जाता

- जांच में पॉजिटिव पर दर्द रहित मौत दी जाती है

- ग्लैंडर्स का इलाज अभी संभव नहीं

बरतें सावधानी

- जानवर के शरीर पर धब्बे या गांठे दिखाई दें तो छुएं नहीं

- पीडि़त पशुओं को मार दें या अन्य जानवर को दूर रखें

- पीडि़त पशु के निकट न जाएं, डॉक्टर्स को जानकारी दें

- जांच रिपोर्ट के बाद उचित परामर्श के आधार पर निर्णय लें

ग्लैंडर का पॉजिटिव केस मिलने के बाद अलर्ट जारी कर दिया गया है। जानवरों के सैंपल आईवीआरआई भेजे गए हैं। रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई होगी।

डॉ। विनोद कुमार, चीफ वेटनरी ऑफिसर