- गोरखपुर मंडल में 41 शिक्षण संस्थाएं होती है संचालित

- इन शिक्षण संस्थाओं हर साल करीब एक लाख स्टूडेंट पाते हैं शिक्षा

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saurabh.upadhyay@inext.co.in

GORAKHPUR: गोरखनाथ मंदिर के महंत योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के सीएम बनने के साथ ही देश और दुनिया में चर्चा का विषय बने हुए हैं। गोरखनाथ मंदिर विभिन्न धार्मिक, सामाजिक और राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र रहा है। यह मंदिर आजादी के पहले से ही गोरखपुर क्षेत्र में शिक्षा की अलख जगा रहा है। गोरखनाथ मंदिर की शिक्षा क्षेत्र में कार्य करने वाली महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के तहत 41 से अधिक शिक्षण संस्थाएं संचालित हो रही हैं। इनमें लाखों स्टूडेंट्स शिक्षा पाकर अपना भविष्य संवार रहे हैं।

ऐसे पड़ी बुनियाद

पूर्वाचल में शिक्षा की अलख जगाने का पूरा श्रेय महंत दिग्विजय नाथ को जाता है। युवावस्था में एक छोटी सी घटना ने महंत दिग्विजयनाथ को शिक्षा संत के रूप में स्थापित कर दिया। जब महंत दिग्विजयनाथ स्थानीय हाई स्कूल (अब महात्मा गांधी इंटर कॉलेज) में पढ़ते थे, वहां एक टीचर थे। स्कूल प्रबंधक ने उनको कार्यकाल बाकी रहते हुए निकाल दिया। गुरु के इस अपमान का बदला महंत दिग्विजयनाथ ने एक स्कूल खोलकर लिया। महंत दिग्विजय नाथ ने बक्शीपुर में किराए के कमरे में 1932 के लगभग 'गुडलक' नाम से एक स्कूल खोला और संचालन की जिम्मेदारी उसी गुरु को दे दी। कुछ समय बाद इसका नाम बदल कर महाराणा प्रताप क्षत्रिय स्कूल कर दिया गया। 1936 में इस स्कूल को हाईस्कूल की मान्यता मिली। बाद में यही स्कूल यहां से आकर गोलघर में महाराणा प्रताप इंटर कॉलेज के नाम से स्थापित हो गया। 1948 के लगभग महाराणा प्रताप शिक्षण परिषद ने महाराणा प्रताप डिग्री कालेज की स्थापना की। आज यह शिक्षण संस्थान पूर्वाचल के हर घर में शिक्षा का उजाला फैला रहा है। महराणा प्रताप शिक्षण परिषद आज 41 संस्थाओं को संचालित करता है।

मेरठ जाने से रोक दिया यूनिवर्सिटी को

गोरखपुर यूनिवर्सिटी भी दिग्विजयनाथ की देन है। 1955 में यूपी गवर्नमेंट ने 11 विश्वविद्यालय बनाने का निर्णय लिया। इसमें गोरखपुर भी शामिल था, सरकार ने नियम बनाया कि किसी भी महाविद्यालय को विश्वविद्यालय बनने के लिए उसके पास कम से कम 21 एकड़ जमीन और 50 लाख की पूंजी जमा होनी चाहिए। जिला प्रशासन ने सेंट एंड्रयूज कॉलेज को विश्वविद्यालय बनाने का प्रस्ताव भेजा, लेकिन ठीक उसी समय केंद्र सरकार ने अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थाओं के लिए अधिनियम पास कर दिया। इसके बाद सेंट एंड्रयूज कॉलेज ने विश्वविद्यालय के लिए मना कर दिया। परिस्थितियां देखते हुए प्रदेश सरकार ने विश्वविद्यालय को मेरठ स्थानांतरित करने का मन बना लिया। जब इस बात की जानकारी महंत दिग्विजयनाथ को हुई तो उन्होंने बिना कुछ सोचे-समझे तुरंत अपनी संस्था महाराणा प्रताप डिग्री कॉलेज को विश्वविद्यालय बनाने के लिए दे दिया।

कई जिलों में फैला शिक्षा का साम्राज्य

महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद का क्षेत्र केवल गोरखपुर जिले तक सीमित नहीं है, बल्कि महाराजगंज, सिद्धार्थनगर और नेपाल तक फैला हुआ है। महाराजगंज जिले में लगभग 12, सिद्धार्थनगर जिले में 6 और नेपाल में दो से अधिक शिक्षण संस्थाएं संचालित हो रही है। इन शिक्षण संस्थाओं से हर साल सैकड़ों की संख्या में छात्र पढ़कर अपने जीवन में आगे कदम बढ़ा रहे हैं।

गोरखनाथ मंदिर की कुछ प्रमुख शिक्षण संस्थाएं

- महाराणा प्रताप इंटर कालेज

- महाराणा प्रताप ग‌र्ल्स इंटर कालेज

- दिग्विजयनाथ पीजी कालेज

- महाराणा प्रताप पालिटेक्निक

- श्री गोरक्षनाथ संस्कृत विद्यापीठ

- महाराणा प्रताप शिशु शिक्षा विहार

- दिग्विजयनाथ बीएड कालेज

- महाराणा प्रताप टेलरिंग कालेज सिविल लाइंस

- महाराणा प्रताप शिशु शिक्षा विहार जूनियर हाईस्कूल रामदत्तपुर

- एमपी महिला महाविद्यालय रामदत्तपुर

- एमपी कृषक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, जंगल धूसड़

- दिग्विजयनाथ पूर्व माध्यमिक विद्यालय, चौक माफी

- एमपी सीनियर सेकेंडरी स्कूल बेतियाहाता