यह था मामला

कासगंज में गणतंत्र दिवस पर तिरंगा यात्रा के दौरान हुए बवाल और युवक चंदन गुप्ता की मौत के बाद डीएम बरेली राघवेंद्र विक्रम सिंह ने अपने फेसबुक प्रोफाइल पर ऐसी तिरंगा यात्रा पर सवाल उठाए थे। डीएम के इस पोस्ट पर बखेड़ा खड़ा हो गया था। आलाधिकारियों की फटकार और बवाल बढ़ता देख डीएम सिंह ने उस पोस्ट को डिलीट कर हिंदू-मुस्लिम का डीएनए विश्लेषण करते हुए दूसरी पोस्ट डाल दी। जिस पर भी विवाद हो गया था। सीएम योगी आदित्यनाथ ने इस पर नाराजगी जताई थी, जिसके बाद सीएम के निर्देश पर पूरे मामले की जांच अपर मुख्य सचिव नियुक्ति व कार्मिक दीपक त्रिवेदी ने कमिश्नर बरेली पीवी जगनमोहन को सौंपी थी।

कासगंज मामले में अब इस लेडी अफसर ने क‍िया फेसबुक पर व‍िवाद‍ित पोस्ट,डीएम बरेली पर गाज गिरनी तय

'डीएम का व्यवहार गैरजिम्मेदाराना'

सूत्रों के मुताबिक, पीवी जगनमोहन ने अपनी जांच रिपोर्ट नियुक्ति व कार्मिक विभाग को भेज दी है। इस विस्तृत रिपोर्ट में उन्होंने डीएम सिंह द्वारा की गई फेसबुक पोस्ट को गलत और उनके व्यवहार को गैरजिम्मेदाराना माना है। साथ ही एक जिम्मेदार पोस्ट पर बैठे प्रशासनिक अधिकारी के इस कृत्य पर उन्होंने आपत्ति जताई है। सूत्रों ने बताया कि कमिश्नर की यह रिपोर्ट चीफ सेक्रेटरी राजीव कुमार को भेज दी गई है। अब सीएम योगी आदित्यनाथ इस रिपोर्ट पर चीफ सेक्रेटरी व प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री एसपी गोयल के साथ चर्चा के बाद डीएम सिंह के खिलाफ कार्रवाई करेंगे।

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एक और अधिकारी ने फोड़ा फेसबुक बम

डीएम बरेली राघवेंद्र विक्रम सिंह द्वारा फेसबुक पर तिरंगा यात्रा को लेकर की गई विवादित टिप्पणी पर खड़ा हुआ बखेड़ा अभी शांत भी नहीं हो पाया था कि इसी बीच सहारनपुर में तैनात एक महिला अधिकारी ने भी कासगंज की घटना को लेकर फेसबुक पर विवादित पोस्ट जड़ दिया है। डिप्टी डायरेक्टर सांख्यिकी के पद पर कार्यरत रश्मि वरुण ने बीती 28 जनवरी को किये फेसबुक पोस्ट में लिखा।'तो ये थी कासगंज की तिरंगा रैली...कोई नई बात नहीं है ये, अंबेडकर जयंती पर सहारनपुर की सड़क दुधली में भी ऐसी ही रैली निकाली गई थी। जिसमें अंबेडकर गायब थे, या कहिये भगवा रंग में विलीन हो गए थे। कासगंज में भी यही हुआ। तिरंगा तो शवासन में रहा और भगवा ध्वज शीर्ष (आसान) पर, जो लड़का मारा गया उसे किसी दूसरे तीसरे समुदाय ने नहीं मारा। उसके केसरी, सफेद और हरे रंग की आड़ लेकर भगवा ने खुद मारा, जो नहीं बताया जा रहा वो ये कि अब्दुल हमीद की मूर्ति या तस्वीर पे तिरंगा फहराने की बजाय इस तथाकथित तिरंगा रैली में चलने की जबरदस्ती की गई और केसरिया, सफेद, हरे और भगवा रेंग पे लाल रंग भारी पड़ गया।

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