- शहर में कायदे-कानून का पालन नहीं करते प्रशिक्षु ड्राइवर

- जुर्माना देने में नहीं कोई परहेज, बनी रहती है दुर्घटना की आशंका

GORAKHPUR: शहर में लर्निग लाइसेंस वाले बेधड़क वाहन दौड़ा रहे हैं। नियमों को दरकिनार कर वाहन चला रहे प्रशिक्षु ड्राइवर्स के खिलाफ कार्रवाई से पुलिस परहेज कर रही है। ट्रैफिक पुलिस की लापरवाही से शहर में हादसों को न्यौता बंट रहा है। लर्निग लाइसेंस की बदौलत फर्राटा भरने वाले अपने वाहनों पर लर्निग का मार्क भी नहीं बनाते हैं। इसलिए राह चलते वाहन चालक के प्रशिक्षु होने का अंदाजा भी नहीं लग पाता है। जिम्मेदार विभाग के अधिकारियों का कहना है कि चेकिंग के दौरान लर्निग लाइसेंस वालों का चालान काटा जाता है। लेकिन ज्यादातर मामलों में ड्राइवर को राहत दे दी जाती है। हालांकि शहर के आरटीओ में फिजिकल टेस्ट का कोई इंतजाम नहीं है। अपनी कमियों पर पर्दा डालने के लिए आरटीओ सहूलियत दे देता है।

रोजाना जारी होते 150 लर्निग लाइसेंस

गोरखपुर आरटीओ से रोजाना करीब 150 से 170 लर्निग लाइसेंस जारी होते हैं। लर्निग लाइसेंस लेने वाले ज्यादातर आवेदक पहले से वाहन चलाना जानते हैं। इसलिए वह नियम-कानून की परवाह किए बिना शहर भर में फर्राटे से वाहन दौड़ाते हैं। लर्निग लाइसेंस लेकर सड़कों पर उतरने वाले प्रशिक्षु ड्राइवर भी अपने वाहनों पर लर्निग का मार्क नहीं बनवाते हैं। इस वजह से उनके प्रशिक्षु होने का अंदाजा लगा पाना मुश्किल होता है। ऐसे वाहन चालकों से एक्सीडेंट की संभावना बनी रहती है।

सुरक्षा कारणों से मार्क बनाना जरूरी

लर्निग लाइसेंस लेने वालों के वाहन चलाने के लिए नियम कानून तय है। ऐसे ड्राइवर को अपने वाहन पर प्रशिक्षु यानी कि लर्निग का मार्क अंग्रेजी के बड़े अक्षरों में बनवाना जरूरी होता है। वाहन के आगे-पीछे एल का मार्क देखकर आसपास से गुजरने वाले सजग हो जाते हैं। यह मान लिया जाता है कि ड्राइवर पूरी तरह से वाहन चलाने में दक्ष नहीं है। इसलिए लोग खुद ही अपनी सुरक्षा का ध्यान रखते हुए ऐसे वाहन चालकों के आसपास से निकलते हैं। अगल-बगल के वाहन चालकों की सावधानी से एक्सीडेंट की घटनाओं को रोकने में मदद मिलती है।

क्या है नियम, क्यों लेते हैं जुर्माना

आरटीओ से जुड़े लोगों का कहना है कि लर्निग लाइसेंस धारक अकेले वाहन ड्राइव नहीं कर सकते हैं। नियमानुसार ऐसे लोगों के साथ एक पूर्ण प्रशिक्षित ड्राइवर मौजूद रहना चाहिए। प्रशिक्षु ड्राइवर को ट्रैफिक नियमों के अलावा सड़क पर चलने का व्यवहारिक ज्ञान नहीं होता है। लेकिन साथ में मौजूद परमानेंट ड्राइवर उसे तौर-तरीके बताकर अलर्ट करता रहता है। यदि कोई व्यक्ति बिना किसी पूर्ण प्रशिक्षित ड्राइवर की मौजूदगी के वाहन चला रहा हो तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। फोर व्हीलर पर फ्रंट और बैक पर लाल रंग से एक मीटर की लंबाई में एल लिखा जाना चाहिए। जबकि बाइक पर आगे-पीछे की लिखावट कम से कम छह इंच होनी चाहिए। इस नियम का पालन न करने पर 100 रुपए से 500 रुपए का जुर्माना लगाने का प्रावधान है। गलती सामने आने पर लर्निग लाइसेंस को रद भी किया जा सकता है।

यहां नहीं होता फिजिकल टेस्ट

आरटीओ में रोजाना कम से कम 150 लोगों को लर्निग लाइसेंस जारी किया जाता है। लाइसेंस बनाने के लिए सिर्फ लिखित परीक्षा कंप्यूटर पर ली जाती है। वाहन चलाने से संबंधित व्यवहारिक टेस्ट नहीं लिया जाता है। आरटीओ में ट्रैक की व्यवस्था न होने से लिखित परीक्षा पास करने वालों को लाइसेंस जारी कर दिया जाता है। इस वजह से यह भी नहीं पता लग पाता है कि लाइसेंस लेने वाले कितने प्रतिशत वाहन चालक ड्राइविंग के तौर-तरीकों को समझ पा रहे हैं। लर्निग लाइसेंस जारी होने के एक माह बाद आरटीओ परमानेंट लाइसेंस जारी कर देता है।

फैक्ट फिगर

आरटीओ में रोजाना लर्निग लाइसेंस- 150-160

लर्निग लाइसेंस का चालान - 10 से 15

एल मार्क न होने पर जुर्माना- 500 रुपए

लर्निग लाइसेंसधारक - 20 हजार से अधिक

वर्जन

चेकिंग के दौरान कई बार लोग लर्निग लाइसेंस दिखाते हैं। लेकिन वह ऐसे फर्राटा भरते हैं जैसे काफी दिनों से वाहन चला रहे हैं। ऐसे लोगों का चालान काटकर कार्रवाई की जाती है। रोजाना 10 से 15 मामले सामने आते हैं।

- आदित्य प्रकाश वर्मा, एसपी ट्रैफिक

लर्निग लाइसेंस धारक बिना एल मार्क वाले वाहन को नहीं चला सकते हैं। वाहन चलाते समय उनके साथ प्रशिक्षित ड्राइवर की मौजूदगी बेहद जरूरी है। नियम का उल्लंघन करने पर उनका लाइसेंस रद किया जा सकता है।

- एसआर पाल, एआरटीओ प्रशासन