-शासन की तरफ से सरकारी अफसरों की कमाई का मांगा गया ब्योरा

-आदेश के बाद सकते में डॉक्टर्स, पुलिस पदाधिकारी

i special

GORAKHPUR: सीएम के सरकारी अफसरों के संपत्ति को सार्वजनिक करने के आदेश के बाद गोरखपुर में खलबली मच गई है। डॉक्टर से लेकर पुलिस पदाधिकारी तक सकते में आ गए हैं। शासन की ओर से भेजे गए आदेश में सभी गवर्नमेंट डॉक्टर्स, पुलिस पदाधिकारियों, बिजली कर्मचारियों व रोडवेज पदाधिकारियों से उनकी आय का ब्योरा मांगा गया है। साथ ही उनकी डिग्री भी पूछी गई है।

डॉक्टर्स परेशान

आदेश के आते ही सरकारी डॉक्टर्स में खलबली मच गई है। हालांकि इसमें संविदा पर बहाल डॉक्टर्स को राहत दी गई है। उन्हें अपनी संपत्ति का ब्योरा नहीं भेजना है। इससे वे राहत में हैं। अब डॉक्टर इस जुगाड़ में लग गए हैं कि किस तरह कम से कम कमाई दिखा सकें या कैसे अधिक से अधिक कमाई छुपा सकें।

जिले में इतने गवर्नमेंट डॉक्टर्स

जिला अस्पताल --------24

महिला अस्पताल--------10

बीआरडी मेडिकल कॉलेज--66

सीएमओ से संबद्ध -------203

वर्जन

आदेश की जानकारी है। इसका पालन किया जाएगा। सभी डॉक्टर्स से उनकी संपत्ति का ब्योरा लेकर शासन को भेजा जाएगा।

डॉ। पुष्कर आनंद, एडी हेल्थ

----------------------------

दरोगा जी बताइए, कितना पैसा कमाए हैं

हर पुलिस कर्मचारी को देना होगा हिसाब-किताब

आय से अधिक प्रापर्टी के मामले में फंसेगी गर्दन

GORAKHPUR: जिले में थानों पर तैनाती के दौरान मनमानी कमाई करने वाले पुलिस कर्मचारियों की मुसीबतें बढ़ने वाली हैं। आय से अधिक प्रापर्टी के मामले में उनसे भी सवाल-जवाब किया जा सकता है। दरोगाओं और सिपाहियों को अपनी कमाई का ब्यौरा अपने एचओडी को देना होगा। आय से अधिक इनकम होने के मामले में कार्रवाई हो सकती है। दरोगाओं और सिपाहियों के काली कमाई का रिकार्ड शासन तक भेजने की तैयारी चल रही है। आईजी ने कहा कि पुलिस विभाग में भ्रष्टाचार को रोकने के लिए यह कदम उठाया जा रहा है। अफसरों के साथ-साथ कर्मचारियों के आय का ब्यौरा भी मांगा गया है। इसकी रिपोर्ट जिलों के एसएसपी, एसपी के पास जमा कराई जाएगी।

थानों की लगती है बोली

पुलिस अधिकारियों का कहना है कि थानों पर प्रभारी की तैनाती के लिए बोली लगती रही है। थानों की असल कीमत चुकाकर पोस्टिंग पाने वाले एसओ मनमानी तरीके से इनकम करते हैं। अवैध कामों के जरिए होने वाली कमाई ऊपर तक पहुंचाने की बात कहकर दरोगा और सिपाही अक्सर पब्लिक से रुपए मांगते हैं। अपराधियों से गठजोड़ रखने वाले ऐसे पुलिस कर्मचारियों की शिकायत शासन में हो चुकी है। बदनाम हो चुके इंस्पेक्टर, दरोगा और सिपाहियों की जानकारी गवर्नमेंट काे भेजी जा चुकी है।

प्रापर्टी के धंधे में लगी पुलिस

जिले में प्रापर्टी का कारोबार तेजी से फैलने पर कुछ पुलिस कर्मचारी इसमें शामिल हो गए। खाली प्लाट की खरीद-फरोख्त से लेकर उन पर कब्जा जमाने में पुलिस कर्मचारियों की भूमिका सामने आ चुकी है। प्रापर्टी के कारोबार में शामिल पुलिस कर्मचारियों पर शिकंजा करते हुए जिले में एक दर्जन से अधिक पुलिस वालों को चिह्नित किया गया था। गैर जिले में तैनात एक अफसर प्रापर्टी का कारोबार करते हैं। उनके साथ कारोबार में क्राइम ब्रांच में तैनात पुलिस कर्मचारियों का नाम आ चुका है। हत्या के मामले में अफसर के जेल जाने के बाद से पुलिस कर्मचारियों ने दूरी बढ़ा ली थी। लेकिन मामला शांत होने पर वह दोबारा कारोबार में शामिल हो गए। दो साल पूर्व 42 प्रापर्टी डीलर्स को चिह्नित किया गया था, जिनके साथ पुलिसवाले बिजनेस करते हैं।

पुलिस कर्मचारियों के भ्रष्टाचार में लिप्त रहने की शिकायतें सामने आती रहती है। इसलिए सभी पुलिस कर्मचारियों की आय का ब्यौरा मांगा गया है। यह रिकार्ड जिले के एसएसपी और एसपी के पास सुरक्षित रहेगा। किसी तरह का मामला सामने आने पर उसके आधार पर कार्रवाई की जाएगी।

मोहित अग्रवाल, आईजी जोन