- सभी डीएम को दिये गये अपने क्षेत्र में खाली सरकारी भूमि चिन्हित करने के निर्देश

-सरकारी विभागों को भी नहीं मिल पायेगी जरूरत की जमीन

DEHRADUN : देहरादून में यदि किसी सरकारी विभाग को किसी जरूरी काम के लिए तत्काल जमीन की जरूरत पड़ जाए तो उसे जमीन उपलब्ध करवाना कठिन ही नहीं नामुमकिन हो जाएगा। सरकारी विभागों को जमीन देने की जिम्मेदारी जिला प्रशासन की होती है, लेकिन फिलहाल जिला प्रशासन के पास लैंड बैंक के नाम पर सौ वर्ग गज का एक टुकड़ा तक नहीं है। सूत्रों के अनुसार कुछ एनजीओ की छोड़कर किसी ने फिलहाल जमीन उपलब्ध कराने का अनुरोध जिला प्रशासन से नहीं किया है।

ख्0क्भ् में बदला नियम

जुलाई ख्0क्भ् तक किसी भी सरकारी विभाग अथवा निजी कंपनी को जमीन देने के लिए जिला प्रशासन द्वारा प्रस्ताव तैयार किया जाता था और शासन से इसे अनुमोदित किया जाता था। इस काम में लंबा समय लगता था। फ्0 जुलाई ख्0क्भ् को राज्य सरकार ने एक जीओ के माध्यम से आदेश दिया कि सरकारी विभागों को जमीन देने का काम डीएम अपने स्तर पर करें, केवल प्राइवेट कंपनियों को जमीन देने के मामलों को शासन के पास भेजा जाए। इस आदेश के बाद सरकारी विभागों को जमीन देने के मामलों में तेजी आई, लेकिन अब प्रशासन के पास कोई जमीन ही बाकी नहीं रह गई है।

दो साल में क्क्7 जमीन

सरकारी विभागों को जमीन देने के लिए डीएम को अधिकृत किये जाने के बाद इस काम में तेजी आई। पिछले दो सालों के दौरान क्क्7 जगहों पर सरकारी विभागों को जमीनें दी गई। सबसे ज्यादा जमीन लोक निर्माण विभाग को सड़कें बनाने के लिए दी गई। इसके अलावा पुलिस चौकी खोलने, आईआईटी, जिला आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी कार्यालय भवन, स्कूल भवन, असाइलम होम, सेवा का अधिकारी आयोग भवन आदि के लिए भूमि आवंटित की जा चुकी है।

वन विभाग के लिए दोगुनी भूमि

सड़क निर्माण अथवा अन्य किसी कार्य के लिए यदि वन विभाग से जमीन ली जाती है तो जिला प्रशासन को उसके बदले वन विभाग को दोगुनी जमीन देनी पड़ती है, जिस पर वन विभाग वृक्षारोपण कर सके। नगऊ मोटर मार्ग के लिए वन विभाग से ख्.फ्ब् हेक्टेअर भूमि ली गई थी। इसके बदले जिला प्रशासन को वृक्षारोपण के लिए ब्.8म्0 हेक्टेअर बंजर भूमि उपलब्ध करवाई गई।

अब बाकी नहीं लैंड बैंक

अब जिला प्रशासन के पास फिलहाल कोई लैंड बैंक नहीं है। हालांकि डीएम की ओर से सभी एसडीएम को पत्र भेजकर अपने-अपने क्षेत्र में ऐसी सरकारी भूमि चिन्हित करने के आदेश दे दिये गये हैं, जिन्हें लैंड बैंक के रूप में रखा जा सके और जरूरत पड़ने पर किसी सरकारी विभाग अथवा अन्य जरूरतमंद संस्था को दिया जा सके। जिला प्रशासन के सूत्रों के अनुसार यह पत्र करीब एक महीने पहले भेजा गया था। अभी तक किसी भी एसडीएम की ओर से इस संबंध में कोई जानकारी नहीं दी गई है।

सभी एसडीएम को लैंड बैंक के लिए भूमि चयनित करने के लिए कहा गया है। यह काम जारी है। फिलहाल सबसे जरूरी अक्षयपात्र योजना है। सरकारी विभागों को समय-समय पर जमीन की जरूरत होती है, ऐसे में लैंड बैंक होना जरूरी है, जिससे तुरन्त जमीन उपलब्ध करवाई जा सके।

बीर सिंह बुदियाल, एडीएम वित्त एवं राजस्व