- शहर में सामान्य दिनों में रोजाना 12 करोड़ बुलियन गोल्ड की बिक्री होती थी इनवेस्टमेंट के लिहाज से

- सहालग के सीजन में गोल्ड ज्वेलरी की बिकवाली को ज्यादा तरजीह दे रहे ज्वेलर्स

- मैक्जिमम ज्वेलर्स ने इनवेस्टर्स से बना रखी है दूरी, बुलियन के बजाय ज्वेलरी खरीदने की दे रहे सलाह

abhishek.mishra@inext.co.in

KANPUR : कीमतों में कमी की वजह से सोने में इनवेस्टमेंट करने की सोच रहे हैं तो अभी लंबा इंतजार कीजिए। सर्राफा बाजार में सोना अब इनवेस्टमेंट के लिए उपलब्ध नहीं है। ज्यादातर ज्वेलर्स ने बुलियन यानि ठोस सोना बेचने से तौबा कर ली है। सहालग का सीजन होने की वजह से ज्वेलर्स बुलियन के बजाय ज्वेलरी की बिक्री पर ज्यादा फोकस कर रहे हैं। अनिश्चितता के दौर में पब्लिक भी गोल्ड स्टॉक को बेचने के लिए मार्केट का रुख नहीं कर रही है। सर्राफा एसोसिएशन के अनुसार वायदा कारोबार ने बुलियन कारोबार को काफी नुकसान पहुंचाया है।

क्ख् करोड़ की बिक्री

शहर में रोजाना फ्0 करोड़ फिजिकल गोल्ड की बिकवाली होती है। इसमें करीब ब्0 परसेंट हिस्सेदारी बुलियन की है। एक दिन में क्ख् करोड़ का ठोस सोना बिकता है, जबकि बिकने वाले गहनों का रेशियो क्8 करोड़ है। हालांकि, कीमतों में उतार-चढ़ाव की वजह बुलियन की बिक्री लगभग बंद हो चुकी है। सॉलिड गोल्ड बेचने के बजाय ज्वेलर्स उसकी ज्वेलरी बनाकर बेचने को ज्यादा तरजीह दे रहे हैं।

गोल्ड क्वाइन से भी तौबा

सर्राफा बाजार में बुलियन की क्राइसिस और कीमतों में उतार-चढ़ाव का असर साफ देखा जा सकता है। आलम यह है कि गोल्ड क्वाइन की बिक्री का ग्राफ भी काफी नीचे आ चुका है। काशी ज्वैलर्स के चेयरमैन राजन कपूर ने बताया कि सॉलिड गोल्ड में इनवेस्टमेंट लगभग बंद हो चुका है। इनवेस्टर्स को भी ज्वेलरी खरीदने के लिए कहा जा रहा है। अखिल भारतीय स्वर्णकार परिषद के अध्यक्ष पुष्पेन्द्र जायसवाल के मुताबिक बुलियन की कमी हमारे लिए सबसे बड़ी समस्या बन चुकी है।

सहालगी सीजन बड़ी वजह

ज्वेलरी मार्केट में सहालगी सीजन की वजह से गहनों की जबर्दस्त डिमांड बनी हुई है। इसलिए ज्वेलर्स स्टॉक में मौजूद बुलियन से ज्वेलरी बनाकर बेचने को प्राथमिकता दे रहे हैं। दूसरा, ज्वेलरी की कॉस्ट बुलियन गोल्ड से ज्यादा पड़ती है। इससे अगर कीमतों में उतार-चढ़ाव भी होता है तो व्यापारियों को ज्यादा नुकसान नहीं होता। ज्वेलरी के मेकिंग चार्जेज से काफी हद तक नुकसान की भरपाई हो जाती है।

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घरों में कैद है सोना

सोने की कीमतें धड़ाम होने का असर भी सर्राफा बाजार पर पड़ा है। आलम यह है कि अब तक जो लोग घरों में रखा सोना मार्केट में बेच देते थे। या पुरानी ज्वेलरी तुड़वाकर नई ज्वेलरी बनवाते थे। उसका फ्लो भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है। सर्राफा व्यापारियों के मुताबिक सोना घरों में कैद होकर रह गया है। इस कारण भी बुलियन गोल्ड की बिक्री धड़ाम हो गई है।

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वायदा कारोबार ने बिगाड़ी गणित

सर्राफा बाजार में बुलियन बिक्री की गणित सबसे ज्यादा वायदा कारोबारियों ने बिगाड़ रखी है। पुष्पेन्द्र जायसवाल ने बताया कि वायदा कारोबार में कीमतें एडवांस में बुक कराई जाती है। सबसे ज्यादा नुकसान तब होता है जब कीमतें गिरती हैं। शहर में डेली भ् करोड़ वायदा कारोबार के तहत इनवेस्टमेंट होता है। पर कीमतें धड़ाधड़ गिरने से इनवेस्टर्स बर्बादी की कगार पर पहुंच चुके हैं। इनमें कानपुर समेत लखनऊ, आगरा, झांसी आदि जिलें प्रमुख रूप से शामिल हैं। इसलिए भी ज्वेलर्स इनवेस्टर्स से दूरी बनाये हुये हैं।

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वेट नहीं रेट पर फोकस

एक ओर जहां इनवेस्टर ज्यादा से ज्यादा सॉलिड गोल्ड खरीदने की फिराक में हैं। वहीं ज्वेलर्स रेट के बजाय सोने के वेट पर फोकस कर रहे हैं। सर्राफा व्यापारियों का कहना है कि मौजूदा समय में जितना भी ठोस सोना ज्वेलर्स के पास मौजूद है। उससे तैयार गहने से एश्योर्ड प्रॉफिट मिलेगा। ठोस सोना बेचना उतना फायदेमंद नहीं होगा।

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वर्जन वर्जन

ø गोल्ड के प्राइस अनस्टेबल चल रहे हैं। ऐसे में इनवेस्टर बुलियन का ज्यादा से ज्यादा स्टॉक करके इन-फ्यूचर प्रॉफिट कमाना चाहते हैं। मगर, मार्केट में इन दिनों बुलियन की कमी है। ऐसे में हमारा फोकस ज्वेलरी की बिक्री पर ज्यादा है। जिससे कस्टमर्स की डिमांड पूरी की जा सके।

- राजन कपूर, चेयरमैन, काशी ज्वैलर्स

ø ज्वेलरी बनाकर बेचने से ज्वेलर्स को ज्यादा फायदा है। जबकि बुलियन खरीदने में इनवेस्टर्स का। शादी-ब्याह के सीजन में गहनों की मांग बढ़ जाती है। इसलिए गोल्ड क्वाइन तक हम नहीं बेच रहे।

- पुष्पेन्द्र जायसवाल, अध्यक्ष, अखिल भारतीय स्वर्णकार परिषद

ø इस महीने की क्भ् तारीख तक पूरे यूपी में करीब क्0ख् टन सोना बिका है। खास बात यह कि पिछले महीनों की तुलना में यह रेशियो ज्यादा है। गोल्ड क्वाइन की बिक्री में गिरावट जेम्स एंड ज्वेलरी फेडरेशन के आदेशों के तहत आई है। जिसके बाद संस्था से संबद्ध ज्वेलर्स ने बुलियन और गोल्ड क्वाइन की बिकवाली काफी कम कर दी है।

- महेश चन्द्र जैन, यूपी सर्राफा एसोसिएशन