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- जिले में कई बार बरामद हुए अवैध असलहा व कारतूस लेकिन अवैध हथियारों की फैक्ट्री तक नहीं पहुंच सकी पुलिस

- अवैध हथियारों से अंजाम दी जाती हैं ज्यादातर घटनाएं, फिर भी पता नहीं कर पाती पुलिस कि हथियार कहां से लाए गए

GORAKHPUR: जिले में होने वाली अधिकतर घटनाओं में बदमाश अवैध तमंचे का प्रयोग करते हैं। कई बार चेकिंग में भी अवैध तमंचा, कारतूस, खोखे की बरामदगी होती है लेकिन पुलिस इसे ही अपनी सफलता मान चुप बैठ जाती है। यह पता करने की कोशिश नहीं करती कि हथियार कहां से आए या जानती है तो कार्रवाई नहीं करती। इस समय चुनाव को लेकर जिले की पुलिस की ताबड़तोड़ चेकिंग में कुछ अवैध असलहे तो बरामद हुए लेकिन वह अवैध हथियारों के जखीरा तक कभी नहीं पहुंच पाई। यह भी दिलचस्प है कि ज्यादातर जो बरामदगी होती है, उसमें एक अवैध तमंचा और दो कारतूस ही होते हैं।

कारतूस, खोखा पाकर चुप हो गई पुलिस

बुधवार की रात सहजनवां एरिया में शातिर बदमाश कुलदीप ढाढ़ी से पुलिस की मुठभेड़ हुई। पुलिस का कहना है कि उसके पास से एक खोखा और एक कारतूस बरामद हुआ। लेकिन, पुलिस यह नहीं जान सकी कि शातिर को असलहे की सप्लाई किसने दी। पुलिस चाहती तो उसके जरिए अवैध हथियारों के जखीरे तक पहुंच सकती थी।

जेल भेजते ही काम हो जाता पूरा

जिले में अवैध असलहों से वारदात अंजाम दिए जाने के बाद भी उनकी फैक्ट्री या सप्लायर्स तक नहीं पहुंचने के पीछे पुलिस की अजीबोगरीब कार्यशैली है। जब भी कोई वारदात होती है तो पुलिस बदमाश को जल्द गिरफ्तार कर लिए जाने के दावे करती है। फिर तलाशी अभियान चलाया जाता है। इस दौरान यदि कोई बदमाश हाथ आ गया तो पुलिस उसे अरेस्ट कर जेल भेज देती है। वहीं यदि उसके पास से कोई अवैध हथियार, कारतूस बरामद हो गया तो इसी से खुश हो जाती है। उसके जरिए पुलिस असलहे के सप्लायर तक पहुंचने की कोशिश नहीं करती।

ढाई-तीन हजार में मिल जाते हैं तमंचे

पुलिस द्वारा अवैध हथियारों के संबंध में गहन जांच नहीं किए जाने के कारण सप्लायर्स की चांदी है। सूत्र बताते हैं कि जिले में ही ढाई से तीन हजार तक में अवैध तमंचे मिल जाते हैं। 10 से 20 हजार रुपए खर्च करने पर तो पिस्टल और रिवाल्वर की खरीद हो जाती है। यही नहीं, इसके लिए कहीं जाने की भी जरूरत नहीं होती। ऑर्डर पर बिहार के मुंगेर से असलहा तस्कर तमंचों की सप्लाई गोरखपुर और आसपास के इलाकों में देते हैं। वहीं यदि जांच की जाए तो जिले में भी अवैध हथियारों की खेप मिल सकती है। यदि यह मान लिया जाए कि यहां असलहों की कोई अवैध फैक्ट्री या गोदाम नहीं तो सवाल उठता है कि इतनी आसानी से बाहर से तमंचे कैसे आ जाते हैं और इसके सप्लायर क्यों नहीं पकड़े जाते।

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तमंचे मिले और पुलिस का काम खत्म

20 फरवरी 2017: चिलुआताल एरिया के डोहरिया बाजार में पांच बदमाश अरेस्ट, दो देसी तमंचे दो कारतूस बरामद हुए।

09 फरवरी 2017: कैंट एरिया के विध्यवासिनी पार्क के पास शातिर बदमाश की गिरफ्तारी, एक तमंचा, एक कारतूस बरामद हुआ।

19 नवंबर 2016: झंगहा एरिया के दुबियारीपुल पर हिस्ट्रीशीटर कैलाश ढाढ़ी सहित दो अरेस्ट, एक तमंचा और चार कारतूस बरामद हुए।

05 अक्टूबर 2016: गोला एरिया में पेट्रोल पंप पर लूटपाट करने वाले दो बदमाश गिरफ्तार, दो तमंचा और दो कारतूस बरामद हुए।

02 अक्टूबर 2016: राजघाट एरिया में चार बदमाश पकड़े गए, एक तमंचा और दो कारतूस की बरामदगी हुई।

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फिर भी नहीं मिली सफलता

विधान सभा चुनाव को देखते हुए जोन भर के 11 जिलों में पुलिस चेकिंग अभियान चला रही है। जोनभर में अवैध असलहे की 8 फैक्ट्रियां पकड़ी गई लेकिन गोरखपुर में एक भी नहीं मिली। वहीं जोनभर में 502 तमंचे बरामद हुए, जिनमें गोरखपुर में 44 की बरामदगी हुई।

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अवैध असलहो से ताबड़तोड़ वारदात

16 फरवरी 2017: चौरी चौरा एरिया के चौरा गांव में खेत में युवक को गोली मारी, गंभीर।

05 फरवरी 2017: कैंट एरिया के सिविल लाइंस में छात्रनेता की गोली मारकर हत्या, सनसनी।

11 जनवरी 2017: कैंट एरिया के चंपा देवी पार्क में क्रिकेट खेल रहे युवकों के बीच विवाद, फायरिंग।

11 दिसंबर 2916 : कैंट एरिया के गिरधरगंज में फायरिंग, गोली लगने से बच्चे की मौत।

02 दिसंबर 2016: चिलुआताल एरिया के डोहरिया बाजार में टीचर की स्कूल में गोली मारकर हत्या।

24 सितंबर 2016: कैंट एरिया में डॉक्टर के क्लीनिक पर फायरिंग, हड़कंप।

वर्जन

अवैध असलहों का कारोबार करने वालों पर शिकंजा कसने के निर्देश दिए गए हैं। चेकिंग के दौरान पुलिस को अहम जानकारियां मिली हैं। उसके आधार पर जांच पड़ताल कराई जा रही है।

ज्ञान प्रकाश चतुर्वेदी, एसपी ग्रामीण