-अर्थदंड की वसूली न होने से प्रभावी नहीं हो पा रहा आरटीआई कानून

-मेरठ में 148 पेनाल्टी पर नहीं हो सकी है वसूली, 37 लाख रुपये की वसूली अटकी

-सूबे में 50 हजार से अधिक केस पेडिंग, आयुक्तों की तैनाती न होने से स्थिति गंभीर

Meerut: मेरठ में 148 जन सूचना अधिकारियों से विभिन्न केस में 37 लाख रुपये की वसूली होनी है.लेकिन सरकार सहयोग नहीं कर रही है, आयोग का काम सूचना का अधिनियम का अनुपालन न होने की स्थिति में जन सूचना अधिकारी पर पेनाल्टी तामील करना है,वहीं वसूली करना सरकार का काम है। मेरठ समेत सूबे के विभिन्न जनपदों में 13 जुलाई तक दो हजार केस में जन सूचना अधिकारी के खिलाफ पेनाल्टी तामील की गई। वसूली को लेकर कड़ाई नहीं बरती जा रही इसका फायदा दोषी अफसर उठा रहे हैं। राजस्व का घाटा हो रहा है तो वहीं सरकार के खर्च पर अधिकारी आते हैं, टीए-डीए बनाते हैं और पिकनिक मनाकर चले आते हैं। सोमवार को मेरठ में आई नेक्स्ट के सवाल में राज्य सूचना आयुक्त राजकेश्वर सिंह ने कहा कि सरकार को पेनाल्टी वसूलने में तत्परता दिखानी होगी।

सूबे में 50 हजार पेन्डिंग केस

राजकेश्वर सिंह ने बताया कि सूबे के सभी जनपदों से 50 हजार से अधिक आरटीआई पेंडिंग हैं। न्यायालय की तरह बढ़ रहे केस के बोझ पर सूचना आयुक्त ने साफ किया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हर राज्य में अधिकतम 10 सूचना आयुक्त की तैनाती का प्रावधान है। हरियाणा जैसे छोटे राज्य में भी 10 सूचना आयुक्त हैं तो देश के सबसे बड़े राज्य (आबादी) में भी 10 आयुक्त हैं। ऐसे में केस का ढेर तो लगेगा ही। बढ़ रही पेन्डेंसी के पीछे जन सूचना अधिकारियों का आरटीआई कानून में बारे में जानकारी न होना भी है। वे (सूचना आयुक्त) मेरठ में 2, 3 और 4 नवंबर को मेरठ में पुराने 295 मामलों की सुनवाई करेंगे। आयुक्त ने दावा किया ज्यादातर मामलों को निस्तारित कर दिया जाएगा।

घर-घर जाकर देगा सूचना

कलक्ट्रेट स्थित बचत भवन में समीक्षा के बाद राज्य सूचना आयुक्त ने आई नेक्स्ट को बताया कि अब आयोग सूचना मांगने वाले के दरवाजे पर जाएगा। लंबित प्रकरणों को कम करने के लिए आयोग के आयुक्त अब सूबे के जनपदों में जाएंगे। विभाग और शिकायतकर्ता के बीच बैठक कर पेंडेंसी को निपटाया जाएगा। पेंडेंसी को निपटाने के लिए आयोग को अब फील्ड में उतरना होगा।