- अभी भी 32 प्रतिशत एरिया में नहीं है जलकल की पानी सप्लाई

- गोरखपुराइट्स को डेली 15 लाख लीटर कम मिलता है पानी

GORAKHPUR:

शहर में पेयजल का संकट नहीं होने या इसे दूर कर दिए जाने वाले दावों की हकीकत कुछ और ही है। वाटर सप्लाई की जिम्मेदारी वाले विभाग जलकल ने तीन साल में केवल दो प्रतिशत एरिया में पाइपलाइन का विस्तार कराया है। जबकि इस दौरान शहर की आबादी दो लाख से अधिक बढ़ चुकी है। यह आबादी तो कागजी है। यदि अनुमानित जनसंख्या की बात करें तो करीब चार लाख से भी अधिक बढ़ोत्तरी हुई है। जनसंख्या के अनुपात में वाटर सप्लाई की स्थिति ऐसी है कि रोज आधा शहर प्यासा ही रह जाता है या अन्य सोर्सेज से पानी पाता है।

15 लाख लीटर की कमी

बढ़ती आबादी के साथ ही शहर में शुद्ध पेयजल की किल्लत भी बढ़ गई है। जलकल विभाग के आंकड़ों पर नजर डालें तो औसत मानक के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति को प्रति दिन 3.50 लीटर पानी की आवश्यकता पड़ती है। इस तरह देखें तो शहर की लगभग 13 लाख आबादी को प्रतिदिन 45.5 लाख लीटर शुद्ध पानी की जरुरत होगी। जबकि जलकल डेली 30 लाख लीटर पानी ही सप्लाई कर रहा है। इस तरह डेली 15 लाख लीटर पानी की कमी हो रही है। इसकी पूर्ति लोग अलग-अलग सोर्सेज से करते हैं। कोई खरीदकर पानी पीता है तो किसी को अशुद्ध पानी का ही यूज करना पड़ता है।

68 प्रति एरिया में है सप्लाई

जलकल विभाग शहर के 68 प्रतिशत एरिया में पानी सप्लाई करता है। इस एरिया को 21 जोन में बांट कर आपूर्ति की जाती है। इसमें बेतियाहाता, रायगंज, सिविल लाइंस, अलीनगर, लालडिग्गी, राजघाट, तिवारीपुर, मोहद्दीपुर, नौसढ़, शाहपुर, हुमायूंपुर, गोरखनाथ, लच्छीपुर, नथमलपुर, बशारतपुर, फतेहपुर, चरगांवा, सालिकराम, रुस्तमपुर, महादेव झारखंडी और नंदानगर एरिया शांिमल हैं। इसमें बेतियाहाता, रायगंज, राजघाट, लालडिग्गी एरिया के 80 प्रतिशत घर जलकल के पानी पर निर्भर हैं।

32 प्रतिशत हैंडपंप पर निर्भर

शहर के 32 प्रतिशत एरिया में इंडियामार्का हैंडपंप से पानी मिलता है। जहां जलकल पानी सप्लाई नहीं करता, उन उन एरियाज को चार जोन में बांटा गया है। सप्लाई न होने वाले मुख्य एरिया में गायत्री नगर, जंगल तुलसीराम पूर्वी, पश्चिमी, सरस्वतीपुरम फेज -1, 2, शिवपुर सहबाजगंज, मान विहार, सेमरा, करीमनगर, घोसीपुरवां, जंगल नकहा क्रॉसिंग, रामनगर, लच्छीपुर, नया गांव, महेसरा और चिलुआताल शामिल हैं।

बॉक्स

और 30 प्रतिशत पानी यूं ही बह जाता

एक तरफ पानी की कमी के कारण शहर का एक हिस्सा प्यासा ही रह जाता है वहीं अव्यवस्था के चलते 25 से 30 प्रतिशत पानी यूं ही बेकार चला जाता है। शहर में पाइपलाइन का 30 प्रतिशत हिस्सा जर्जर हो चुका है। इसमें अक्सर दिक्कत आती रहती है। जिसके चलते प्रतिदिन 25 से 30 प्रतिशत पानी सड़कों और नालियों में बहकर बर्बाद हो जाता है।

यह है पानी सप्लाई का ढांचा

ट्यूबवेल संख्या (बडे़ और छोटे) - 132

पेयजल उत्पादन (बडे़ और छोटे नलकूप)- 103 (एमएलडी - मिलियन लीटर डेली)

मानक के अनुसार- (135 एलपीसीडी - लीटर पर कैपिटा डेली)

कुल पेयजल की आवश्यकता - 145 एलपीसीडी

मांग की कमी (शार्ट फाल)- 42 एलपीसीडी

पेयजल की उपलब्धता प्रति व्यक्ति प्रतिदिन- 93.70 एलपीसीडी

अेवरहेड टैंक- 25

भूमिगत जलाशय- 1

स्टोरेज कैपेसिटी- 19460 किलोलीटर

पाइपलाइन- 1086 किमी

जलापूर्ति का कुल निर्धारित समय-12 घंटा

कुल कनेक्शनधारी- 49582

घरेलू- 47291

व्यावसायिक (होटल, धर्मशाला व अन्य सामाजिक स्थानों पर कनेक्शन)- 2291

कोट्स

सप्लाई का पानी पता नहीं कब नसीब होगा। जलकल में शिकायत करने पर भी कोई नहीं सुनता।

- आशा खातून, हाउसवाइफ

जिम्मेदार सिर्फ पेयजल का संकट दूर करने के दावे ही कर सकते हैं। जमीनी स्तर पर जनता को कुछ नहीं मिलता। पानी सप्लाई नहीं होने के कारण खरीदने की मजबूरी है।

- विनय कुमार, व्यापारी