इन तीनों पर होगा ज्यादा फोकस :

गूगल ने इस AI First World प्रोजेक्ट में एमएल (मशीन लर्निंग), डीएल (डीप लर्निंग) और टीपीयू (टेंसर प्रोसेसर यूनिट) को खास तवज्जो दी है। कंपनी इन तीन चीजों पर ज्यादा फोकस होगी। ताकि उसके सभी प्रोड्क्ट एआई के जरिए काम कर सकें।

क्या होता है एमएल :

एमएल का फुल फॉर्म है 'मशीन लर्निंग' यानी कि पढ़ी-लिखी मशीन। मशीन अपने आप चीजों को सीखेगी और उसके हिसाब से फंक्शंस में बदलाव करेगी। यह सबकुछ एक चिप के जरिए होगा, जिसे गूगल ने तैयार कर लिया है। यह चिप मशीन में इंसर्ट होगी और दिमाग की तरह काम करेगी। यानी कि आने वाले समय में मशीन यानी रोबोट पहले से ज्यादा स्मार्ट हो जाएंगे।

गूगल की इस नई टेक्‍नोलॉजी से मशीनें खुद कर लेंगी अपने आपको रिपेयर

क्या होता है डीएल :

डीएल का फुल फॉर्म है 'डीप लर्निंग' यह वो प्रोसेस है जिसके जरिए कंप्यूटर उन बारीकियों को सीखता है जो सिर्फ इंसान कर सकता है। यानी कि अब मशीन या कंप्यूटर इंसानी दिमाग और आंखों से तेज काम करेगा। आप किसी तस्वीर को देखकर जो कुछ सोचते है, यह डीएल उससे चार गुना आगे का विजन करने में सक्षम होगा। आने वाले समय में डीएल प्रोसेस के तहत मशीनें इंसानी आंख को भी मात दे सकेंगी।

क्या होता है टीपीयू :

गूगल के एआई फर्स्ट वर्ल्ड का एक हिस्सा टीपीयू भी है, यानी टेंसर प्रोसेसर यूनिट। यह क्लाउड कंप्यूटिंग पर आधारित हार्डवेयर और साफ्टवेयर सिस्टम है। यह ऐसा सॉफ्टवेयर है जो मशीनों को सिखाने के लिए बनाया गया है। गूगल ट्रांसलेट और गूगल फोटो को और एडवांस बनाने के लिए मशीन लर्निंग मॉडल में टीपीयू का इस्तेमाल किया जा रहा है।

गूगल द्वारा एआई के इस्तेमाल होते ही उससे जुड़े सभी प्रोड्क्टस तेजी से बदलेंगे। यू यूजर फ्रेंडली होते जाएंगे और वक्त, जगह यूजर और डिमांड के हिसाब से तुरंत कस्टमाइज्ड हो जाएंगे। वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2030 तक एआई हमारी दुनिया को बदल देगा।

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