- सिटी के इस्लामियां कॉलेज ऑफ कॉमर्स और न्यू दस्तरख्वान रेस्टोरेंट में हुई चर्चा

GORAKHPUR: शहर की सबसे बड़ी प्रॉब्लम कोई है तो वह है जाम। इसके लिए अगर कोई जिम्मेदार है तो वह है अव्यवस्थित तौर पर शहर में फैला बाजार और उससे भी ज्यादा पार्किंग। शहर में इन दोनों के प्रॉपर न होने से न सिर्फ लोगों को चलने-फिरने में दिक्कतें फेस करनी पड़ती हैं, बल्कि पार्किंग न होने से लोगों को इधर-उधर गाडि़यां पार्क करनी पड़ती है, जिससे लोगों को जाम के झाम से जूझना पड़ता है। दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट के कैंपेन 'गर्मी लगी क्या?' की सीरीज में गुरुवार को अव्यवस्थित बाजार और पार्किंग को लेकर ग्रुप डिस्कशन हुआ। इसमें लोगों ने न सिर्फ अपने दर्द बयां किए, बल्कि इन प्रॉब्लम्स से कैसे निजात पाई जा सकती है, इसके तरीके भी शेयर किए।

स्पॉट - इस्लामियां कॉलेज ऑफ कॉमर्स

टाइम - 11.30

सिटी के बक्शीपुर स्थित इस्लामियां कॉलेज ऑफ कॉमर्स में गर्मी लगी क्या? कैंपेन सीरीज में डिस्कशन हुआ। इसमें कॉलेज के प्रिंसिपल, टीचर्स के साथ ही स्टाफ मेंबर्स ने अपनी प्रॉब्लम्स शेयर की। इस दौरान प्रिंसिपल डॉ। शाहिद जमाल ने कहा कि पार्किंग शहर में सबसे बड़ी प्रॉब्लम है। किसी भी मल्टी स्टोरी कॉम्प्लेक्स की बात हो या फिर कोई मार्केट की, कहीं प्रॉपर पार्किंग की व्यवस्था नहीं है। डॉ। आदिल अमहद ने कहा कि जहां पार्किंग बनाई गई है, वहां इतने पैसे वसूले जा रहे हैं कि कुछ वक्त के लिए जाने वाला व्यक्ति बजाए पार्किंग में गाड़ी ले जाकर वहीं सड़क किनारे पार्क कर देता है। सत्येंद्र कुमार ने कहा कि पार्किंग न होने से सड़कों पर एनक्रोचमेंट सा हो जाता है, जिसकी वजह से सड़के काफी सकरी हो जाती हैं, वहीं शहर में घूम रहे आवारा जानवर जगह को और कंजेस्टेड कर देते हैं, जिससे लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। डॉ। अरुण कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि अव्यवस्थित बाजार होने की वजह से लोगों को सबसे ज्यादा मुश्किलें होती हैं। टेंप्रेरी मार्केट लगाने वाले सड़कों पर अपनी दुकान सजा लेते हैं, तो वहीं खरीदने वाले आकर गाड़ी रास्ते में रोककर ही खरीदारी करने लगते हैं। ऐसे में रास्ता तंग होता चला जाता है, जिसकी वजह से शहर के कई इलाकों में लोगों को जाम के झाम से जूझना पड़ता है। वहीं ट्रैफिक पुलिस और जिम्मेदार भी उन पर कार्रवाई नहीं करते हैं, जिसकी वजह से उनका मन बढ़ता चला जा रहा है। मौके पर डॉ। जावेद अहमद खान, डॉ। आरिफ हुसैन रिजवी, डॉ। देवनाथ मिश्रा, डॉ। आनंद द्विवेदी, डॉ। विश्वजीत सिंह, डॉ। सत्येंद्र कुमार पांडेय, डॉ। नितिन कुमार बख्शी, डॉ। परमात्मा यादव, डॉ। केदारनाथ सिंह, डॉ। राकेश कुमार तिवारी, डॉ। आलोक पाल, वसीम अहमद, अतीक अहमद, सुहैल अहमद, ऊरूज अहमद, एसएम आसिम आदि ने भी प्रॉब्लम्स और उनके सॉल्युशन शेयर किए।

स्पॉट - न्यू दस्तरख्वान रेस्टोरेंट, बशारतपुर

टाइम - 1.30

दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट की ओर से गर्मी लगी क्या कैंपेन की दूसरी चर्चा बशारतपुर स्थित न्यू दस्तरख्वान रेस्टोरेंट में हुई। इस दौरान व्यापारियों के साथ ही वर्किंग क्लास के लोगों ने अपनी बातें शेयर की। चर्चा की शुरुआत करते हुए इल्यास गाजी ने कहा कि पार्किंग के मनमाने रेट की वजह से लोग गाडि़यां पार्क नहीं करते हैं। वहीं कुछ ऐसे बाजार हैं, जहां पार्किंग का नामों निशान नहीं है। नगर निगम की जहां पार्किंग है, वहां के बारे में किसी को मालूम तक नहीं है। मोहम्मद इरशाद ने कहा कि नगर निगम को चाहिए कि शहर भर की पार्किंग का एक कॉमन रेट तय हो जाए, जो भी इससे ज्यादा वसूले उस पर कार्रवाई करे। नंदन ने कहा कि व्यापारियों के अंदर से इस बात का डर बिल्कुल निकल चुका है कि अगर वह बढ़ा-चढ़ाकर भी दुकान लगाएंगे तो उनपर कोई कार्रवाई होगी। इसलिए सभी दुकानदार आगे बढ़ाकर दुकान लगाते हैं। वहीं जब नगर निगम या दूसरे जिम्मेदारों पर ऊपर से सख्ती होती है, तो वह दिखावे के लिए एक दिन कार्रवाई करते हैं, इस दौरान दुकानदार छोटा-मोटा जुर्माना चुका कर फिर उसी ढर्रे पर आ जाता है। ब्रजेश तिवारी ने कहा कि नगर निगम को चाहिए कि एक दुकान पर दो-तीन बार कार्रवाई करें, अगर उसके बाद भी वह नहीं मानता है, तो उनका लाइसेंस रद कर दें। वहीं पार्किंग के मसले पर अफरोज शाही ने कहा कि सभी कॉम्प्लेक्स, शॉप्स और मॉल के पास पार्किंग होनी चाहिए, वहीं इसका कोई पैसा भी नहीं लगना चाहिए, इससे लोग वहां जाएंगे और गाडि़यां सड़कों पर पार्क नहीं करेंगे, यहां इसका बिल्कुल उलट है। जितना बेहतर मॉल या शॉपिंग कॉम्प्लेक्स होगा, उतनी ही ज्यादा पार्किंग फीस वसूली जाती है। इसको प्रॉपर करने की जरूरत है। इस दौरान मोहम्मद खालिद, अजय गुप्ता, सैयद जावेद कमाल, अशोक कुमार, नजरे आलम, राजेश निषाद, प्रवीन त्रिपाठी, भोला इशरत, बरकत अली, नदीम उर्फ गुड्डू और गोलू चौधरी ने भी अपनी बातें रखीं।

शहर में दुकानदार जो एनक्रोचमेंट करते हैं, उनपर ठीक से कार्रवाई की जाए, तो काफी हद तक प्रॉब्लम से निजात मिलेगी। वहीं लोगों को जाम के झाम से जूझना नहीं पड़ेगा।

- डॉ। शाहिद जमाल, प्रिंसिपल, इस्लामियां कॉलेज ऑफ कॉमर्स

शहर में पार्किंग की व्यवस्था होनी जरूरी है। यहां का ड्रॉ बैक यह है कि बड़े-बड़े कॉम्प्लेक्स होने के बाद भी वहां प्रॉपर पार्किंग की व्यवस्था नहीं है, ऐसे में लोग सड़कों पर गाड़ी खड़ा कर देते हैं, जिससे सभी को प्रॉब्लम फेस करनी पड़ती है।

- नितिन कुमार बख्शी, टीचर

शहर में जितनी भी पार्किंग हैं, उनका कोई रेट फिक्स नहीं है। कहीं पर टू व्हीलर का पांच रुपए लिया जाता है, तो कहीं पर लोगों को 20 रुपए भी देने पड़ते हैं। जिम्मेदारों को चाहिए कि इसका रेट फिक्स करें और इससे ज्यादा वसूलने वालों पर कार्रवाई करें।

- इल्यिास गाजी, प्रोफेशनल

शहर के अहम इलाकों में पार्किंग की व्यवस्था नहीं है। गोलघर जैसे इलाके में नगर निगम की एक पार्किंग है, वह भी लोगों को पता नहीं है। वहीं बलदेव प्लाजा, मंगलम टॉवर पर इतना पैसा वूसला जाता है कि लोग कुछ देर के लिए पार्किंग में गाड़ी खड़ी करने के बजाए, बाहर सड़क पर लगा लेते हैं।

- अब्दुल्लाह खान, व्यापारी

शहर में कुछ ऐसे व्यापारी है, जो अपनी दुकान के बाहर भी दुकान सजा लेते हैं और काफी जमीन पर कब्जा जमा लेते हैं। ऐसा करने से उनके लिए तो ठीक हो जाता है, लेकिन सड़क पर जगह कम हो जाने से लोगों को जाम से जूझना पड़ता है। ऐसे लोगों को इनकी प्रॉब्लम के बारे में भी सोचना चाहिए।

- अभिजीत शंकर, व्यापारी

यह आए सुझाव -

- नगर निगम को गाड़ी पार्किंग का रेट फिक्स कर देना चाहिए।

- जो भी निर्धारित रेट से ज्यादा वसूल करे, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाए।

- एनक्रोचमेंट हटाने के लिए लगातार अभियान चलने चाहिए।

- जो भी सड़क पर कब्जा करे, उस पर कार्रवाई करें और दुकान का लाइसेंस रद कर दें।

- प्रशासन को फ्री पार्किंग की व्यवस्था करनी चाहिए, जिससे कि सड़कों पर लोग गाड़ी न खड़ी करें।

- दुकानदारों को भी नोटिस भेज दें कि अगर वह एनक्रोचमेंट करते हैं, तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

- गोलघर में कम से कम दो फ्री पार्किंग की व्यवस्था होनी चाहिए।

- पुलिस और ट्रैफिक पुलिस को सख्त हिदायत दी जाए कि जो भी गाडि़यां सड़क पर पार्क हैं, उनका चालान करें।