- तीन परसेंट पानी ही इस्तेमाल के लायक

- पोर्टेबल वॉटर के कंजप्शन को कम करने के लिए घर से करें शुरुआत

- पानी की बर्बादी को रोकने के लिए बने कानून, कड़ाई से कराया जाए पालन

GORAKHPUR: दुनिया में एक तिहाई पानी मौजूद है, लेकिन इसमें सिर्फ .003 फीसद पानी ही पीने लायक है। वहीं टोटल वॉटर का तीन फीसद पानी ही हम इस्तेमाल कर सकते हैं। बाकी 97 परसेंट पानी समुद्र में मौजूद है और यह किसी के इस्तेमाल करने लायक नहीं है। लेकिन हम आज पानी को ऐसे इस्तेमाल और बर्बाद कर रहे हैं, जैसे कि पानी की कोई किल्लत नहीं है, यह हमारे पास हमेशा ही मौजूद रहेगा। यह हमारी गलतफहमी है। अगर हम पानी को यूं ही बर्बाद करते रहे और इस्तेमाल का यही तरीका रहा, तो आने वाले दिनों में पानी की जबरदस्त किल्लत से जूझना पड़ेगा और पानी की एक-एक बूंद को जंग लड़नी पड़ेगी। इसलिए जरूरी है कि हम अभी से अलर्ट हो जाएं। यह बातें सामने आईं दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के ग्रुप डिस्कशन में, जहां शहर के रिनाउंड लोगों ने एक साथ इकट्ठा होकर पानी की बर्बादी रोकने और इसको बचाने के लिए अहम सजेशन दिए।

घर से करनी होगी शुरुआत

डिस्कशन के दौरान यह बात सामने आई कि हमें पानी को बचाने के लिए शुरुआत अपने घर से ही करनी होगी। नहाने के लिए जो हम शॉवर का इस्तेमाल करते हैं, उसे एडवांस इक्विपमेंट से एक्सचेंज करें, जिससे पानी की बर्बादी कम हो सके। बाल्टी का इस्तेमाल करें तो बहुत बेहतर होगा। वहीं इनडोर और आउटडोर सेविंग पर भी हमें खास ध्यान देना होगा। वहीं अगर हम मकान बनवाने जा रहे हैं, तो यहां वॉटर हार्वेस्टिंग के लिए जरूर इंतजाम करें, जिससे ग्राउंड वॉटर को दोबारा रीचार्ज किया जा सके।

मोलचिंग बचाएगी पौधों की जान

गर्मियों की शुरुआत हो चुकी है। आने वाले दिनों में शहर के कई इलाकों में लोगों को पानी की किल्लत से जूझना पड़ सकता है। इसमें सबसे ज्यादा असर नन्हें पौधों पर पड़ता है, जो पानी की कमी से दम तोड़ देते हैं। लेकिन इन पौधों को बचाने के लिए मोलचिंग काफी मददगार टेक्निक साबित हो सकती है। इसके लिए सड़ी-गली फूल-पत्तियों को पौधों की जड़ों और गमलों में डाल दें और इसमें पानी डाल दें, जिससे यह काफी देर तक नम रहेंगे और सूखेंगे नहीं। इससे पौधों के मरने की संभावना काफी कम की जा सकती है।

कोट्स

जो भी बिल्डिंग, कॉम्प्लेक्स और मकान बनाए जा रहे हैं, उनमें वॉटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था मस्ट कर देनी होगी। इसका कड़ाई से पालन भी कराना होगा, जिससे ग्राउंड वॉटर रीचार्ज हो सके और पानी की किल्लत जैसी कोई समस्या सामने न आने पाए।

- संजय कुमार उपाध्याय, बिजनेसमैन

सरकारी पाइपलाइन में लीकेज हो जाता है, तो बनवाने के लिए शिकायत करने पर कर्मचारी पहुंचते नहीं है। जब तक खुद उसका पेमेंट न करो, यह ठीक नहीं होता। जिम्मेदारों को यह आदत बदलनी होगी। इससे हजारों-हजार लीटर पानी बर्बाद हो जाता है और हम सिर्फ देखकर निकल जाते हैं।

- दिलीप सिंह, बिजनेसमैन

आज पर कैपिटा 135 लीटर वॉटर यूज है, इसमें खाना बनाने से लेकर नहाने-धोने तक सभी चीजें शामिल हो जाती हैं। हमें घर से ही इसे कम करने की शुरुआत करनी होगी। जिससे वेस्टेज कम हो और ज्यादा पानी बच सके। इसके लिए चाइल्ड फ्रेंडली यूरिनल और टैप फिटिंग का इस्तेमाल करना होगा। इसका फायदा मिलेगा।

- डॉ। मुमताज खान, सोशल एक्टिविस्ट

इनडोर और आउटडोर सेविंग से ही पानी की बचत होगी। इसके लिए वॉटर हार्वेस्टिंग, ड्रिप इरिगेशन, मोलचिंग जैसी टेक्निक अपनानी होगी। वहीं गार्डनिंग के लिए हमें पाइप का इस्तेमाल न कर फाउंटेन का इस्तेमाल करना होगा, इससे पानी की बचत होगी।

- डॉ। शोभित श्रीवास्तव, रिसर्च स्कॉलर

सबसे पहले हमें अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। पानी वेस्ट हो रहा है, यह सभी जानते हैं, लेकिन इसको बचाने की कोई पहल नहीं करता है। आरओ वेस्ट को कोई सेव नहीं करता है। पहले घरों में पानी स्टोरेज की व्यवस्था होती थी, लेकिन अब इसकी पहल कोई नहीं करता, इसलिए ग्राउंड वॉटर की दिक्कत होने लगी है।

- प्रशांत दुबे, स्टूडेंट

सड़क किनारे नगर निगम ने हजारों टोटियां लगवा रखी हैं, लेकिन इसके बाद वह इसे भूल जाते हैं। जो टोटियां खराब हो जाती हैं, उससे हजारों लीटर पानी बर्बाद हो जाता है, लेकिन जिम्मेदारों की आंख नहीं खुलती। इसकी उन्हें प्रॉपर व्यवस्था करनी होगी। वहीं वॉटर रीयूज के लिए भी लोगों को पहल करनी होगी, जिससे इसकी बचत होगी।

- संदीप ठाकुर, स्टूडेंट

ज्यादातर घरों में वॉटर सप्लाई के जरिए पानी आता है, हम इसका पैसा भी देते हैं। लेकिन इसके बाद भी घरों में टंकियां भरने के लिए लोगों ने मोटर लगा रखी है, जिससे डबल पानी की बर्बादी हो रही है। सरकार यह सुनिश्चित करे कि हमें प्रॉपर पानी की सप्लाई मिले, तो घरों में मोटर का इस्तेमाल कम हो जाएगा और आधे पानी की यूं ही बचत हो जाएगी।

- राधेश्याम चंद, सरकारी कर्मचारी

अर्बन और रूरल एरियाज के वॉटर लेवल में ही लोगों को डिफरेंस देखने को मिल जाएगा। शहर में वॉटर लेवल में चेंज मॉल और मल्टीस्टोरी कॉम्प्लेक्स बनने से हो रहे हैं। इसे बनाते वक्त जमीन का सारा पानी सुखा दिया जाता है, जिससे पानी की किल्लत होना तय है। जिम्मेदार बॉडीज को इसका ध्यान देना होगा और ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त एक्शन लेने होंगे। जिससे कोई ऐसा करने की हिम्मत ही न करे।

- नरसिंह पांडेय, बिजनेसमैन

शहर में कई मल्टीस्टोरी बिल्डिंग्स बन चुकी हैं। 10 साल पहले यह समस्या नहीं थी, लेकिन लगातार हो रहे निर्माण की वजह से वॉटर रीचार्ज नहीं हो पा रहा है, जिसकी वजह से जिन मोहल्लों में यह बिल्डिंग्स बनाई जा रही हैं, वहां का वॉटर लेवल नीचे चला जा रहा है और लोगों को गर्मी के दिनों में पानी की जबरदस्त किल्लत से जूझना पड़ रहा है।

- नरेंद्र त्रिपाठी, बिजनेसमैन

इस मामले में सबसे पहले अवेयरनेस कैंपेन चलाने की जरूरत है। लोग अपने घरों में ही रोजाना काफी पानी बर्बाद कर देते हैं, पहले इसे रोकने की जरूरत है। इसके बाद हम बाहर निकलकर कैंपेन चलाएं, इससे पानी के बारे में लोगों को जानकारी होगी और कितना पानी इस्तेमाल करना चाहिए, इसके बारे में लोग सोचेंगे।

- सुरेश कुमार, बिजनेसमैन

पानी की अहमियत हमें अपने घरों के साथ ही स्कूलों में भी बतानी होगी। जिस तरह आज खनन पर रोक लगी है, लोगों को परमिशन लेकर खुदाई करनी पड़ रही है, वैसे ही पानी पर भी शिकंजा कसना चाहिए और बेवजह पानी बर्बाद करने वालों के खिलाफ सरकार और जिम्मेदारों को सख्त कदम उठाने चाहिए।

- राजेश नेभानी, बिजनेसमैन

यह रहीं अहम बातें

- नेचुरल रिसोर्स का जरूरत के हिसाब से ही इस्तेमाल करना चाहिए।

- ग्राउंड वॉटर रीचार्ज के लिए घरों में हार्वेस्टिंग की व्यवस्था होनी चाहिए।

- पानी की बचत के लिए घर से ही शुरुआत करें।

- सरकार ऐसी नीति लाए जिससे पानी की बर्बादी को कम किया जा सके।

- लोगों को यही नहीं पता है कि पानी की बर्बादी हो रही है, इसके लिए लोगों को अवेयर करने की जरूरत है।

- सरकार वॉटर सप्लाई की व्यवस्था दुरुस्त करे और जैसा बड़े शहरों में होता है, लोगों को जरूरत के मुताबिक पानी मुहैया कराए।

- जो जमीन से इल्लीगल वे में पानी निकालकर वेस्ट कर रहे हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।

- गाडि़यों को धुलने के लिए बाल्टी का इस्तेमाल किया जाए, पाइप से हजारों लीटर पानी यूं ही बह जाता है।

- गार्डनिंग के लिए खास फाउंटेन वाले इक्विपमेंट्स का इस्तेमाल किया जाए, जिससे पानी कम इस्तेमाल हो।

- वॉटर रीसाइकिल किया जाए, जिससे वेस्टेज को कम किया जा सके।

- स्कूल के सिलेबस में खास इसके लिए चैप्टर हो, जिससे स्टूडेंट्स को शुरू से ही पानी की अहमियत पता चल सके।

- इंडस्ट्री और कॉम्प्लेक्स बनाने वालों के लिए वॉटर स्टोर की जगह मस्ट की जाए, उसके बाद ही उनका नक्शा पास किया जाए।

- मोलचिंग के जरिए पेड़ों की हिफाजत की जाए।

- एप और वेबसाइट बनवाई जाएं, साथ ही इसके लिए सोशल मीडिया पर भी कैंपेन चलाया जाए।

- वॉटर होल्डिंग कैपासिटी वाले पेड़ लगाए जाएं।

- घरों में डेली यूज होने वाले पानी के वेस्टेज को कम किया जाए।