-शासनादेश के तहत बरेली के एक शव वाहन शुरू

-एनजीओ की मदद से अन्य वाहन भी चलाए जाएंगे

<-शासनादेश के तहत बरेली के एक शव वाहन शुरू

-एनजीओ की मदद से अन्य वाहन भी चलाए जाएंगे

BAREILLY: BAREILLY: अब मरने वाले की डेडबॉडी ले जाने के लिए परिजनों को परेशानी नही उठानी पड़ेगी। क्योंकि इसके लिए सरकार ने सरकारी व्हीकल देने की व्यवस्था की है। गवर्नमेंट हॉस्पिटल में मरने वाले व्यक्ति का शव फ्री में घर पहुंचाया जाएगा। इतना ही नहीं ठेलों और रिक्शे आदि पर लावारिस लाशों को ले जाने से उससे होने वाली दुर्गति भी नहीं होगी। वाहन उपलब्ध कराने के लिए एनजीओ की भी मदद ली जाएगी।

नोडल अधिकारी की जिम्मेदारी

शासनादेश के तहत डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के अधिकारी डिस्ट्रिक्ट में एनजीओ, चैरिटी या अन्य संस्था द्वारा चलने वाले शव वाहनों की लिस्ट तैयार करेंगे। अगर सरकारी शव वाहन किसी कारण से उपलब्ध नहीं हो पाएगा तो सीएमएस की जिम्मेदारी होगी कि वह संस्था के द्वारा चलाए जा रहे शव वाहन का इंतजाम करें। शव वाहन के संचालन के लिए एक नोडल अधिकारी बनाया जाएगा। मृतक के परिजन उस अधिकारी से संपर्क कर सकें इसके लिए उसके हेल्प लाइन नंबर का प्रचार-प्रसार किया जाएगा।

इमरजेंसी नंबर की सुविधा

पब्लिक इमरजेंसी नंबर भी कॉल कर सकेगी। इमरजेंसी नंबर रिसीव करने वाले को भी इस बारे में शव वाहन संचालक को जानकारी देनी होगी। शासनादेश के तहत शव वाहन से सरकारी अस्पतालों में मरने वाले शवों को परिजनों के घर तक पहुंचाना होगा। इसके अलावा लावारिस शवों को हॉस्पिटल से पोस्टमार्टम हाउस तक और फिर पोस्टमार्टम के बाद अंतिम संस्कार स्थल तक पहुंचाया जाएगा।

शासनादेश के तहत एक शव वाहन शुरू कर दिया गया है। नए निर्देश आने पर एनजीओ से भी संपर्क कर अन्य वाहन चलाए जाएंगे।

डॉक्टर मनोज शुक्ला, नोडल अधिकारी