-एनएच-29 पर कई जगह से गायब हो चुकी है रोड

-गोरखपुर से वाराणसी के बीच हर रोज हजारों करते हैं 'सफर'

नंबर गेम

- 40 रोडवेज बसें गोरखपुर से हर रोज वाराणसी जाती हैं, वाया आजमगढ़ और मऊ।

- 109 किमी है गोरखपुर से आजमगढ़ की दूरी

- 05-06 घंटे लग जाते हैं इतनी दूरी तय करने में

-130 करोड़ दे चुका है एनएचआई एनएच-29 में सुधार के लिए

-10 करोड़ ही खर्च हो सका है इस रकम में से अब तक

GORAKHPUR: नेशनल हाईवे, नाम सुनते ही मन-मिजाज फर्राटे भरने लगता है। लेकिन खबरदार, अगर आप एनएच-29 पर सफर करने वाले हैं तो फर्राटे भरने की सोचिएगा भी मत। हालत ऐसी है कि सड़क पर गड्ढा नहीं, गड्ढे में सड़क नजर आती है। जरा सी असावधानी हुई तो हाथ-पैर टूट जाने का खतरा पूरा है। लेकिन इसके बावजूद, जिम्मेदारों की आंख नहीं खुल रही है। इन खतरनाक गड्ढों की वजह से गोरखपुर से वाराणसी जाने वाले इस नेशनल हाईवे पर आए दिन हादसे हो रहे हैं।

गड्ढों भरी है डगर

गोरखपुर से मऊ, आजमगढ़, वाराणसी और इलाहाबाद के लिए बड़ी तादाद में लोग एनएच 29 से होकर गुजरते हैं.एनएच की हकीकत गोरखपुर शहर से निकलते ही नजर आने लगती है। नौसढ़ से ज्यों ही वाराणसी की राह पकड़ते हैं, वैसे ही गड्ढे नजर आने शुरू हो जाते हैं। दुर्गा पूजा के दौरान प्रशासन ने बाघागाड़ा हाईवे तक पैचिंग वर्क करवा दिया, लेकिन उसके बाद कई किलोमीटर तक सिर्फ गड्ढे ही गड्ढे नजर आ रहे हैं।

फिर अटका एनएच का काम

गोरखपुर से नेशनल हाईवे 29 को फोरलेन बनाने के लिए केंद्र ने धन मुहैया कराया। केंद्रीय मंत्री ने इस योजना का शिलान्यास भी कर दिया। मगर प्रदेश सरकार की हीलाहवाली से एनएच का काम एक बार फिर से अटक गया है। पिछले डेढ़ माह में इस प्रोजेक्ट में कोई प्रगति नहीं हुई है। यहां तक कि भूमि अधिग्रहण और मुआवजा देने का काम भी ठप पड़ गया है। इससे एक बार फिर एनएच के वर्क प्रोग्रेस में पेंच फंस गया है।

तबादलों के फेर में उलझा काम

प्रदेश सरकार इन दिनों तबादले पर तबादले कर रही है। इसकी वजह से कई अहम योजनाओं पर ब्रेक सा लग गया है। करीब डेढ़ महीने से कोई जिम्मेदार अधिकारी न होने से एनएच का काम पूरी तरह से ठप पड़ा हुआ है। इस दौरान दो अधिकारियों का ट्रांसफर हो चुका है, वहीं अब तक किसी नए अधिकारी की तैनाती नहीं हो पाई है। इसकी वजह से सभी वर्क पेंडिंग पड़ गए हैं।

130 में बंटा सिर्फ 10 करोड़

एनएच 29 के लिए एनएचएआई की ओर से करीब 130 करोड़ रुपए प्रशासन को दे चुकी है। मगर अधिकारी न होने से मुआवजा देने का काम भी पेंडिंग पड़ा हुआ है। एनएचएआई से जुड़े लोगों की मानें तो अब तक सिर्फ 10 करोड़ रुपए बांटे गए हैं। जबकि 120 करोड़ रुपए अभी भी खाते में पड़े हुए हैं, मगर अधिकारी न होने से जमीन मालिकों को मुआवजा नहीं दिया जा सका है।

2500 करोड़ की धनराशि मिली

एनएच 29 को फोरलेन बनाने की घोषणा केंद्र में भाजपा की सरकार आने के बाद की गई। केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने गोरखपुर दौरे के दौरान निर्माण पर खर्च होने वाले 2500 करोड़ रुपए देने की बात कही। साथ ही कहा कि यह बहुत ही महत्वपूर्ण मार्ग है। इसके निर्माण कार्य को शीघ्र शुरू करने के लिए कहा गया। उसके बाद से सर्वे की प्रक्रिया शुरू की गई। जिनकी जमीन और मकान सड़क में पड़ रहे हैं उनको नोटिस देकर बुलाया गया था।

बनेंगे दो बाईपास

गोरखपुर से बड़हलगंज के बीच लगभग 60 किलोमीटर लंबे रास्ते पर दो जगह बाईपास बनाए जाएंगे। इसमें 122 हेक्टेयर किसानों की जमीन सड़क में आएगी। किसानों को उनकी जमीन का वर्तमान में जो मूल्य निर्धारित है उसके हिसाब से मुआवजा दिया जाएगा।

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वर्जन

एनएचएआई इस संबंध में काम कर रहा है। कोई अधिकारी न होने से कई काम पेंडिंग पड़े हुए हैं। एनएचएआई ने 130 करोड़ रुपए दिए थे, जिसमें से अब तक महज 10 करोड़ ही बंट सके हैं। गोरखपुर में रोड पर पैचिंग का काम 3-4 दिनों में शुरू हो जाएगा और दिवाली से पहले यह रोड गड्ढों से मुक्त हो जाएगी।

- एके कुशवाहा, प्रोजेक्ट डायरेक्टर, एनएचएआई

कॉलिंग

वाराणसी जाने के लिए कई बार सोचना पड़ता है। यहां की रोड इस कदर खराब हाल में है कि बस या अपनी प्राइवेट व्हीकल से जाने में परेशानी होती है। मगर मजबूरी में उसी से जाना पड़ता है।

- पंकज भगत, बिजनेसमैन

मेरी सिस्टर इलाहाबाद रहती है। मैं वहां गया और वहां से कल ही लौटा हूं, यहां की रोड इस कदर खराब हो चुकी है कि आने-जाने में काफी दिक्कत हुई। साथ ही गाड़ी में भी प्रॉब्लम हो गई है।

- मोहम्मद असलम, बिजनेसमैन

सड़कों की मरम्मत पर सरकार काफी पैसा खर्च कर रही है, मगर कई सालों से एनएच 29 की हालत नहीं सुधर सकी है। यहां आने-जाने से पहले कई बार सोचना पड़ता है। 6 घंटे का सफर तय करने में 10 घंटे से ज्यादा समय लग जाता है।

- मोहम्मद हसीन, प्रोफेशनल

गोरखपुर-वाराणसी रूट पर सफर करना बीमारी को दावत देना है। यहां जाने पर बस में बैठे-बैठे पीठ और रीढ़ की हड्डी में दर्द हो गया। सड़कों पर इतने गड्ढे थे कि परेशानी बढ़ गई।

- दीपराज कुशवाहा, प्रोफेशनल