गिर सकते हैं सोने के दाम

देश में विदेशी निवेश के बढ़ने और शेयर बाजारों की नई ऊंचाईयों को देखते हुए रिजर्व बैंक ने अपनी कंट्रोवर्सियल 80:20 योजना को शुक्रवार से निरस्त कर दिया है. इस योजना के निरस्तीकरण को उद्योग समूहों से सराहना मिली है. ऑल इंडिया जेम्स एंड ज्वेलरी फेडरेशन के चेयरमैन ने कहा कि यह योजना पूरी तरह से अव्यावहारिक थी. इससे एकाधिकार वाले कारोबारी व्यवहार को बढ़ावा मिल रहा था. इस योजना के समाप्त किए जाने से सोने के दाम नीचे आ सकते हैं क्योंकि ग्लोबल मार्केट में सोने के दाम गिरे हैं.

आखिर क्या थी 80:20 योजना

रिजर्व बैंक ने सोने के आयात में कमी लाने के लिए 80:20 योजना को शुरू किया था. इस योजना के तहत सोना आयातकों को नए ऑर्डर को देने से पहले आयातित गोल्ड की मात्रा में से 20 प्रतिशत गोल्ड ज्वेलरी को निर्यात करना जरूरी था. इस योजना को 2013 के अगस्त माह में लागू किया गया था. गौरतलब है कि करेंट अकाउंट डेफिसिट के बढ़ने में गोल्ड इंपोर्ट एक बड़ा रोल निभाता है. इसलिए आरबीआई ने इस पॉलिसी को लागू किया था. लेकिन देश के आर्थिक हालात सुधरने के साथ ही आरबीआई ने इस योजना को हटा दिया है. आरबीआई ने अपनी नोटिफिकेशन में कहा, 'भारत सरकार ने 80:20 योजना को समाप्त करने और सोने के आयात पर अंकुशों में ढील देने का फैसला किया है. ऐसे में इस योजना के बारे में जारी सभी निर्देश वापस लिए जाते हैं.' उल्लेखनीय है कि अक्टूबर माह में सोने का आयात 280 प्रतिशत बढ़कर 4.17 अरब डॉलर पर पहुंच गया है. जबकि सितंबर में स्वर्ण आयात सिर्फ 97 टन रहा था. ऐसे में इस बात की उम्मीद की जा रही थी कि भारत सरकार सोने के आयात पर नए प्रतिबंध लगा सकती है लेकिन सरकार ने इस योजना को निरस्त करके उद्योग समूहों को चौंका दिया है. इस बारे में एक अधिकारी ने कहा,'सरकार का विश्वास है कि इस कदम से बाजार में आई विकृति को दूर किया जा सकेगा.'

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