BAREILLY: इज्जतनगर इलाके के कृष्णा नगर कॉलोनी में सुरेंद्र पाल सिंह के परिवार में सुख और दुख का ऐसा मेल हुआ कि चर्चा का विषय बन गया। एक तरफ घर में बेटी कल्पना की शादी की तैयारियां चल रही थीं। वहीं, दूसरी तरफ परिवार में मुखिया का निधन हो गया, जिससे शादी की तैयारियों पर गम के बादल छा गए। लिहाजा, शादी की तारीख को लेकर बुजुर्गो और पंडितों से इस बारे में राय ली गई। कभी विचार के बाद सभी ने सलाह दी की मांगलिक कार्य शुरू होने के बाद बीच में रोका नहीं जा सकता।

 

हल्दी की रस्म की रात हुई मौत

कल्पना की शादी 18 फरवरी को होनी थी, 16 फरवरी को कल्पना की हल्दी की रस्म को पूरा किया गया, लेकिन उसी रात कल्पना के 77 वर्षीय दादा की मौत हो गई। जिससे पूरे परिवार में चीख पुकार मच गई। पूरा परिवार इसी पसोपेश में था कि अब करें तो क्या करें।

 

पहले शादी करें या अंंतिंम संस्कार

अचानक हुए निधन ने पूरे परिवार को संशय में डाल दिया। कोई यह नहीं समझ पा रहा था कि अब पहले बेटी की शादी करें या पिता का अंतिम संस्कार करें। इस बारे में जब राय ली गई तो सभी ने कहा कि घर में यदि एक बार मांगलिक कार्य शुरू हो जाएं तो उन्हे रोका नहीं जा सकता। इसलिए अब पहले बेटी की शादी तो करनी ही होगी।

 

तीन दिन घर में रखी डेड बॉडी

शादी की रस्म को पूरा करने के लिए परिवार वालों ने मृतक धरमवीर सिंह की डेड बॉडी को शादी होने तक डीप फ्रीजर में रखा गया। 18 फरवरी को जब कल्पना की शादी की सभी रस्में पूरी होने के बाद उसकी विदाई हुई और फिर 19 फरवरी को सुबह धरमवीर सिंह का अंतिम संस्कार किया गया।

 

आधा परिवार घर में, आधा शादी में

कल्पना के चाचा रविंद्र सिंह ने बताया कि कल्पना की शादी खटीमा से हुई है, जिसमें हमारा पूरा परिवार नहीं जा सका। आधा परिवार बेटी की शादी करने के लिए खटीमा गया और आधा परिवार पिता के बॉडी के पास ही रहा।

 

परिवार में खुशी का माहौल था, लेकिन अचानक ऐसा हो जाएगा, किसी को कोई उम्मीद नहीं थी। सोचा था भतीजी की शादी बड़ी धूमधाम से करेंगे, लेकिन ऐसा कुछ नहीं कर पाए।

-मदनपाल सिंह, चाचा

 

हमारी बेटी की तो मां भी नहीं है उसका तो कन्यादान भी हमें ही करना था। मुझे तो यह भी समझ नहीं आ रहा था कि कन्यादान करें या पिता की अर्थी को विदा करें - विद्या रानी, चाची