'गूगल+' नाम की ये वेबसाइट उपभोक्ताओं को आपस में तस्वीरें, संदेश और प्रतिक्रियाएँ बाँटने की सुविधा तो देती ही है, साथ ही कंपनी के मानचित्र और तस्वीरों को भी इस सेवा से जोड़ देती है। वेबसाइट उपभोक्ताओं को समूह के अंदर आसानी से संपर्क बनाने में मदद देने का भी इरादा रखती है। लेकिन कुछ विश्लेषकों का कहना है कि वीडियो चैटिंग की सुविधा को छोड़ दें, तो गूगल ने फ़ेसबुक की विशेषताओं को ही दोहरा दिया है। इंटरनेट सर्च के मामले में अमरीका में तीन में से दो इंटरनेट उपभोक्ता गूगल का इस्तेमाल करते हैं।

फ़ेसबुक की कामयाबी को देखते हुए गूगल ने सोशल नेटवर्किंग के क्षेत्र में भी पिछले कुछ सालों में कई बार उसे चुनौती देने की कोशिश की है। लेकिन उसके पिछले सारे प्रयास नाकाम रहे हैं क्योंकि 'गूगल वेब' और 'गूगल बज़' उपभोक्ताओं के बीच लोकप्रिय नहीं हो सके। नई ख़ूबियां कंपनी गर्व से ये दावा कर रही है कि 'गूगल+' में चार ऐसी ख़ूबियां हैं जिनकी बदौलत कंपनी सोशल नेटवर्किंग के क्षेत्र में स्थापित हो जाएगी।

सर्कल्स - एक ऐसी सुविधा जिससे दोस्तों को एक समूह में रखा जा सकता है और वो आपस में सामग्री का आदान-प्रदान कर सकते हैं।

हैंगआउट्स - एक ऐसी सुविधा जिससे कई उपभोक्ता एक साथ वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग कर सकते हैं, बातचीत में कभी भी शामिल हो सकते हैं या छोड़कर जा सकते हैं।

हडल - एक ऐसी सुविधा जिससे समूह में त्वरित संदेश भेजा जा सकता है।

स्पार्क्स - एक ऐसी सुविधा जिससे सामान्य रुचिवाले उपभोक्ता आपस में जुड़ सकते हैं।

'गूगल+' का मौजूदा संस्करण केवल थोड़े उपभोक्ताओं के लिए जारी किया गया है, लेकिन कंपनी का कहना है कि जल्दी ही इस सोशल नेटवर्किंग साइट को गूगल का हर दिन इस्तेमाल करने वाले लाखों उपभोक्ताओं के लिए उपलब्ध करवा दिया जाएगा।

गूगल की वरिष्ठ इंजीनियरिंग उपाध्यक्ष विक गुंडोत्रा ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा,''ऑनलाइन जानकारियां बांटने पर गंभीरता से विचार करने की ज़रूरत है, मौक़े को समझते हुए ही हमने कदम बढ़ाया है।

उन्होंने आगे कहा, ''अन्य सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर छोटे समूहों में चुनिंदा जानकारियां बांटना भी मुश्किल होता है.'' विक गुंडोत्रा के इस बयान को फ़ेसबुक की ओर से हाल ही में शुरू की गई समूह संवाद की सुविधा पर चुटकी के रूप में देखा जा रहा है। लेकिन कुछ विश्लेषकों का कहना है कि गूगल के लिए फ़ेसबुक के वफ़ादार उपभोक्ताओं को अपनी नई सोशल नेटवर्किंग साइट का उपभोक्ता बना पाना बेहद मुश्किल होगा।

ई-मार्केटर नाम के शोध संस्थान की प्रमुख विश्लेषक डेब्रा अहो विलियमसन ने एसोसिएटेड प्रेस को बताया,''फ़ेसबुक पर लोगों की अपनी सामाजिक मंडली है, उनसे एक और सामाजिक मंडली बनाने को कहना चुनौतीपूर्ण होगा.''

अप्रैल में गूगल को अपनी पिछली सोशल नेटवर्किंग साइट 'गूगल बज़' की शुरुआत का मामला अमरीका के एक पॉलिसी ग्रुप के साथ अदालत के बाहर निपटाना पड़ा था। क़ानूनी कार्रवाई में कहा गया था कि गूगल ने उपभोक्ताओं को धोखा देकर सभी जीमेल उपभोक्ताओं को बिना उनसे अनुमति लिए 'बज़' का उपभोक्ता बना दिया जो कि ख़ुद गूगल की गोपनीयता नीति का उल्लंघन था।

 

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