- 27 साल बाद जिले से बना है कोई सीएम

- बढ़ा हुआ है लोगों का उत्साह, जगी है विकास की आस

GORAKHPUR: लगातार पांच बार गोरखपुर शहर से सांसद बने योगी आदित्यनाथ के सीएम बन जाने के बाद जिलेवासियों की उम्मीदें आसमान पर जा पहुंची हैं। सीएम बनने के बाद शनिवार को जब पहली बार योगी आदित्यनाथ गोरखपुर पहुंचे तो शहर को उनमें पूर्व मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह दिखने लग गए। 29 साल बाद शहर से किसी के मुख्यमंत्री बनने के बाद अब उम्मीद है कि हर उम्मीद पूरी होगी। वीर बहादुर सिंह ने शहर में विकास की जो शुरुआत की, आदित्यनाथ योगी उसे ऊंचाई पर ले जाएंगे।

तबसे भी ज्यादा उत्साह है आज

1967 पनियरा विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस से वीर बहादुर सिंह विधायक चुने गए। उसके बाद वह लगातार विधायक बने रहे और इस दौरान उन्होंने प्रदेश की भी राजनीति में अपनी अच्छी जगह बना ली। 24 सितंबर 1985 को उन्होंने प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। गोरखनाथ एरिया के रहने वाले रिटायर्ड टीचर रामायण सिंह का कहना है कि उस समय मैं मानीराम एरिया के स्कूल में तैनात था। सीएम बनने के बाद जब पहली बार वीर बहादुर सिंह गोरखपुर आए तो वह उनके आवास पर मिलने गए थे। जिस तरह से वह पहली बार मिले मुझे लगा ही नहीं कि वह सीएम हैं। हालांकि उस समय मीडिया इतनी नहीं थी, लेकिन लोगों में यह चर्चा होने लगी थी। हालांकि तब मीडिया इतनी सक्रिय नहीं थी और न ही लोग इन साधनों से इस कदर जुड़े थे। इसके बाद भी सीएम के आने की सूचना सबको मिल गई थी और हजारों की संख्या में लोग गोलघर स्थित आवास पहुंच गए थे। अब 32 साल बाद फिर से जिले से एक व्यक्ति को यह पद मिला है। उस समय जितना उत्साह लोगों में था, इस बार कुछ अधिक ही बढ़ गया है।

सड़कें हो गई चौड़ी

आरटीओ पर चाय की दुकान चलाने वाले मोहन यादव बताते हैं कि वीर बहादुर सिंह के समय शहर का विकास होना शुरू हुआ। वे बताते हैं कि वीर बहादुर सिंह की जनसभा तो उन्हें याद नहीं आ रही लेकिन जब वह सीएम बने तब हम लोग उनके आवास पर मिलने गए थे। उस समय आरटीओ रोड, गोलघर और गणेश चौराहा संकरा हुआ करता था, लेकिन उनके आने के बाद तस्वीर बदल गई। झोपड़ी की दुकानें तोड़ी गई और स्थाई दुकानों का निर्माण करा दिया गया।

लखनऊ में देखते, गोरखपुर में बनवाते

वरिष्ठ एडवोकेट मुरली मनोहर सिंह श्रीनेत का कहना है कि वीर बहादुर सिंह के अंदर एक खासियत थी। वही खासियत योगी आदित्यनाथ में भी दिखती है। वीर बहादुर सिंह लखनऊ में जब सीएम बने तो वहां के विकास के मॉडल को देखा। उन सारे मॉडल को गोरखपुर में लाने का प्रयास किया। शहर की चौड़ी सड़कें, तारामंडल, प्रेक्षागृह लखनऊ में देखा और गोरखपुर में उसे बनवाने की शुरुआत की। मुरली मनोहर सिंह का कहना है कि योगी आदित्यनाथ में भी यह खासियत है। आज की रामगढ़ताल परियोजना, योगी आदित्यनाथ की डल झील को देखने के बाद तैयार हुआ मॉडल है।

वर्जन

वीर बहादुर सिंह और आदित्यनाथ योगी दोनों की ही जननेता के रूप में पहचान है। दोनों की सबसे बड़ी खासियत है कि यह गोरखपुर की सभी समस्याओं से जुड़े रहे हैं। ऐसे में जन समस्या दूर होने के साथ ही साथ विकास को नई दिशा मिलेगी।

मुरली मनोहर सिंह श्रीनेत, एडवोकेट