मैसेज पर वित्त मंत्रालय ने किया री-ट्वीट
पिछले दिनों ट्विटर पर वायरल इस तरह के मैसेज पर वित्त मंत्रालय ने रि-ट्वीट किया। मंत्रालय का कहना है कि 20 जनवरी से फ्री सेवाओं को बंद करने का बैंकों का ऐसा कोई प्रपोजल नहीं है। यह महज अफवाह है। कृपया इसे इग्नोर करें। मंत्रालय ने बैंकिंग एसोसिएशन को सलाह दी कि सोशल मीडिया पर इस तरह के मैसेज पर सफाई दें कि यह आधारहीन है।
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क्या था वायरल मैसेज?
दरअसल पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर तेजी से एक मैसेज वायरल हो रहा था। इसमें कहा गया था कि गवर्नमेंट और प्राइवेट क्षेत्र के बैंकों में दी जाने वाली फ्री सेवाओं के लिए 20 जनवरी से चार्ज वसूला जाएगा। इस मैसेज के वायरल होने के बाद अकाउंट्स होल्डर्स में सरकार और बैंकों के प्रति गुस्सा था। कस्टमर्स का कहना है कि एक तो पहले ही मिनिमम बैलेंस के नाम पर अकाउंट से पैसे काटे जा रहे हैं, ऊपर से अब अन्य सेवाओं के लिए भी रुपए वसूलने की स्कीम परेशान करने वाली है।
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शुरुआत में कन्फ्यूज थे बैंककर्मी
मैसेज वायरल होने के बाद शुरुआत में बैंककर्मी भी कन्फ्यूजन में थे। मैसेज को सही जान एसबीआई, यूबीजीबी (उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक), सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ इंडिया के कई इम्प्लॉइज का कहना था कि नए चार्जेज को लेकर आदेश मिल चुके हैं। नाम नहीं बताने की शर्त पर एक अफसर ने तो यहां तक कह दिया कि हम रिजर्व बैंक के दिशा-निर्देशों का पालन करते हैं। इस मैसेज के वायरल होने के बाद सबसे ज्यादा निगेटिव इमेज का डर एसबीआई इम्प्लॉइज को सता रहा था।
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नहीं मिली अब तक कोई आधिकारिक जानकारी
यूबीजीबी के असिस्टेंट मैनेजर राकेश कुमार सिंह ने बताया कि इस मामले में आधिकारिक रूप से बैंक को कोई जानकारी नहीं मिली है। जानकारी मिलने के बाद कस्टमर्स को बताया जाएगा। उधर, बैंक ऑफ बड़ौदा के मैनेजर रमेश कुमार ने बताया कि जो मैसेज वायरल हो रहा है, वह हकीकत नहीं है। बैंक प्रबंधन की तरफ से चार्ज को लेकर कोई गाइडलाइन नहीं आई है।
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