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PATNA: बिहार की धरती अपने अंदर कई ऐसे रहस्य छिपा रखे हैं जिसे जानकर आप आश्चर्य में पड़ जाएंगे। हम बात कर रहे हैं पुरातात्विक धरोहरों की। मंगलवार दोपहर को सहरसा जिले के मध्य टोला स्थित पटुआहा नहर के पास राजेन्द्र यादव के खेत में मजदूर कुदाल से मिट्टी कटाई कर रहे थे। करीब भ् फिट मिट्टी कटाई के बाद कुदाल से कुछ टकराने की आवाज आई। मिट्टी काट रहे लोग चौंक गए। मिट्टी हटाने पर भगवान विष्णु की मूर्ति मिली। ए‌र्क्सपर्ट इसे कर्नाटक कालीन क्ख्-क्फ्वीं शता?दी का बता रहे हैं। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट में आज पढि़ए किस तरह मिली भगवान विष्णु की मूर्तिसहरसा जिले के मध्य टोला स्थित पटुआहा नहर के पास राजेन्द्र यादव के खेत में मिट्टी कटाई हो रही थी। मिट्टी काटकर घर भरने के लिए मजदूर ट्रैक्टर के डाला में डाल रहे थे। खेत से मिट्टी कटाई के समय कुछ कुदाल से कुछ टकराने की आवज आई। वहां मौजूद मजदूर और अन्य लोग उत्सुक हो उठे। कुछ देर बाद कुदाल से मिट्टी हटाने पर काले गे्रनाइट पत्थर की भगवान विष्णु की मूर्ति मिली। एक्सपर्ट इसे कर्नाटककालीन क्ख् से क्फ्वीं शता?दी के आसपास की मूर्ति बता रहे हैं।

बाएं हाथ पर हैं सरस्वती

एक्सपर्ट की मानें तो कर्नाटकवंशीय राजा कला प्रेमी होते थे। उस समय मूर्ति बनाने का प्रचलन था। देवी-देवता की मूर्तियां बहुत ज्यादा बनती था। पटुआहा नहर के पास मिली इस मूर्ति के बाएं हाथ पर मां सरस्वती का चित्र अंकित है।

लोग करने लगे पूजा-अर्चना

भगवान विष्णु की मूर्ति मिलते ही सूचना दर्जनों गांवों में फैल गई। मूर्ति देखने दूरदराज से लोग पहुंचने लगे। एक्सपर्ट ने जैसे ही भगवान विष्णु की मूर्ति होने की बात कही तो स्थानीय लोग भगवान की पूजा-अर्चना करने लगे।

म्यूजियम में रखी जाएगी मूर्ति

कला संस्कृति विभाग के अधिकारियों ने बताया कि जिस क्षेत्र में मूर्ति मिलती है उसे उसी क्षेत्र के निकटतम म्यूजियम में रखने की व्यवस्था की जाती है। भगवान विष्णु की मूर्ति को सहरसा म्यूजियम में रखने की बात कही जा रही है।

मुझे जानकारी नहीं थी, आपने बताया है तो मैं वहां के डीएम से बात करता हूं। मूर्ति को स्थानीय म्यूजियम में रखने की व्यवस्था की जाएगी।

-चैतन्य प्रसाद, प्रधान सचिव, कला संस्कृति एवं युवा विभाग, बिहार सरकार

भगवान विष्णु की मूर्ति कर्नाटक कालीन क्ख्-क्फ्वीं शता?दी के आसपास की है। मूर्ति की सुरक्षा वैज्ञानिक ढंग से करने की जरूरत है।

-डॉ शिव कुमार मिश्र, इतिहासकार मैथिली साहित्य संस्थान