- लोगों की जान बचाने वाले खुद की जान बचाने के लिए कर रहे कोशिश

पारुल सिंघल

मेरठ। देशभर में डॉक्टर्स पर हमले की आए दिन खबरें मिलती हैं। हाल ही में एम्स के डॉक्टर्स ने सुरक्षा के लिए ताइक्वांडो सीखने की पहल की है। मेरठ के हालात भी अलग नहीं हैं। डॉक्टर्स इन हमलों से परेशान हो चले हैं। नतीजा ज्यादातर डॉक्टर्स ने एमरजेंसी सर्विस देनी ही बंद कर दी है। कुछ डॉक्टर्स पर्सनल बॉक्सर्स रखने पर भी विचार कर रहे हैं।

पल्ला झाड़ने से दिक्कत

पेशेंट कहते हैं कि डॉक्टर्स की फीस के साथ दवाइयों का खर्चा तक उठाते हैं, लेकिन डॉक्टर फिर भी लापरवाही दिखाते हैं। आखिर तक सब ठीक है, सब ठीक है कहकर अपना पैसा बनाते रहते हैं। लेकिन मरीज की जान जाने के बाद अपना पल्ला झाड़ लेते हैं। ।

बचाव के हो रहे प्रयास

डॉक्टर्स पर हो रहे हमलों को लेकर भी आइएमए भी काफी परेशान है। बार-बार शासन-प्रशासन से इसके लिए मदद भी मांगी जा रही है। वहीं डॉक्टर्स की ओर से इसके लिए व्यक्तिगत प्रयास भी किए जा रहे हैं। सेफ्टी के लिए अपने क्लीनिक के साथ ही घर पर भी सीसीटीवी कैमरे लगवा रहे हैं, वहीं कुछ डॉक्टर्स पर्सनल बॉक्सर्स रखने पर भी विचार कर रहे हैं।

इनका है कहना

डॉक्टर्स का लास्ट मूवमेंट तक यही प्रयास रहता है कि मरीज को बचा लें। अगर डॉक्टर्स पर इसी तरह के हमले होते रहेंगे तो मरीजों को इलाज मिलना मुश्किल हो जाएगा।

-डॉ। विरोत्तम तोमर, अध्यक्ष, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन

-----

डॉक्टर्स मरीज के लिए हमेशा तैयार रहता है। मरीज को भी चाहिए कि वह इस बात को समझे, लेकिन ऐसा होता नहीं है। मरीज सीधे ही तोड़-फोड़ करने लगता है। एम्स की तरह ही यहां भी डॉक्टर्स की सिक्योरिटी के लिए ऐसे कदम उठने चाहिए।

-डॉ। आशीष

----

डॉक्टर्स को चाहिए की वह अपनी सुरक्षा के सबसे पहले इंतजाम करे। खासतौर से महिला डॉक्टर्स को सबसे ज्यादा झेलनी परेशानी पड़ती है। महिलाओं को जूड़ो- कराटे की ट्रेनिंग भी डॉक्टर बनने के साथ ही शुरू कर देनी चाहिए।

-डॉ ऊषा सिंह, एमडी