- स्वच्छता सर्वेक्षण को लेकर स्पॉट फाइन में भी कोताही बरतता रहा नगर निगम

- खुले में शौच से लेकर कूड़ा फेंकने वालों पर नहीं हुई कोई कार्रवाई

GORAKHPUR: टॉयलेट निर्माण और सफाई व्यवस्था में ढिलाई बरतते आए नगर निगम के जिम्मेदार स्पॉट फाइन के मामले में भी हद से ज्यादा उदासीन हैं। पिछले स्वच्छता सर्वेक्षण में रैंकिंग की शर्मनाक स्थिति के बाद ही नगर आयुक्त ने व्यापक स्तर पर स्पॉट फाइन प्रक्रिया चलाने का निर्देश दिया था। बावजूद इसके निगम अधिकारियों ने इसमें कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखाई। जिसका नतीजा ये कि शहर में खुले में शौच करने वाले और कूड़ा फेंकने या जलाने वालों पर लगाम नहीं लग सकी है।

डेट आई तो याद आया निर्देश

स्वच्छता सर्वेक्षण में शर्मनाक रैंक मिलने के बाद नगर निगम के जिम्मेदारों ने अगली बार के लिए बड़े-बड़े दावे किए थे। जिसमें शहर को साफ सुथरा एवं खुले में शौच मुक्त रखने के लिए स्पॉट फाइन का पालन भी शामिल था। नगर आयुक्त ने जिम्मेदारों को इस संबंध में सख्त निर्देश भी दिए थे। लेकिन तमाम दावों के बाद भी निगम अधिकारियों के रवैये में खास बदलाव नहीं आया। स्वच्छता सर्वेक्षण शुरू होने की डेट करीब आने पर उन्हें स्पॉट फाइन की याद आ सकी है। जिसके चलते आंकड़ों का ग्राफ निर्धारित मानकों से भी कोसो दूर है। ऐसे में साफ है कि सर्वेक्षण रैंकिंग में शहर की क्या स्थिति होने वाली है।

इन पर इतना स्पॉट फाइन

मद फाइन

-डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन वाहन को कूड़ा ने देने पर प्रति दिन - 1000 रुपए

-स्ट्रीट वेंडर्स के डस्टबिन न रखने व कूड़ा सड़क पर ही छोड़ देने पर - 1000 रुपए

-खुले सार्वजनिक स्थान, सड़क, नाला, तालब,नदी में फेंकने पर - 5000 रुपए

-कूड़ा जलाने पर - 5000 रुपए

-भंडारा, लंगर आदि में निकलने वाले कूड़े के लिए डस्टबिंस की व्यवस्था न करने एवं कूड़ा सड़क पर फेंकने पर - 5000 रुपए

-दुकानदारों द्वारा कूड़ा सड़क पर फेंकने पर - 5000 रुपए

- होटल, रेस्टोरेंट आदि खाद्य पदार्थ बेचने वालों द्वारा सड़क पर कूड़ा छोड़े जाने पर - 5000 रुपए

- खुले में शौच करने पर -1000 रुपए

-बिल्डिंग मैटीरियल, मलबा सार्वजनिक स्थल, सड़क पर डालने पर - 30000 रुपए

वर्जन

सभी अफसरों को नियममित रूप से स्पॉट फाइन करने के निर्देश दिए जा चुके हैं। लगातार स्पॉट फाइन किया जा रहा है। स्वच्छता सर्वेक्षण में शहर को अच्छे अंक मिलेंगे।

- प्रेम प्रकाश सिंह, नगर आयुक्त