- शिक्षा विभाग हो या सरकारी स्कूल, कर्मचारियों के बच्चे भी सरकारी स्कूल में नहीं पढ़ते

Meerut : बोर्ड कार्यालय के बाबू अमित का बेटा दीवान स्कूल में, डीआईओएस कार्यालय के आलाधिकारी शर्मा जी की बिटिया सोफिया स्कूल और अपने जीआईसी के टीचर अरुण का बेटा पढ़ता है एमपीएस स्कूल में। सरकारी स्कूलों से तो दूर से ही सभी ने हाथ जोड़ दिए हैं। मजे की बात तो यह है कि सरकारी स्कूलों में बेहतर एजुकेशन का दावा करने वालों का खुद का विश्वास भी अपनी शिक्षण गुणवत्ता से उठ चुका है। हकीकत तो यही कहती है कि शिक्षा विभाग से लेकर संस्थानों तक एक भी ऐसा व्यक्ति नहीं है, जिसने अपने बच्चे को सरकारी स्कूल में पढ़ाने की हिम्मत जुटाई हो।

सिस्टम पर विश्वास नहीं

बेसिक शिक्षा विभाग से संबंधित लगभग 1300 से भी अधिक प्राइमरी व जूनियर स्कूल हैं। इन स्कूलों में छह हजार से भी ऊपर टीचर हैं। इन टीचर्स की डिग्री बीएड, बीटीसी से कम नहीं है। कुछ तो ऐसे भी हैं, जिन्होंने एमएड तक की है, लेकिन इन टीचर्स में से एक का भी बच्चा सरकारी स्कूल में नहीं पढ़ता है। इसका मतलब साफ है कि किसी भी टीचर को अपनी शिक्षण गुणवत्ता पर विश्वास ही नहीं है।

माध्यमिक में भी यही हालात

मेरठ में अगर हम इंटर तक के माध्यमिक स्कूलों की बात करें तो वहां भी कम से कम पांच हजार टीचर्स तो हैं ही। इनमें 50 माध्यमिक स्कूल, 132 से अधिक सरकारी स्कूल और दो सौ से अधिक एडेड स्कूल है। इन सभी स्कूलों के टीचर्स में से एक भी टीचर ऐसा नहीं है जो अपने बच्चे को किसी सरकारी स्कूल में पढ़ा रहा हो। अगर टीचर्स से सरकारी स्कूलों में बच्चों को पढ़ाने की बात भी की जाती है तो वह सिस्टम में खराबी बताकर स्कूलों की पढ़ाई से हाथ जोड़ देते हैं।

खुद पर नहीं विश्वास

डीआईओएस कार्यालय में तीन से चार अधिकारी के साथ 34 कर्मचारियों का भी स्टाफ है। अगर हम डीआईओएस टू की बात करें तो वहां भी एक अधिकारी के साथ छह सात लोगों का स्टाफ है। उधर बोर्ड ऑफिस में चार अधिकारियों के साथ 30 लोगों का बड़ा स्टाफ है। जेडी कार्यालय में 20 कर्मचारियों का स्टाफ है। बेहतर शिक्षा का दावा करने वाले शिक्षा विभाग के तमाम विभागों का एक भी अधिकारी या कर्मचारी ऐसा नहीं है, जिसका बच्चा सरकारी स्कूल में शिक्षा पा रहा है।

हाईकोर्ट ने दिया है निर्देश

हाईकोर्ट का निर्देश है कि सभी नौकरशाह अपने बच्चे को सरकारी स्कूल में पढ़ाएं। इससे इन स्कूलों में पढ़ाई का स्तर सुधरने की उम्मीद तो जगी है।

इनको नहीं है विश्वास

नाम विभाग पद प्राइवेट स्कूल बच्चा क्लास

वरुण जीआईसी टीचर एमपीएस बेटा सेकेंड

सुमित बोर्ड बाबू सोफिया बेटी थर्ड

सुधा खालसा स्कूल टीचर सेंट थॉमस बेटा फाइव

रमित एसडी सदर टीचर सेंट मेरीज बेटा सिक्स

अर्चना दुर्गाबाड़ी स्कूल टीचर दीवान स्कूल बेटी थर्ड क्लास

मोहिनी हावर्ड प्लास्टेट स्कूल टीचर सेंट जोंस बेटा सेवेंथ क्लास

रीटा गुरु नानक स्कूल टीचर सोफिया स्कूल बेटी सिक्स क्लास

मोहित सीएवी कर्मचारी ऋषभ स्कूल बेटी फ‌र्स्ट क्लास

क्या कहते हैं अधिकारी

स्कूलों में शिक्षण गुणवत्ता सुधारने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। कोशिश रहेगी कि सरकारी टीचर्स के बच्चों को भी सरकारी स्कूलों में भेजा जाए। यह देखने में आया है कि बहुत कम लोग है जो अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में भेजना पसंद करते हैं।

-मोहम्मद इकबाल, बीएसए

पहले के समय में अधिकतर अधिकारियों के बच्चे जीआईसी से पढ़ा करते थे, अब यह देखने में आया है कि कम लोग हैं जो अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ा रहे हैं। शिक्षा विभाग की तरफ से लगातार प्रयास हो रहे हैं एजुकेशन सिस्टम में सुधार लाया जाए।

-श्रवण कुमार यादव, डीआईओएस

सरकारी स्कूलों में एजुकेशन को सुधारने के लिए शिक्षा विभाग कुछ न कुछ करता रहता है। विभाग के निरंतर प्रयास है कि सरकारी स्कूलों में बेहतर एजुकेशन दें व बच्चों को सरकारी स्कूलों की तरफ आकर्षित करें।

-डॉ। महेंद्र देव, जेडी