तलाक की स्थिति में पत्नी को होगा फायदा
कानून मंत्रालय ने विवाह कानून (संशोधन) विधेयक के मसौदे पर कैबिनेट नोट को विमर्श के लिए विभिन्न मंत्रालयों में वितरित किया है. मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि एक बार जब इस पर सबकी राय मिल जाएगी तो नवनियुक्त कानून मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा अंतिम सहमति के लिए इसे कैबिनेट के समक्ष पेश करेंगे. इस मसौदे के अनुसार, विवाह कानून अब महिलाओं के और अनुकूल होंगे. इसमें कई उपाय करने हैं. जिनमें तलाक की स्थिति में पति की अचल संपत्ति में से पत्नी और बच्चों को पर्याप्त मुआवजा का प्रावधान भी है.

तीन साल में हो जायेगा फैसला
तलाक के मामलों का अदालत में लंबे समय लटके रहने पर रोक लगाने के लिए भी प्रावधान किए गए हैं. इसके लिए कानून मंत्रालय का प्रस्ताव है कि पति-पत्नी में से कोई एक आपसी सहमति से तलाक के लिए संयुक्त आवेदक के रूप में आगे नहीं आता तो अदालतें तीन साल बाद अपने विवेक से तलाक की इजाजत देने के लिए स्वतंत्र रहेंगी. तलाक के मामले में पति की स्थायी संपत्ति से पत्नी व बच्चों को मुआवजा मिलना सुनिश्चित होगा. मुआवजे की रकम अदालत से  तय होगी.

पहले हो चुका है रद्द

आपको बताते चलें कि संबंध सामान्य करने व आपसी सहमति से तलाक की अर्जी दायर करने के लिए छह माह से लेकर डेढ़ साल तक इंतजार अवधि का प्रावधान पहले से ही कानून में है. इस विधेयक पर आम सहमति बनाने के लिए संप्रग की पिछली सरकार ने बहुत प्रयास किए थे. वर्ष 2013 में यह विधेयक ऊपरी सदन से पारित भी हो गया था लेकिन लोकसभा से पारित नहीं हो सका था. 15वीं लोकसभा के भंग होने के बाद यह स्वत: रद हो गया.

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