सरकारी कार्मिकों के आश्रितों में अविवाहित भाई-बहन के साथ माता व पिता को भी किया गया शामिल

तीन माह के बजाए अब छह माह का निकाल सकेंगे वेतन

DEHRADUN:

राज्य सरकार ने उत्तराखंड सामान्य भविष्य निधि (संशोधन) नियमावली की अधिसूचना शुक्रवार को जारी कर दी। अधिसूचना के जारी होने के बाद प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों को जीपीएफ का पैसा निकालने में अब दिक्कत नहीं आएगी। साथ ही कर्मचारी अपने और आश्रितों की शिक्षा, स्वास्थ्य समेत तमाम जरूरी कार्यो के लिए जीपीएफ से ज्यादा धनराशि ले सकेंगे।

क्0 साल में निकाल सकेंगे धनराशि

मंत्रिमंडल ने बीती क्क् मई को जीपीएफ की नियमावली को ज्यादा सरल बनाते हुए संशोधनों को मंजूरी दी थी। वित्त प्रमुख सचिव राधा रतूड़ी की ओर से जारी संशोधित नियमावली की अधिसूचना के मुताबिक सरकारी कार्मिकों के आश्रितों में अविवाहित भाई-बहन के साथ माता व पिता को शामिल किया गया है। सरकारी कर्मचारियों को अपने बच्चों के साथ ही आश्रित सदस्यों की पढ़ाई, धार्मिक कार्यो, भवन मरम्मत या नया भवन, भूमि या फ्लैट के लिए जीपीएफ से धन उपलब्ध होगा। जीपीएफ से धनराशि क्ख् साल के बजाए क्0 साल में निकाली जा सकेगी। नए भवन, भूमि खरीद के लिए क्भ् साल के बजाए क्ख् साल में धनराशि उपलब्ध हो जाएगी। जीपीएफ से छह महीने के वेतन के बराबर राशि अथवा जीपीएफ में जमा धनराशि का भ्0 फीसद निकाला जा सकेगा।

जीपीएफ नियमावली के प्रमुख अंश

-कार्मिक अपनी या आश्रित परिवार के सदस्य की उच्चतर शिक्षा को जीपीएफ निकाल सकेंगे।

-कार्मिक अब छह माह का वेतन या जीपीएफ में जमा भ्0 फीसद धनराशि निकाल सकेंगे, पहले तीन माह का वेतन निकालने का था प्रावधान।

-क्भ् वर्ष की सेवा के बजाए दस वर्ष की सेवा पर दोपहिया या चौपहिया वाहन अथवा कंप्यूटर लैपटॉप या अन्य इलेक्ट्रानिक उपकरण अथवा से पहले से लिए गए अग्रिम के प्रतिदान को धन निकाल सकेंगे।

-पहले जीपीएफ से धनराशि निकालने को न्यूनतम क्ख् वर्ष की सेवा आवश्यक थी, इसे घटाकर दस वर्ष किया गया।

-भूमि, भवन, फ्लैट की खरीद या पैतृक गृह अथवा स्वयं के मकान बनाने और मरम्मत और पुनरुद्धार।