- सरकारी अस्पतालों में मरीजों को मिलता है एक जैसा खाना

- डॉक्टर्स देते हैं बीमारी के अनुसार डाइट की एडवाइस

- दो टाइम की डाइट में मिलती है सिर्फ रोटी-दाल और सब्जी

Meerut : वायरल, फीवर, टाइफाइड हो या ज्वाइनडिस। जैसी बीमारी हो डाइट भी उसी हिसाब से होनी चाहिए। डॉक्टर्स भी कुछ इसी तरह की सलाह देते हैं, लेकिन सरकारी अस्पतालों का तो हाल ही जुदा है। यहां तो सभी बीमारियों के मरीजों को एक ही डाइट दी जा रही है। डाइट भी ऐसी, जिसे खाने से मरीज और भी बीमार हो जाए। मसलन, सूखी रोटी। दाल ऐसी, जिसमें सिर्फ पानी ही नजर आए और कोई भी एक सब्जी।

बढ़ रहे मरीज

इन दिनों कभी गर्मी तो कभी बरसात, मौसम पल-पल बदल रहा है। साथ ही बीमारियों का सिलसिला भी जोरों पर है। वायरल, डायरिया, टाइफाइड, पीलिया, हैजा और अनेकों पेट व स्किन संबंधित बीमारियों के मरीज भी बढ़ रहे हैं। नौबत तो एडमिट करने तक भी आ रही है। डॉक्टर्स भी मरीजों को उनकी बीमारी के हिसाब से अलग-अलग खानपान बता रहे हैं। मगर सरकारी अस्पतालों में तो बस मरीजों दाल रोटी और एक सब्जी ही परोसी जा रही है।

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ये है सरकारी अस्पतालों का मेन्यू

यहां हम मेडिकल कॉलेज और प्यारे लाल जिला अस्पताल की बात कर रहे हैं, जहां पर हर तरह के मरीज को बस एक ही मेन्यू दिया जा रहा है।

प्यारे लाल जिला सरकारी अस्पताल- सुबह दस बजे और शाम चार बजे दो ही समय की डाइट दी जाती है, जिसमें मरीजों को बिना घी की चार रोटी, पतली दाल और एक सब्जी ही परोसी जाती है। दाल भी अधिकतर मूंग की परोसी जाती है।

मेडिकल -

मेडिकल में सुबह क्क् बजे और शाम को पांच बजे मरीजों को चार सूखी रोटी, पतली दाल और एक ही सब्जी परोसी जाती है। भले ही कोई भी मरीज हो उसको यही सबकुछ मेडिकल में परोसा जाता है।

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पेशेंट्स रियेक्शन

खाना भी ऐसा जो न खाया जाए

सरकारी अस्पतालों की मेस से मरीजों को परोसा जाने वाला खाना भी ऐसा होता है, जो न ही खाने लायक है और न ही खाया जाता है। मेडिकल में एडमिट मरीज रामकुमार की बहन सोनू ने बताया कि यहां तो जो दाल दी जाती है, उसमें दाल कम और पानी ज्यादा नजर आती है। खाने में भी टेस्ट अजीब सा ही आता है।

जिला अस्पताल में एडमिट एक युवती के पिता अमर सिंह ने बताया कि यहां जो रोटी परोसी जाती है, वो ठीक से चबाई नहीं जा सकती है और जो सब्जी दी जाती है, उसका टेस्ट भी बहुत अजीब सा होता है। इस तरह के भोजन से तो मरीज और भी बीमार हो सकता है।

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ऐसी होनी चाहिए डाइट

ज्वाइनडिस- ज्वाइनडिस यानि पीलिया। इसमें शरीर पीला पड़ जाता है और अगर ज्यादा सेहत बिगड़ जाए तो प्लेटलेस तक कम होने की संभावना आ जाती है।

डाइट- इसमें उबला हुआ पानी, हल्का और ताजा भोजन जैसे दलिया, खिचड़ी, मिर्च मसाले बंद हो जाते हैं, फल, सब्जी अनाज, दूध जैसी बैलेंस डाइट देनी चाहिए। डॉक्टर्स इसमें अधिकतर लिक्विड लेने की सलाह देते हैं, चाहे वो किसी जूस के रूप में हो या फिर किसी अन्य रूप में हो।

वायरल- यह बीमारी पूरे पांच दिन तो रहती ही है। इस बीमारी में ज्यादा से ज्यादा रेस्ट की सलाह दी जाती है और अगर ध्यान न रखा गया तो एडमिट होने की नौबत तक आ जाती है।

डाइट - डॉक्टर्स इस बीमारी में ज्यादा से ज्यादा गरम खाने की सलाह देते हैं। जैसे सूप, हर्बल टी, ग्रीन टी या चाय। इसके साथ ही दलिया, दाल, रोटी, सब्जी, मरीज की जो इच्छा हो वह खा सकता है।

टाइफाइड - टाइफाइड में मरीज को दूषित पानी और स्ट्रीट फूड और जंक फूड से बचने की सलाह दी जाती है।

डाइट- टाइफाइड के मरीज को रोटी खानी, दाल, सब्जी और लिक्विड ज्यादा लेना चाहिए, लेकिन सबकुछ ताजा होना चाहिए। अधिक से अधिक दाल खाने की सलाह दी जाती है। साथ ही जूस पीने की भी सलाह दी जाती है।

डायरिया- उल्टी-दस्त होना शरीर कमजोर होना, वीकनेस आना यह सभी डायरिया के लक्षण ही हैं। डायरिया में अक्सर भोजन न पचने की भी समस्या आती है।

डाइट- इसमें पानी की कमी होने के कारण नींबू चीनी के घोल पिलाने की सलाह दी जाती है, साबूत दाल की खिचड़ी, काला नमक लगा हुआ केला, हल्की सिकी हुई ब्रेड जैसी चीजें खाने की सलाह दी जाती है।

हैजा- हैजा होने पर सबसे ज्यादा फ्लोराइड मेनटेन करने की सलाह दी जाती है। यह एक तरह का इनफेक्शन है, जिसे खत्म करने के लिए एक्स्ट्रा ग्लूकोस की जरुरत होती है।

डाइट- हैजा के मरीज को एडमिट करने के बाद बोतल चढ़ाने के बाद भी एक्स्ट्रा ग्लूकोस पिलाने की सलाह दी जाती है। पहले कुछ दिन तो मरीज को ग्लूकोस दिया जाता है। फिर मरीज को कम तेल वाले जवे, पोहा, उपमा और खीर जैसी चीजें खाने की सलाह दी जाती है।

हर बीमारी के लिए डॉक्टर्स अलग-अलग तरह की डाइट की सलाह देते हैं, क्योंकि हर बीमारी के हिसाब से मरीज को अलग-अलग तरह का खाना सूट करता है। एक डायटीशियन होने के नाते मैं भी यही सलाह दूंगी कि हर मरीज को बीमारी के अनुसार ही डाइट देनी चाहिए।

-डॉ। भावना गांधी, डायटीशियन

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हैजा, वायरल, डायरिया, पीलिया यह सभी बीमारी में अलग-अलग हैं, जिनके हिसाब से ही मरीज को डाइट देना बेहतर रहता है। यह तो बीमारी व मरीज पर डिपेंड करता है कि उसे किस तरह की डाइट सूट करेगी।

-डॉ। तनुराज सिरोही, फिजिशियन

मरीज को आवश्यकता अनुसार खिचड़ी भी दी जाती है। हर सरकारी अस्पताल में इसकी व्यवस्था होती है।

-डॉ। सहदेव कुमार वालिया, एसआईसी, जिला अस्पताल

बजट कम होने से थोड़ी दिक्कत आती है। वरना पहले तो यहां दूध भी दे दिया जाता था, लेकिन जब आवश्यकता पड़ती है, तो मरीज को खिचड़ी या दलिया दे देते हैं।

-डॉ। प्रदीप भारती, प्रिंसीपल, मेडिकल कॉलेज