AGRA। मुगल काल की राजधानी का शहंशाह शाहजहां की बेगम मुमताज की याद में बना ताजमहल को और संवारने का जिम्मा पुरातत्व विभाग की उद्यान ब्रांच ने उठाया है। रॉयल गेट के पास स्थित चार ?लॉक्स में ब्रिटिश हुकुमत की राजधानी कोलकाता से घास मंगाई जा रही है। लगभग तीस साल बाद 20 लाख रुपये की घास को गार्डन में बिछाया जाएगा।

तीन दशक बाद बदलेगी सूरत

ताजमहल के अंदर एंट्री करते ही ताज परिसर में बिछी घास नजारे को और खूबसूरत बना देता है। इन्हीं में एक है रॉयल गेट। जहां चार ?लॉक हैं। इनमें 30 वर्ष पहले घास बिछाई गई थी। लिहाजा अब इसे बदलने की तैयारी है। इसके लिए पुरातत्व विभाग की ब्रांच ने योजनाबद्ध तरीके से काम शुरू करवा दिया है।

युद्ध स्तर पर चल रहा काम

ताजमहल के रॉयल गेट के पास वाले गार्डन की रौनक अलग ही होगी। इसको लेकर इन दिनों युद्ध स्तर पर काम चल रहा है। दर्जनों कर्मचारियों की कई टोलियां ताजमहल के गार्डन की सूरत बदलने में लगी हैं।

घास पहले आएगी दिल्ली

पुरातत्व विभाग की उद्यान शाखा के अफसरों की मानें तो रॉयल गेट पर चार ?लॉक्स में बिछाने के लिए पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता से घास मंगाई जा रही है। खास बात ये है कि ये घास डायरेक्ट आगरा नहीं आएगी। बल्कि पहले इसे दिल्ली उतारा जाएगा, उसके बाद आगरा लाया जाएगा।

क्लास वन की है घास

ताजमहल के लिए स्पेशली क्लास वन दूब घास मंगवाई जा रही है। क्लास वन क्वालिटी की घास की वजह से ही पूरे प्रोजेक्ट पर तकरीबन बीस लाख रुपये का खर्चा आने की संभावना है। घास लगने के बाद गार्डन्स की देखभाल के लिए करीब 40 मालियों की टीम संरक्षित रखेगी।