GORAKHPUR: गोरखपुर में गंभीर अपराध को अंजाम देकर नेपाल में शरण देने वाले बदमाशों पर शिकंजा कसने में पुलिस नाकाम रही है। नेपाल में छिपे अपराधियों को अरेस्ट करने की पुलिस हिम्मत नहीं जुटा पा रही। दो देशों के बीच अपराधियों की गिरफ्तारी की पेंचीदगी का फायदा उठाकर बदमाश नेपाल में मौज छान रहे हैं। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि खुला बार्डर होने का फायदा उठाकर बदमाश नेपाल में शरण लेने चले जाते हैं। इससे पुलिस को काफी दुश्वारियां झेलनी पड़ती है.


बदमाशों के लिए आसान बार्डर की राह

अपराधियों की गिरफ्तारी को लेकर बना इंटरनेशनल कानून दोनों देशों की सीमा में बाधक बनता है। इसका लाख गोरखपुर जोन के अपराधी 1990 से उठा रहे हैं। बार्डर से लगे गोरखपुर, महराजगंज, सिद्धार्थनगर, बहराइच सहित बार्डर के अन्य जिलों से होकर नेपाल में आवागमन करने में कोई प्रॉब्लम नहीं होती है। इसलिए इन जिलों में हीनियस क्राइम को अंजाम देकर बदमाश चंद घंटों के भीतर बार्डर पार कर जाते हैं। बदमाशों के नेपाल में प्रवेश करने के बाद वहां के नेटवर्क में जुड़ जाते हैं। लोकल अपराधियों की मदद से उनको छिपने की जगह मुहैया हो जाती है। पुलिस से जुड़े लोगों का कहना है कि बुटवल के पास बदमाशों के शरण लेने के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। वहां पहुंचकर शरण लेने वाले सौदा तय कर लेते हैं। निश्चित धनराशि जमा कराने पर बदमाशों को रहने-खाने का इंतजाम मिल जाता है। नेपाल बार्डर करीब होने से बदमाश पुलिस की गतिविधियों पर भी नजर रख लेते हैं। उनसे जुड़े लोग यहां पर चल रही सूचनाओं का आदान-प्रदान भी करते हैं। नेपाल के पूर्व मंत्री मिर्जा दिलशाद बेग पर गोरखपुर मंडल के अपराधियों को शरण देने के आरोप लगे थे। देवरिया जिले के निवासी मिर्जा का नाम डी कंपनी से जुड़ाव में सुर्खियां बटोरता रहा है।

 

शातिर चंदन ने ली थी शरण

22 दिसंबर 2016 फरार चले रहे चंदन सिंह को एसटीएफ ने अरेस्ट किया। उसने पुलिस को बताया कि फरारी के दौरान कुछ दिन नेपाल में गुजारे थे। आगरा के मेडिकल कॉलेज से भगकर वह अपने परिचितों की मदद से वह नेपाल पहुंचा था। कुछ दिन वहां रहने के बाद ठिकाना बदलता रहा। पुलिस से जुड़े लोगों का कहना है कि एक पखवारे पूर्व कैंपियरगंज में दो लोगों की हत्या कर आरोपी नेपाल भग रहे थे। तभी पुलिस ने उनको रास्ते में दबोच लिया। पूर्व में कई ऐसे मामले सामने आ चुके हैं जिनमें बदमाशों के नेपाल में शरण लेने के सुराग मिले थे। इसके हर माह बार्डर से सटे जिलों में अपराध करने वाले नेपाल में जाकर छिपते रहते हैं।

 

नेपाल में शरण लेने के प्रमुख मामले

28 अटूबर 2017: बलिया कोर्ट से पेशी के दौरान हथकड़ी सरकाकर फरार हुए 12 हजार के इनामी राम आसरे को नेपाल में शरण मिली थी। 28 अक्टूबर को एसटीएफ ने जब उसे गिरफ्तार किया तो उसने बताया कि वह नेपाल में रहकर नेपाल से मुंबई तक नेटवर्क खड़ा करने में लगा था। नेपाल से चरस की तस्करी कराकर वह एके47 खरीदने की तैयारी में था।


29 अगस्त 2017: एसटीएफ ने 50 हजार के इनामी महेश राय को अरेस्ट किया। गोरखपुर में पकड़े गए महेश ने नेपाल में भी अपना ठिकाना बनाया था।


24 जनवरी 2014: बिहार, यूपी और नेपाल का कु2यात पप्पू देव को यूपी पुलिस की मदद से नेपाल बार्डर पर दबोचा गया। 35 से ज्यादा मर्डर, लूट सहित कई वारदातों में शामिल पप्पू देव की बिहार पुलिस तलाश कर रही थी।


23 नवंबर 2014: यूपी एसटीएफ की टीम ने नेपाल में छिपे दो शूटर्स को अरेस्ट किया था। बरेली, इज्जतनगर निवासी जय शंकर वर्मा और उसका साथी मोतिहारी का संदीप शर्मा वारदात करके नेपाल में छिपे थे। दोनों के इंडिया में आने पर जब पुलिस ने अरेस्ट किया तो उनके पास से नेपाल का परिचय पत्र और नेपाल की एक राजनीतिक पार्टी का झंडा भी बरामद हुआ था।


15 अप्रैल 2013: देवरिया पुलिस ने सात बदमाशों का गैंग दबोचा। गैंग के सदस्य पूरे मंडल में घूम-घूमकर वारदातों को अंजाम देते थे। तब बदमाशों ने बताया था कि उन लोगों ने पुलिस के डर से काफी लंबा समय नेपाल में बिताया। आसानी से शरण मिलने पर घूमने के बहाने वहां मौज करते रहे।

 

 

ये जगहें हैं ज्यादा बदनाम

नेपाल में बदमाशों को शरण देने के लिए बारा, परसा, रौतहट और बुटवल सहित करीब एक दर्जन जगहें बदनाम हैं। पुलिस का कहना है कि इन जगहों पर बदमाशों का ठिकाना बनाने में कोई दि1कत नहीं होती है। वहां के लोकल बदमाश इंडिया में क्राइम करने वालों से संपर्क में रहते हैं। जरूरत पड़ने पर दोनों एक दूसरे की मदद करते हैं.

 

सीएम ने माना, बनाते हैं ठिकाना

यूपी में क्राइम कंट्रोल करने में लगी पुलिस की कार्रवाई से बदमाशों ने नेपाल में ठिकाना बनाना शुरू कर दिया है। अपराधियों पर नकेल कसने से परेशान बदमाश नेपाल के साथ-साथ पड़ोसी राज्यों में शरण ले रहे हैं। इसकी जानकारी होने पर सीएम ने इन अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए बिहार, राजस्थान, हरियाणा और उत्तराखंड के साथ ही नेपाल के पुलिस प्रमुखों की बैठक बुलाने को कहा है। गोरखपुर प्रवास के दौरान सीएम इस संबंध में पुलिस अधिकारियों से चर्चा कर चुके हैं। नेपाल बार्डर की गतिविधियों से भलीभंति वाकिफ सीएम ने माना है कि यूपी में अपराध को अंजाम देकर बदमाश नेपाल में छिप जाते हैं।

 

फैक्ट फाइल

भरत नेपाल बार्डर पर 1800 किलोमीटर खुली सीमा है।

भरत-नेपाल के बीच प्र‌र्त्यपण कानून 1953 में बनाया गया था।

1816 के सुगौली संधि के बाद भरत-नेपाल के बीच सामान्य आवागमन शुरू हुआ।

31 जुलाई 1950 को भरत-नेपाल मैत्री संधि हुई। इससे दोनों देशों में रोटी-बेटी का रिश्ता मजबूत हुआ।

 

 

गोरखपुर पुलिस ने 19 बदमाशों पर इनाम बढ़ाने की प्रक्रिया है। इनमें आधा दर्जन से अधिक बदमाश नेपाल में ठिकाना बना लिए हैं। पीपीगंज एरिया के मेंहदरिया निवासी गिरजा यादव, कुशीनगर जिले के कुख्यात ऋषिमुनि तिवारी सहित आठ बदमाश पहले से नेपाल से जुड़े हैं। पुलिस का कहना है कि इन लोगों ने नेपाल में अपना कारोबार फैला लिया है। नेपाल के तौलिअहवा में इंडिया के कुछ बदमाश आराम से अपना कारोबार कर रहे हैं। गोरखपुर, बस्ती, महराजगंज, कुशीनगर, बहराइच सहित अन्य जगहों पर क्राइम करने वाले बदमाश नेपाल में पहुंचते ही साधु हो जाते हैं। उनकी शराफत से वहां कोई प्रॉब्लम नहीं आती।

 

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