- लापता बच्चों की तलाश में सुस्त रही है जिला पुलिस

- कई थानों में अभी भी दर्ज है 19 बच्चों की गुमशुदगी रिपोर्ट

GORAKHPUR: लापता बच्चों को खोजने में जिला पुलिस का बिल्कुल भी इंट्रेस्ट नहीं लगता। थानों में बच्चों की गुमशुदगी दर्ज होने के बाद बरसों से जारी परिजनों का इंतजार तो यही बयां कर रहा है। लापता बच्चों को ढूंढने में जिला पुलिस की ढिलाई का हाल ये कि परिजन थानों का चक्कर लगा-लगा कर थक चुके हैं, लेकिन आज तक उनके लाडलों का कोई सुराग तक पुलिस नहीं खोज सकी है। यहां तक कि प्रदेश सरकार की ओर से जारी ऑपरेशन मुस्कान के बाद भी यहां खोए बच्चों को उनके घर तक पहुंचाने के लिए जिले की पुलिस कोई खास तेजी नहीं दिखा रही। जिले में अभी भी कुल मिलाकर 19 बच्चे और किशोरियां लापता हैं।

यहां फीका पड़ गया ऑपरेशन मुस्कान

बढ़ती लापता बच्चों की संख्या पर चिंता जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ऑपरेशन मुस्कान चलाने का आदेश दिया था। प्रदेश सहित गोरखपुर जिले में भी इसकी शुरुआत की गई। इस अभियान के तहत घर से भटक होटलों आदि में काम करने वाले बच्चों के बारे में पता कर पुलिस द्वारा उन्हें उनके घर पहुंचाया जाना था। लेकिन जिला पुलिस के लाख दावों के बावजूद इस मुहिम को यहां ज्यादा तेजी नहीं मिल सकी है। जिले के थानों में अभी भी 19 मासूमों की गुमशुदगी के ऐसे केस दर्ज हैं जिनमें वर्षो से कार्रवाई ही आगे नहीं बढ़ सकी है।

घर छोड़ जाते, अंधेरे में फंस जाते

लापता बच्चों के केसेज में आमतौर पर देखने मिलता है कि परिजनों की डांट से नाराज हो या दोस्तों के बहकावे में आकर बच्चे घर छोड़ देते हैं। लेकिन बचपने में वे खुद को भयानक मुसीबत में डाल लेते हैं। गलत लोगों के हाथ पड़ने पर उन्हें होटल आदि जगहों पर मजदूरों की जिंदगी बितानी पड़ती है। वहीं, किशोरियों के घर से चले जाने के केसेज में भी ये बात देखी गई है कि गलत संगत में पड़ने से वे घर तो छोड़ देती हैं लेकिन ये उन्हें बड़े खतरे में डाल देता है। ऐसे कुछ केसेज में तो बच्चे मिल जाते हैं लेकिन बहुत ऐसे भी हैं जो गलत हाथों में पड़ जाते हैं और वापस अपने घर नहीं पहुंच पाते।

जिले में दर्ज गुमशुदगी केसेज

वर्ष लापता बच्चे

2012 8

2013 7

2014 10

2015 6

2016 3

2017 12

नोट- इसमें से कुछ घर लौट चुके हैं, कुछ में एफआर लग चुका है। अभी 19 बच्चों व किशोरियों की तलाश जारी है।

इन थानों को अभी भी तलाश

सिटी से लेकर रुरल एरिया के कई थानों में अभी भी लापता बच्चों व किशोरियों के केस दर्ज हां जिनका पता नहीं चल सका है। परिजन अपने बच्चों के लिए आज भी थानों का चक्कर काट रहे हैं। कोतवाली, कैंट, खोराबार, चिलुआताल, गुलरिहा, पीपीगंज, बड़हलगंज, खजनी, चौरीचौरा, पिपराइच में गुमशुदगी के मामले दर्ज हैं लेकिन अभी तक लापता बच्चों का कुछ पता नहीं चल सका है।

बॉक्स

तो अब एप से होगी तलाश

आईजी जोन मोहित अग्रवाल ने बताया कि लापता बच्चों की तलाश में पुलिस को काफी परेशानी उठानी पड़ती है। बच्चों को पोस्टर चस्पा कराने, उनकी संबंध में सूचनाएं प्रसारित करने के अलावा उनकी तलाश का कोई अन्य तरीका पुलिस के पास नहीं है। पारंपरिक तरीके से काम कर रही यूपी पुलिस धीरे-धीरे टेक्नालॉजी का सहारा ले रही है। मिर्जापुर में तैनात पुलिस अधिकारी ने गुजरात और वाराणसी के टेक्नोलॉजी जानकारों की मदद ले एक एप तैयार किया है। इस एप को देश भर के सभी थानों और जिलों की चाइल्ड लाइन से जोड़ा जाएगा। इस एप में यूज होने वली टेक्नोलॉजी की मदद से किसी एक चेहरे से मिलते-जुलते 10 चेहरे आसानी से अलग किए जा सकेंगे। इसके बाद उन 10 चेहरों में कौन से 10 प्रतिशत सही हैं। उनकी पहचान करने में मदद मिलेगी। गोरखपुर में गुम हुए बच्चे की फोटो एप में अपलोड कर दी जाएगी। अगर वह बच्चा दिल्ली के किसी थाना क्षेत्र में मिलेगा तो वहां की पुलिस उसकी फोटो अपलोड कर देगी। दो जगहों से फोटो अपलोड होने के बाद एप चेहरे का मिलान करके सही जानकारी देगा। इससे बच्चों की तलाश में मदद मिलेगी।

वर्जन

गुमशुदा बच्चों की तलाश में कई तरह की प्रॉब्लम सामने आती है। इसके लिए एक नया एप तैयार कराया गया है। जिसकी मदद से बच्चों के चेहरों का मिलान कर आसानी शए तलाश हो सकेगी।

- मोहित अग्रवाल, आईजी