प्रिय मित्रों,

मेरा जीवन यात्रा किसी स्वप्न सरीखी है। हिमालय की गोद में स्टार ट्रेक कंप्यूटर का सपना देखते हुए बड़े होने से लेकर प्रवासी जो दो सूटकेस लेकर अमरीका पहुंचा। उसे गूगल में सर्च की जिम्मेदारी संभालने का पद मिला। हर बदलाव ने मुझे बेहतर इंसान बनने में मदद की है।

जैसे ही मैंने गूगल में काम करते हुए पंद्रहवें वर्ष में प्रवेश किया मैंने अपने आप से सवाल किया अगले पंद्रह वर्षों में तुम क्या करना चाहते हो जवाब आया दूसरों को वापस देना। यह हमेशा से मेरी वरीयता रही है जो कम भाग्यशाली हैं उन्हें वापस देना व काम की कठिनाइयों के बीच परिवार के लिए समय निकालना-बहरहाल दोनों ही मोर्चों पर मैं सिर्फ अधिक देना व करना चाहता हूं।

अब जीवन में बड़े बदलाव का समय है। चीजें बेहतर आकार ले चुकी हैं। सर्च पहले से कहीं अधिक शक्तिशाली है व बेहतरीन नेतृत्व जो पहले से रोजाना के कामकाज को संभाल रहा है के हाथों में बेहतर ही होती जाएगी।

बीते पंद्रह वर्षों में हम जो कर पाए हैं उसे देखकर गर्व की अनुभूति होती है। सर्च लोगों के जीवन में बदलाव लाई है। एक बिलियन से अधिक लोग हम पर विश्वास करते हैं। लोगों को सशक्त बनाने के हमारे मिशन व दुनिया पर उसके प्रभाव को दरकिनार नहीं किया जा सकता। जब पंद्रह बरस पहले हमने शुरुआत की थी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था कि हम एक बटन दबाकर गूगल से कुछ भी पूछेंगे और जवाब मिलेगा। आज यह स्वभाव बन चुका है। मेरे सपनों का स्टार ट्रेक कंपयूटर हकीकत बन रहा है। उससे कहीं बेहतर जैसी मैंने कल्पना की थी। मैं गूगल से प्यार करता हूं। कंपनी जिसका यकीन सही चीजें करने में है। कंपनी जो दुनिया में अच्छा करना चाहती है। कंपनी...जो ख्याल रखती है। जब मैं पीछे मुड़कर यहां बीते समय पर निगाह दौड़ाता हूं तो इसकी निर्माण प्रक्रिया का हिस्सा होने के आभार से भर जाता हूं। अब गर्व आभार व उल्लास के साथ मुझे अपने अगले पंद्रह वर्षों का लक्ष्य तय करना है। मैं देखना चाहता हूं कि जनहित के कामों से कैसा असर छोड़ता व निश्चित ही परिवार के साथ विशेषकर पत्नी व बेटे के साथ अधिक समय बिताना चाहता हूं। जिन्हें व्यस्तता के चलते अधिक समय नहीं दे पाया।

26 फरवरी को गूगल में मेरा आखिरी दिन होगा। मेरे लिए रिलेशनशिप्स महत्वपूर्ण हैं। जिन्हें मैं जारी रखना चाहूंगा।

अपने साथ सिर्फ यादें लेकर जाओ, सिर्फ पगचिह्न छोड़कर जाओ। मैं अपने साथ ढेर सारी यादें लेकर जा रहा हूं और उम्मीद करता हूं छोटा ही सही पगचिह्न छोड़कर जाऊंगा।

सप्रेम

अमित

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